सावधान! यमकेश्वर की इन खोखली सड़कों पर आप भी हो सकते हैं हादसे का शिकार
सरकार से हादसे को न्यौता दे रही सड़कों को शीघ्र ठीक करने की मांग
समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो पंचायत प्रतिनिधि व ग्रामीण सड़कों पर उतरने को होंगे मजबूर
मुख्यधारा ब्यूरो
यमकेश्वर। खोखली हो चुकी सड़क पर वाहन चलाना कितना खतरनाक हो सकता है, इसकी कल्पना मात्र से ही आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं, लेकिन आश्चर्यजनक है कि इस सड़क पर रोजाना सैकड़ों वाहन चालकों और इनमें बैठे सवारियों को शायद इसका पता ही नहीं है कि वह अभी जिस सड़क से होकर गुजरे हैं, वह नीचे से पूरी की पूरी खोखली हो चुकी है। यही नहीं आम जनता तो छोडि़ए, तमाम वीआईपी लोग भी यहीं से होकर गुजरते हैं, लेकिन इस सड़क की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी जा रही है।
प्रदेश की अस्थायी राजधानी देहरादून के सबसे नजदीकी विकासखंड यमकेश्वर क्षेत्रवासियों की राज्य निर्मांण के बाद से विकास की राह ताकते हुए आंखें पथरा गई हैं, लेकिन स्थिति अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई है।
क्षेत्रीय जन समस्याओं को निरंतर उठाने वाले पूर्व सैनिक क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा सुदेश भट्ट बताते हैं कि ऋषिकेश लक्ष्मणझूला से मात्र 15 किमी कि दूरी पर व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गांव से मात्र 13 किमी की दूरी पर स्थित यमकेश्वर की जीवन रेखा समझी जाने वाली इस सड़क से पूरे दिन सैकड़ों वाहन उपर नीचे गुजरते हैं, जो कि खोखली हो चुकी सड़क से अंजान होकर बेखौफ होकर चलने को मजबूर हैं। सड़क की भयावह स्थिति बड़े हादसे को निमंत्रण दे रही है!
क्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट धरातल की स्थिति को समझाते हुए बताते हैं कि यदि उक्त स्थान पर दो वाहन आते-जाते पास होते हैं तो नीचे से खोखली हो सड़क भरभराकर कभी भी गिर सकती है और इससे बड़ा हादसा हो सकता है। इससे चिंतित होकर सुदेश भट्ट समेत समस्त क्षेत्रवासियों ने सरकार से मांग की है कि दुर्घटना को न्यौता दे रही इस समस्या का शीघ्र समाधान करें अन्यथा यमकेश्वर की इसी तरह की तमाम विकट समस्याओं को लेकर स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि व ग्रामीण सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे।
इससे पूर्व भी सुदेश भट्ट कई ऐसी खोखली हो चुकी सड़कों को जनता के समक्ष उजागर कर चुके हैं। जिनमें यमकेश्वर ब्लॉक मुख्यालय से 400 मीटर दूरी पर लक्ष्मणझूला से मात्र 13 किमी की दूरी पर स्थित खोखली सड़क और दूसरा लक्ष्मणझूला-कांडी मोटरमार्ग पर दियूली और जुलेडी के बीच में खोखली सड़क की ओर जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराया था। इसी कड़ी में आज फिर पैंय्या के पास यह तीसरी बड़ी व भयावह तस्वीर को खोजकर सरकार व जिम्मेदार प्रतिनिधियों को जनता के प्रति उदासीनता व विकास के प्रति लापरवाही के चलते उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराया है।
सुदेश भट्ट ने इस समस्या को लेकर सरकार से गुहार लगाते हुए आशंंका जताई है कि जिस तरह हर रोज दुर्घटनाओं के प्रकरण सामने आ रहे हैं, ऐसे में सरकार को इस सड़क को राज्य मार्ग की जगह खोखला मार्ग घोषित कर देना चाहिए। सुदेश भट्ट के अनुसार अभी भी पूरी सड़क पर इस तरह के कई और दृश्य देखने को मिल सकते हैं।
चिराग तले अंधेरा
देश के पहले सीडीए जनरल बिपिन्न रावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र यमकेश्वर, सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, समेत पूर्व सीएम बिजय बहुगुणा, मेजर जनरल रि. भूवनचंद खंडूड़ी और यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूड़ी जैसी तमाम हस्तियों के गृह जनपद होने के बाद भी जब यहां ऐसी खोखली सड़कों पर वाहन दौडऩे को मजबूर हैं इससे चिराग तले अंधेरा वाली कहावत भी सही चरितार्थ हो रही है।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि क्षेत्र की इन खोखली हो चुकी सड़कों की सुध स्थानीय विधायक और सरकार कब तक ले पाती है या फिर क्षेत्रवासियों को उनके हाल पर छोड़ते हुए किसी बड़े हादसे का इंतजार करती है!