- वनाग्नि घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण को इन 10 वरिष्ठ अधिकारियों को बनाया जिलों के नोडल अधिकारी
देहरादून/मुख्यधारा
वनाग्नि घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जिलों के नोडल अधिकारी बनाया गया है।
प्रमुख वन संरक्षक (HoFF), उत्तराखण्ड द्वारा आगामी वनाग्नि सत्र-2025 में वनाग्नि के दृष्टिगत अतिसंवदेनशील जिलों में वनाग्नि घटनाओं के प्रभावी नियंत्रण, जिला स्तर पर आवश्यकतानुसार उपलब्ध संसाधनों एवं अन्य रेखीय विभागों से समन्वय को सुदृढ़ करने को वन विभाग के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को निम्नानुसार जिलों के नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है।
उक्त अधिकारियों द्वारा समय-समय पर वनाग्नि प्रबन्धन / नियंत्रण में की जा रही कार्यवाही हेतु फील्ड निरीक्षण किया जायेगा।
नोडल अधिकारियों के नाम
- बी०पी० गुप्ता, प्रमुख वन संरक्षक, प्रशासन, उत्तराखण्ड को चमोली एवं रुद्रप्रयाग।
- आर०के० मिश्र, प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव/नोडल अधिकारी, वन सरंक्षण, उत्तराखण्ड को टिहरी।
- कपिल लाल, अपर प्रमुख वन सरंक्षक, परियोजनायें, उत्तराखण्ड को उत्तरकाशी।
- डॉ० विवेक पाण्डे, अपर प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव को नैनीताल।
- मीनाक्षी जोशी, मुख्य वन संरक्षक, मानव संसाधन विकास एवं कार्मिक प्रबन्धन, उत्तराखण्ड को पौड़ी गढ़वाल।
- पी०के० पात्री, मुख्य वन संरक्षक, ईको टूरिज्म, उत्तराखण्ड को बागेश्वर।
- डॉ० पराग मधुकर धकाते, मुख्य वन संरक्षक, वन पंचायत, उत्तराखण्ड को हरिद्वार एवं देहरादून।
- तेजस्वनी पाटिल, मुख्य वन संरक्षक / निदेशक, वानिकी प्रशिक्षण अकादमी, हल्द्वानी को ऊधमसिंहनगर एवं चंपावत।
- संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक, कार्ययोजना, हल्द्वानी को पिथौरागढ।
- राहुल, मुख्य वन संरक्षक, अनुश्रवण, मूल्याकन, आई०टी० को अल्मोड़ा।
इस वर्ष वन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा वनाग्नि सत्र से पूर्व ही नोडल अधिकारी नामित कर कार्यालय आदेश जारी किया गया है, जिससे सम्बन्धित नोडल अधिकारी द्वारा वनाग्नि सत्र से पूर्व जिले स्तर पर वनाग्नि प्रबन्धन/नियंत्रण में की जा रही तैयारियों की समीक्षा की जायेगी।
वनाग्नि सत्र के दौरान वन प्रभागों में वनाग्नि घटनाओं के प्रबन्धन, प्रभावी नियंत्रण, अनुश्रवण, जिला स्तर पर अन्य सहयोग व समन्वयं को सुदृढ़ करने की कार्यवाही की जा सकें।
इसके साथ-साथ वनाग्नि नियंत्रण / प्रबन्धन में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने के लिए वन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा अल्मोड़ा वन प्रभाग के अन्तर्गत शीतलाखेत मॉडल को प्रदेश के सभी प्रभागों में replicate करने हेतु फील्ड कार्मिक / SHGs/वनाग्नि प्रबन्धन समितियों की exposure visits कराई जा रही है।
वर्तमान तक 15 वन प्रभागों की 20 टीमों को exposure visits कराई गयी है, जिसमें कुल 970 कार्मिक/वन पंचायत सरपंच आदि उपस्थित रहें।