देवभूमि उत्तराखंड का ऐसा मंदिर जो केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है
प्रशांत मैठाणी
देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जनपद के उर्गम घाटी में 12 हजार फीट की अधिक ऊंचाई पर उच्च हिमालई क्षेत्र में स्थित यह वंशीनारायण मंदिर है। यह मंदिर पंच केदारों में से एक कल्पेश्वर केदार से कुछ दूरी पर ग्राम कलगोठ के पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर पांडव कालीन माना जाता है। मंदिर कत्यूर शैली में निर्मित है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में मनुष्य को पूजा करने का अधिकार सिर्फ एक दिन के लिए ही है। माना जाता है कि इस मंदिर में नारद 364 दिन भगवान नारायण की पूजा करते हैं और केवल एक दिन ही मनुष्य यहां पूजा कर सकता है।
यह मंदिर आम जनों हेतु पूरे साल में केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। पौराणिक मान्यता है कि जब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने द्वारपाल बनने का आग्रह किया तो नारायण ने स्वीकार कर उनके साथ पाताललोक चले गए, तब माता लक्ष्मी नारायण की खोजबीन करते हुए नारद ऋषि के पास पहुंची, नारद जी ने उन्हे बताया कि भगवान विष्णु पाताललोक में राजा बलि के यहां है, यदि माता आप श्रावण माह की पूर्णिमा को पाताल लोक जाकर राजा बलि को राखी बांधे, इसके बदले नारायण को वापस मांग सकते हो, माता ने यही किया और भगवान विष्णु पाताल लोक से मुक्त हुए।
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मान्यता है कि मां लक्ष्मी के साथ नारद ऋषि भी पाताल लोक गए, उनकी अनुपस्थिति में उस दिन पूजा गांव के ही एक पुजारी द्वारा की गई। माना यह भी जाता है की इस मंदिर से पाताल लोक के लिए रास्ता है इसी मार्ग से भगवान विष्णु आए और यहां वंशी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु ने दर्शन दिए थे। तब से ही यह प्रथा चली की रक्षा बंधन के दिन यहां विष्णु भगवान की बड़ी ही धूमधाम से पूजा कर उन्हें राखी बांधते हैं।