त्रिवेंद्र रावत के लिए सिरदर्द बना राधा रतूड़़ी का आदेश
उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का एक पत्र सोशल मीडिया में आजकल खूब घूम रहा है, जिसमें एनआईसी के निदेशक को निर्देश दिया गया है कि “उक्त अवकाश सूची को उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट में अपलोड करने का कष्ट करें।”
आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी द्वारा हस्ताक्षरित यह पत्र कोई सामान्य या फर्जी पत्र नहीं है, इस पत्र के सबसे ऊपर तत्काल/सर्वोच्च प्राथमिकता लिखा गया है। अर्थात उनके द्वारा हस्ताक्षरित यह पत्र बहुत महत्वपूर्ण है। सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ-साथ तत्काल का मतलब है कि यह कोई गंभीर पत्र है।
इसी पत्र में यह भी लिखा गया है कि 8 नवंबर को कोई अवकाश नहीं है। एक ओर अवकाश न होने की बात लिखी गई है, वहीं दूसरी ओर अवकाश सूची में दर्ज करने की बात किसी सामान्य व्यक्ति के गले में नहीं उतर रही है।
हो सकता है कि आईएएस अधिकारियों की भाषा में इन बातों के कुछ अलग मायने हों। इस पत्र में अवकाश के संदर्भ में व्हाट्सएप पर एक फर्जी पत्र सर्कुलेट करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने की गंभीर बात लिखी गई है, लेकिन 7 नवंबर से लेकर 10 नवंबर तक ऐसी किसी एफआईआर की कोई सूचना या खबर अभी तक सोशल मीडिया से लेकर गोदी मीडिया में कहीं नहीं चलती हुई दिखाई दे रही है।
राधा रतूड़ी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में लिखा गया है कि एक फर्जी पत्र के सरकुलेट होने से प्रदेश में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है और सरकारी काम में व्यवधान पैदा हो रहा है।
हालांकि 8 नवंबर को प्रदेशभर में लोक पर्व ‘इगास’ का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की शुभ इगास की फोटो भी आ गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के गांव जाकर इगास मनाने की खबरें लोकल मीडिया से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खूब प्रसारित हुई। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से लेकर काबीना मंत्री हरक सिंह रावत, अरविंद पांडे, यशपाल आर्य सहित तमाम मंत्री, विधायकों, लोक कलाकारों, समाजसेवियों, प्रवासी उत्तराखंडियो द्वारा हर्षोल्लास के साथ इगास मनाने के फोटो व वीडियो से सोशल मीडिया अटा पड़ा है।
उत्तराखंड में पहली बार इगास को लेकर सार्वजनिक अवकाश की मांग सोशल मीडिया से लेकर तमाम फ्रंट पर आम जनमानस ने उठाई। सरकार द्वारा इगास के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया गया, किंतु राधा रतूड़ी द्वारा किए गए खंडन से यह भी संदेश गया कि उत्तराखंड का जो जनमानस छठ पूजा की भांति इगास के अवसर पर अवकाश की मांग कर रहा था, राधा रतूड़ी ने बकायदा खंडन छापकर उस बात को भी बल दिया, जो उत्तराखंड में आमतौर पर नौकरशाही के बेलगाम होने को लेकर कही जाती है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में व्हाट्सएप, फेसबुक पर जो आलोचनात्मक के साथ-साथ अभद्र बातें लिखी और कही जा रही हैं, उस संदर्भ में शायद किसी आईएएस अधिकारी को मालूम नहीं या फिर ऐसे अधिकारी इस बात की चिंता ही नहीं करते कि प्रदेश के सर्वोच्च पद पर बैठे मुख्यमंत्री के बारे में फेसबुक लाइव से लेकर तमाम तरह की अभद्र बातें करने वाले लोगों को ऐसे अधिकारी जानते ही नहीं। मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने वाले फेसबुक लाइव वाले लोगों पर अभी तक किसी आईएएस अधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज करने की बात न तो सुनने को मिली और न ही देखने को।
ऐसे में क्या यह माना जाए कि अधिकारी सेल्फ ब्रांडिंग में लगे हुए हैं और उन्हें प्रदेश के मुखिया की इज्जत की कोई परवाह नहीं है। अपने पत्र पर आईएएस अधिकारी का यह रिएक्शन और मुख्यमंत्री पर ‘मौन’ तब गंभीर है, क्योंकि राधा रतूड़ी मुख्य सचिव बनने की दौड़ में पहली पंक्ति के अधिकारियों में है। राधा रतूड़ी के पत्र में एफआईआर कराने की बात से लेकर जो सभी बातें कही गई हैं, वे गंभीर हैं। क्या यह पत्र मुख्यमंत्री को राजनैतिक नुकसान पहुंचाने वाला तो नहीं लग रहा है?
बहरहाल, इगास पर छुट्टी भले ही न हुई हो, लेकिन इतना अवश्य है कि इगास का भैलो पहली बार उत्तराखंड में इतने जोरदार तरीके से घूमा है कि यह उत्तराखंड समेत यहां से बाहरी प्रदेशों में भी अपनी रोशनी बिखेरने में काफी हद तक सफल रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के लिए आईएएस राधा रतूड़़ी का यह आदेश सिरदर्द बना हुआ है।