मुख्यधारा/देहरादून
कोरोनाकाल में जिस महिला चिकित्सक (dr nidhi uniyal) को सराहनीय सेवाओं लिए कई जगहों से सम्मान मिला हो, वह गत दिवस एक अफसर की पत्नी का कोपभाजन बन बैठीं। इस घटना की प्रदेशभर में कड़ी आलोचना हो रही है।
उत्तराखंड में गत दिवस घटी घटना हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। हुआ यूं कि दून अस्पताल में तैनात वरिष्ठ फिजिशियन एवं एसोसिएट प्रोफेसर डा. निधि उनियाल (dr nidhi uniyal) गत दिवस दून हॉस्पिटल में मरीजों को देख रही थी। इसी दौरान अस्पताल ने उन्हें स्वास्थ्य सचिव डा. पंकज पांडेय की पत्नी की स्वास्थ्य जांच के लिए उनके घर जाने का फरमान सुना दिया। चूंकि मरीजों की लंबी कतार अपनी बारी का इंतजार में खड़ी इंतजार कर रही थी, इस पर डा. निधि ने जाने में असमर्थता जाहिर की, किंतु उन्हें कहा गया कि जाना तो पड़ेगा। इस पर डॉक्टर अपने दो स्टाफ सहयोगियों के साथ स्वास्थ्य सचिव के घर उनकी पत्नी की जांच के लिए चली गई और उनकी जांच की।
इस बीच बीपी नापने का जो जो उपकरण था, वह गाड़ी में ही छूट गया। इस पर उनका एक सहयोगी वह लाने के लिए बाहर गया। बस इसी बार पर सचिव की पत्नी डा. निधि उनियाल (dr nidhi uniyall) पर बिफर पड़ी। इस पर नाराज होकर डॉक्टर वापस हॉस्पिटल लौट आई। अस्पताल को इस मामले का संज्ञान होने पर डा. से उनकी पत्नी से माफी मांगने के लिए कहा गया, किंतु उन्होंने इंकार कर दिया।
अभी कुछ समय ही बीता था कि डा. निधि उनियाल (dr nidhi uniyal) के हाथ में ट्रांसफर आदेश मिल गया। उनका दून हॉस्पिटल से सोबन सिंह जीना राजकीय मेडिकल कालेज अल्मोड़ा में स्थानांतरण कर दिया गया।
इस बात से खिन्न होकर डा. निधि (dr nidhi uniyal) ने इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे में डा. निधि द्वारा लिखा गया है कि वह एक क्वालीफाइड चिकित्सक हैं और कई प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों को छोड़कर किसी के घर पर जाकर देखना उनका कार्य नहीं है, लेकिन फिर भी वह गई। उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया, जिसका विरोध दर्ज करने पर उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
वहीं इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडेय का कहना है कि डा. निधि उनियाल (dr nidhi uniyal) के आरोप निराधार हैं। राजकीय मेडिकल कालेज अल्मोड़ा में एसोसिएट प्रोफेसर की जरूरत थी। विभागीय प्रक्रिया के तहत ही उनका स्थानांतरण किया गया है।
प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ के की निंदा
वहीं सीनियर डॉक्टर के साथ हुई इस घटना के बाद प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डा. मनोज वर्मा ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि अस्पताल की ड्यूटी छोड़कर बड़े लोगों के घर चैकअप के लिए जाने की व्यवस्था का विरोध होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से भी अनुरोध करते हुए कहा है कि मना करना शुरू कीजिए। उनका कहना है कि यह बड़ी गलत परंपरा है कि चिकित्सक का नेताओं व अधकारियों के घर पर गुलाम की तरह जाना पड़ता है।
उत्तराखंड क्रांति दल ने की सचिव को हटाए जाने की मांग
वहीं उत्तराखंड क्रांति दल ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उक्रांद के प्रवक्ता विजय बौड़ाई ने कहा कि महिला डॉक्टर से अभद्रता किया जाना मातृ शक्ति का अपमान है। उन्होंने इस मामले में सचिव को हटाए जाने की मांग करने के साथ ही सरकार से भी मांग की है कि महिला चिकित्सक डा. निधि उनियाल (dr nidhi uniyal) का इस्तीफा स्वीकार न किया जाए। साथ ही उनके ट्रांसफर को भी निरस्त किया जाना चाहिए।
इस प्रकरण की कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि काश! स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ऐसी फुर्ती कोरोनाकाल में भी दिखाते।
आइए आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं उन्हीं के हूबहू शब्द:-
बहरहाल, ज्वलंत सवाल यह है कि उपरोक्त प्रकरण के बाद ईमानदारी से सेवाएं दे रहे अन्य चिकित्सकों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की संभावना है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि युवा धामी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत इस मामले में क्या दिशा-निर्देश देते हैं।