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आस्था : तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी की तिथि को लेकर है कन्फ्यूजन? जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

admin
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पं. गणेश चन्द्र बिष्टानियां ‘शास्त्री’

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी पड़ती है। इसी दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है। इस साल एकादशी तिथि दो दिन पड़ने से तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी की डेट को लेकर कन्फूयजन हो रहा है। इस बार एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जिस वजह से एकादशी व्रत 14 नवंबर को रखा जाएगा।

पं गणेश चन्द्र बिष्टानियाँ शास्त्री के अनुसार अगर एकादशी तिथि सूर्योदय से पहले लग जाती है तो एकादशी व्रत उसी दिन रखा जाता है। इस साल तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी 14 नवंबर, रविवार को है। एकादशी व्रत का पारण 15 नवंबर, सोमवार को किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रविवार को तुलसी तोड़ना वर्जित होता है, लेकिन पूजा- अर्चना की जा सकती है।

पं गणेश चन्द्र बिष्टानियाँ शास्त्री का कहना है कि तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी की डेट को लेकर कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है। 14 नवंबर को ही तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी है।

आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा

विधि…

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 14, 2021 को 05:48 ए एम बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 15, 2021 को 06:39 ए एम बजे
  • पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 15 नवंबर, 01:10 पी एम से 03:19 पी एम
  • पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 01:00 पी एम

तुलसी विवाह पूजा विधि-

  • एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत संकल्प लें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें।
  • अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं। फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।
  • मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरुरी अर्पित करनी चाहिए।
  • शाम को विष्णु जी की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • एकादशी के दिन पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
  • एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है।
  • एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें
    एकादशी पूजा- विधि-
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
  • देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
  • इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
  • भगवान की आरती करें।
  • भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
    शुभ मुहूर्त-
  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:57 ए एम से 05:50 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:27 पी एम
  • विजय मुहूर्त- 01:53 पी एम से 02:36 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त- 05:17 पी एम से 05:41 पी एम
  • अमृत काल- 08:09 ए एम से 09:50 ए एम
  • निशिता मुहूर्त- 11:39 पी एम से 12:32 ए एम, नवम्बर 15
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 04:31 पी एम से 06:44 ए एम, नवम्बर 15
  • रवि योग- 06:43 ए एम से 04:31 पी एम

 

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