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हसीं वादियां, खुला आसमांनया मुहावरा गढ़ने को बेताब उत्तराखंड

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हसीं वादियां, खुला आसमांनया मुहावरा गढ़ने को बेताब उत्तराखंड

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने साल 1979 में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन दिवस की शुरुआत की थी। तब से हर साल 27 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है। पर्यटन दिवस मनाने कामुख्य उद्देश्य पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना, टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देना है. साथ ही पर्यटन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। उत्तराखंड भी एक पर्यटन प्रदेश हैं। जहां साल भर देश विदेश के सैलानियों का तांता लगा रहता है। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता व संस्कृति हमेशा से देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। राज्य को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में एक आदर्श गंतव्य के रूप में उभर रहा है। नैसर्गिक सौंदर्य, जलवायु, संस्कृति और आतिथ्य सत्कार ऐसे कई कारण हैं जो शादियों के लिए विशेष अवसर प्रदान करते हैं। विवाह के लिए यहां पर विश्व स्तरीय होटल, लग्जरी रिजॉर्ट, होम स्टे और कई ऐतिहासिक स्थल हैं। प्रदेश में त्रियुगी नारायण मंदिर पौराणिक वेडिंग डेस्टिनेशन हैं, जहां पर भगवान शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसके अलावा जिम कॉर्बेट, नैनीताल, कौसानी, भीमताल, मसूरी, देहरादून, ऋषिकेश और लैंसडौन समेत कई वेडिंग डेस्टिनेशन भी हैं।

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प्रदेश में हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियाें ने हर बार संख्या में नया रिकार्ड बना रहे हैं। प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मसूरी, नैनीताल, हरिद्वार, ऋषिकेश में क्षमता से अधिक पर्यटक पहुंच रहे हैं। अब प्रदेश सरकार ने नए पर्यटन डेस्टिनेशन बनाने के साथ अवस्थापना के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित कर रही है। टिहरी झील को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन डेस्टिनेशन बनाने के लिए 1200 करोड़ की डीपीआर तैयार हो चुकी है। इसके लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 600 करोड़ की राशि मंजूर कर दी है। इसके अलावा साहसिक पर्यटन के लिए ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, बजी जंपिंग, एयरो पर्यटकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों में चारधाम यात्रा में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के तीर्थ- यात्रियों का एक बड़ा हिस्सा होता है। साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रहता है।

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चारधामों की तर्ज पर अब मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत पहले चरण में कुमाऊं क्षेत्र के 16 मंदिरों में पर्यटन सुविधाओं के लिए अवस्थापना विकास कार्य किए जाएंगे, जिसमें जागेश्वर, चितई गोल्ज्यू, सूर्य देव, कसार देवी, नंदा देवी, पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, बागनाथ, बैजनाथ, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, पूर्णागिरी, देवीधुरा,बालेश्वर मंदिर, नैना देवी, कैंची धाम व चैती बालसुंदरी मंदिर शामिल हैं। तराई पश्चिम वन प्रभाग में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। इसके साथ ही राजस्व भी खूब मिल रहा है। यहां पर बाघ, हाथी समेत अन्य जैव विविधता को देखने के लिए पर्यटक पहुंच रहे हैं। तराई पश्चिम वन प्रभाग में पिछली गणना में बाघों की संख्या 52 थी। प्रभाग के जंगल में 41 हाथी विचरण करते हैं। यहां पर फाटो रेंज में ईको टूरिज्म की गतिविधियों को वित्तीय वर्ष-2021-2022 में शुरू किया गया था। उस समय 9,246 पर्यटक पहुंचे थे। इसके अगले वित्तीय वर्ष में संख्या बढ़कर 80,902 पर पहुंच गई। वित्तीय वर्ष 2023-2024 में पर्यटकों की संख्या एक लाख को भी पार कर गई थी। इस साल भी अप्रैल से जून तक 36,984 पर्यटक पहुंच चुके थे।

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पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही राजस्व भी खूब मिला। दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) योजना के तहत उत्तराखंड सरकार पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास कर रही है. इस योजना के तहत राज्य सरकार मैदानी और पहाड़ी इलाकों में होम स्टे बनाने के लिए सब्सिडी देती है. दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) योजना के अंतर्गत जहां एक ओर पर्यटकों को उत्तराखंड की संस्कृति और स्वादिष्ट व्यंजनों का अनुभव कराया जाता है तो वहीं इस योजना का उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़कर उनकी आय बढ़ाना भी है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटन दिवस 2024 के मौके पर इस बार उत्तराखंड के चार गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार के लिए चुना है. जिसमें उत्तरकाशी में स्थित जखोल को साहसिक पर्यटन, हर्षिल और पिथौरागढ़ स्थित गूंजी गांव को वाइब्रेट विलेज के अलावा नैनीताल के सूफी गांव को कृषि आधारित पर्यटन पुरस्कार के लिए चुना गया है।

