भयावह संघर्ष : 108 साल पहले आज ही मानव ने शुरू की विश्वयुद्ध (world war) की त्रासदी, 4 साल तक दुनिया दो खेमों में बंट गई - Mukhyadhara

भयावह संघर्ष : 108 साल पहले आज ही मानव ने शुरू की विश्वयुद्ध (world war) की त्रासदी, 4 साल तक दुनिया दो खेमों में बंट गई

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मुख्यधारा

आज 28 जुलाई है। आज से 108 साल पहले मानव जाति ने ऐसी त्रासदी की शुरुआत की थी जिसका परिणाम पूरे दुनिया के लिए घातक साबित हुआ। 4 साल तक दुनिया के अधिकांश देशों सब कुछ ठप हो गया था। चारों ओर बंदूक और तोपों की आवाज से पूरा विश्व दहल गया था। इसके साथ करोड़ों की जान भी चली गई थी।

बता दें कि 28 जुलाई 1914 में आज के दिन पहला विश्वयुद्ध (world war) शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत सर्बिया में ऑस्ट्रिया के राजकुमार फ्रांसिस फर्डिनेंड की हत्या से हुई। इससे गुस्साए ऑस्ट्रिया ने हंगरी के साथ मिलकर सर्बिया पर हमला कर दिया था। धीरे-धीरे युद्ध ने करीब आधी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया।

पहले रूस, फिर जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, ब्रिटेन, जापान, अमेरिका युद्ध में शामिल होते गए। इससे पूरी दुनिया दो खेमों में बंट गई। एक खेमा मित्र देशों का था, जिसमें इंग्लैंड, जापान, अमेरिका, रूस और फ्रांस थे।

दूसरे खेमे में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य और इटली मुख्य देश थे। प्रथम विश्व युद्ध यूरोप में होने वाला यह एक वैश्विक युद्ध था, जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था। इसे सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध भी कहा जाता है। यह इतिहास में सबसे घातक संघर्षों में से एक था, जिसमें करोड़ों लोगों की मौत हुई, जबकि युद्ध के बाद 1918 में फैला स्पैनिश फ्लू महामारी दुनिया भर में 1.7 से 10 करोड़ लोगों की मौत का कारण बना। इस युद्ध में करीब 10 लाख भारतीय सेना (जिसे ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ कहा जाता है) ने भी भाग लिया था। इनमें से 62,000 सैनिक मारे गए थे और अन्य 67,000 घायल हो गए थे। युद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी।

प्रथम विश्व युद्ध (world war) में भारतीय सेना ने जर्मन पूर्वी अफ्रीका और पश्चिमी मोर्चे पर जर्मन साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध किया। इस युद्ध में खुदादाद खान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय बने।

इसके बाद दुनिया एक बार फिर दूसरे युद्ध (world war) में उलझ गई। 1939 से 1945 तक दूसरा विश्व युद्ध (world war) भी हुआ। इन दोनों विश्व युद्ध (world war) के बाद दुनिया तबाही के कगार पर आ खड़ी हुई थी। इसका असर भारत पर भी पड़ा था। हालांकि उस दौर में भारत अंग्रेजों से गुलामी में जकड़ा हुआ था।

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