देहरादून/मुख्यधारा
उत्तराखंड से आज एक चौंकाने वाली खबर आ रही है, जहां विधानसभा में एक बार फिर से भर्ती घोटाला सामने आया है। इस बार भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार में 2021 में आचार संहिता लगने से ठीक पहले 72 पदों पर बैकडोर से विधानसभा में भर्तियां कर दी गई। ये भर्तियां मंत्रियों के पीआओ, रिश्तेदारों व अन्य करीबी लोगों की गई है। जीरो टोलरेंस का नारा देने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में इस तरह का भर्तियों किए जाने से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को एक बार फिर से गहरा आघात पहुंचा है।
विधानसभा चुनाव 2022 की आचार संहिता लगने से ठीक पहले उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से रेवड़ी की तरह नौकरियां बांट दी गई। यह नौकरी मंत्रियों के पीआरओ, करीबियों, रिश्तेदारों व अन्य चहेतों को दी गई, जबकि इसकी भनक किसी को नहीं लगी। विधानसभा में बैकडोर से नौकरी पर लगे इन लोगों की सूची अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
उत्तराखंड की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में प्रेमचन्द अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष थे। वर्तमान में प्रेमचन्द अग्रवाल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। ऐसे में उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों के मामले में उन पर सवाल उठ रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस भर्ती पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि भाजपा के बड़े नेताओं ने अपने करीबी लोगों को विधानसभा में नौकरी दिलाई गई है, जिसका प्रमाण वायरल हो रही सूची है।
कांगे्रस अध्यक्ष करन माहरा ने खुलासा करते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पीआरओ, भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओ एवं एक अन्य करीबी की पत्नी, भाजपा संगठन के नेता का पीआरओ रह चुका व्यक्ति के अलावा सरकार में कई रसूखदार लोगों की पत्नियां व करीबियों को नौकरी पर लगाया गया। वायरल हो रही सूची में कुल 72 नाम सामने आ रहे हैं।
करन माहरा ने कहा कि आज उत्तराखंड की विधानसभा में उत्तर प्रदेश की विधानसभा से ज्यादा कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 543 अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं, जबकि उत्तराखंड की 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 560 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी हैं।
दरअसल, प्रदेश में आजकल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग विवादों से घिरा हुआ है। जहां पेपर लीक मामले में एसटीएफ द्वारा 23 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं। यह मामला वर्तमान में प्रदेश सहित राष्ट्रीय राजधानी तक भी गूंज रहा है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला लिया है। जिसके अनुसार गड़बड़ी होने वाली सभी भर्तियों को निरस्त किए जाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि जो भर्तियां साफ-सुथरे ढंग से चल रही है, उन्हें समय पर पूर्ण कर लिया जाएगा।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह ने इस प्रकरण पर बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तराखंड बनने से लेकर वर्तमान तक विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच की जाएगी तो दूध का दूध व पानी का पानी सबसे सामने आ जाएगी। प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रदेश में होने वाली भर्तियों में यदि इस तरह घोटाले होते रहे तो फिर रोजगार के सपने संजोये बेरोजगार युवाओं को हम क्या जवाब दे पाएंगे!
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी विधानसभा में हुई भर्तियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में फैसला लिया गया था कि भर्तियां आयोग के जरिए ही हांगी। जिसके लिए आदेश भी जारी किए गए, किंतु इस बार ये भर्ती किस प्रक्रिया से हुई होगी, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
बताते चलें कि यह पहला मौका नहीं है, जब उत्तराखंड में बैकडोर से भर्तियां की गई हों। पूर्व में कांग्रेस सरकार के दौरान भी 2017 के विधानसभा की आचार संहिता लगने से पूर्व 2016 में विधानसभा में करीब 158 पदों पर बैकडोर से भर्तियां की गई थी। तब कांग्रेस सरकार में गोविंद सिंह कुंजवाल विधानसभा अध्यक्ष थे।
सरकारी नौकरियों के लिए लंबे समय से तैयारी में जुटे उत्तराखंड के बेरोजगार युवा इस तरह की बैकडोर भर्तियों से स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
सवाल यह है कि जिन भर्तियों में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है, उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निरस्त करने का साहसिक निर्णय लिया है तो क्या वे अचार संहिता के पहले पूर्व की भाजपा सरकार में विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर भी कोई निर्णय ले पाएंगे!
देखें नौकरी पाने वालों की सूची :-