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पर्यटन मंत्रालय की इस पहल से उत्तराखंड के पर्यटन को विश्व मानचित्र पर एक अलग पहचान मिलेगी और दुनिया भर का पर्यटक उत्तराखंड आएगा। पर्यटन राज्य में विकास और रोजगार दोनों का आधार है। पर्यटक स्थल हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सभ्यता और हमारी पहचान के प्रतीक हैं। दिव्यता और आध्यात्मिक अनुभूति के केंद्र उत्तराखंड में पर्यटन को रोजगार से जोड़ने के लिए नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की योजना क्रियान्वित की जा रही है।

उत्तराखंड पर्यटन से मूल रूप से जुड़े एक वोकेशनल ट्रेनिंग मॉड्यूल और डिप्लोमा तैयार करने की जरूरत है जिससे स्थानीय युवा अपने व्यवसाय का प्रारूप तैयार कर सकें।इसके अलावा सरकारी नीतियों में स्थानीय लोगों की भागेदारी और उनके आर्थिक विकास को ध्यान में रखने की जरूरत है जिसमें पर्यटकों को रहने और खाने की सुविधा के लिए होम स्टे या पेइंग गेस्ट के तौर पर या B&B मॉडल पर रखने की सुविधा हो जिसे सरकारी पर्यटन पोर्टल से जोड़ा जा सके। इससे सांस्कृतिक पर्यटन का स्वरूप भी दिया जा सकता है जिससे सैलानी गांवों की जीवन शैली के बारे में जानें।

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प्रदेश के बाहर बहुत से लोग उत्तराखंड की नैसर्गिक सुंदरता को महसूस करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें पूरी जानकारी नहीं होती। इसलिए सबसे बड़ी जरूरत है लोगों को आवश्यकतानुसार जानकारी मुहैया कराने की और उनकी अलग अलग जरूरतों को ध्यान में रख कर सरकार द्वारा निरित मूल्यों पर आवश्यकतानुसार पर्यटन पैकेजेज बनाने की, जिसमें रहने, खाने और यातायात की
सम्पूर्ण सुविधा और पर्यटकों की चाहत के अनुसार जगहों को सम्मिलित किया जा सके। इसमें सभी सरकारी विभागों जैसे पर्यटन और वन विभाग, ग्राम पंचायतों और स्थानीय व्यवसायियों आदि में सामंजस्य बिठाने की खास जरूरत है। इससे सुविधा के अलावा लोगों को सांत्वना भी रहेगी कि उन्हें हर सुविधा उचित मूल्यों पर मिलेगी और कोई भी असुविधा होने पर उनका खयाल रखा जाएगा।इसके अलावा कुछ प्रमुख ट्रेक्स को चुनकर वहां के रास्तों और अन्य सुविधाओं, जैसे कैंपिंग और खाने की व्यवस्था आदि को विकसित करने से पर्यटन की दिशा में हम प्रगति कर सकते हैं।

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स्थानीय लोग भी गांवों को स्वच्छ रख कर, उनके गांव के आस पास के ट्रेकिंग रूट्स को विकसित कर और सुविधाजनक होम स्टे बनाकर इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं हमारी इस प्राकृतिक सुंदरता को फिल्मों के माध्यम से भी लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से उत्तरप्रदेश सरकार इस दिशा में बहुत काम कर रही है,इसी प्रकार उत्तराखंड सरकार को फिल्म उद्योग के साथ मिलकर इस तरह की योजनाएं और नीतियां बनायें जिससे अधिक से अधिक फिल्मों और सीरियल्स की शूटिंग
उत्तराखंड के इन रमणीय स्थानों में हों। उत्तराखंड की संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को राज्य के बाहर अन्य प्रदेशों में भी कार्यशालाओं के द्वारा प्रदर्शित करने की भू जरूरत है जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।हमारा उत्तराखंड सुंदरता और आध्यात्म से भरपूर है जिसे पर्यटन के माध्यम से हम देश विदेश के बाकी लोगों से साझा कर सकते हैं और साथ ही रोज़गार के भी अवसर भी जुटा सकते हैं।

ये मेरा गढ़वाल है प्यारा, ये मेरा प्यारा कुमाऊं
जी नहीं भरता देख इसे, मैं देख देख इतराऊं
 कल कल करती नदियां, झर झर झरते झरने
वन वन डोले पंछी सारे, मैं देख देख इठलाऊं

 गांव गांव और शहर शहर, बस मंदिर और शिवाले
देव भूमि ये मिट्टी मेरी , माथे पे अपने सजाऊं
 दिलों में इतना प्यार लिए, सांसों में ठंडी बयार लिए
एक भी पल जो जीयूं यहां, हज़ार पलों से बेहतर पाऊं

बस एक क्लिक, और विदेश में बैठे देवभूमि के पसंदीदा पर्यटन व धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक धरोहर, स्मारक ही नहीं बल्कि नदियां व झील झरनों का भूगोल आपके लैपटॉप या कंप्यूटर स्क्रीन पर। जी हां, भौगोलिक सूचना विज्ञान तंत्र (जीआइएस) के जरिये उत्तराखंड के पर्यटक स्थल अब देश दुनिया के मानचित्र पर न केवल अपनी पहचान बना सकेंगे जो भविष्य में और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जगाता है।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।)

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