Header banner

थानाध्यक्ष पीडी भट्ट के खिलाफ हल्लाबोल। बर्खास्तगी की मांग

admin
IMG 20191201 WA0037

थानाध्यक्ष पीडी भट्ट के खिलाफ हल्लाबोल। बर्खास्तगी की मांग

रविवार 1 दिसंबर 2019 को मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले अधिवक्ता अमित तोमर के नेत्रृत्व में सेलाकुई चौक पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा सहसपुर पुलिस के विरुद्ध प्रदर्शन किया गया और तत्काल प्रभाव से थानाध्यक्ष को बर्खास्त करने की मांग की गई।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित तोमर ने कहा कि कलम के योद्धा शिव प्रसाद सेमवाल को झूठे केस में फंसाने वाली सहसपुर पुलिस आज खुद मुलजिम बन गयी, जब हवालात में बंद एक युवक की संदिग्ध हालात में मृत्यु हो गयी। पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है, जबकि पुलिस की झूठी कहानी हत्या की ओर जाती दिख रही है। तमाम बड़े अधिकारी सहसपुर पुलिस की इस घिनोनी करतूत पर पर्दा डालने में जुटे हैं। यहां तक कि मृत युवक अभिनव यादव के परिवार के किसी भी सदस्य की अनुपस्थिति में पंचनामा भर पोस्ट मार्टम की नौटंकी जारी है। यह गरीब युवक बलिया उत्तर प्रदेश का निवासी बताया जा रहा है, जो प्रेम पसंग के चलते सहसपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उसे थाने की हवालात में ठूस दिया गया था।

20191201 190352

पुलिस का कहना है कि उसने कम्बल से खुद को रात में फाँसी लगा ली और इसका पता थानाध्यक्ष को सुबह चला। अर्थात रात में वहां  कोई गारद नहीं थी। और यदि वहां कोई ड्यूटी पर था तो वह इस युवक को आत्महत्या करता क्यों नहीं देख पाया। यह सम्भव नहीं कि एक आरोपी हवालात में मर जाये और थानाध्यक्ष की नींद सुबह खुले। उपरोक्त प्रकरण को बारीकी से विश्लेषण कर आसानी से समझा जा सकता है कि पुलिस की इस कहानी में कहीं न कहीं झोल है। खबरें तो यह भी आ रही है कि युवक की बर्बर पिटाई के कारण मृत्यु हुई, जिसे अब आत्महत्या का चोला पहनाया जा रहा है।

20191130 215616

अमित तोमर कहते हैं कि अब पोस्टमार्टम के माध्यम से सरकारी डॉक्टरों से फ़र्ज़ी रिपोर्ट बनवाई जाने की पूरी संभावना बनती दिखाई दे रही है, ताकि दोषी पुलिसकर्मियों और थानाध्यक्ष को बचाया जा सके। यही सिस्टम है, घिनोना सिस्टम जहां गरीब की हत्या पर भी लोग मौन रहते हैं।
ऐसा ही एक प्रकरण 2012 में धारा चौकी में हुआ था। तब भी चौकी प्रभारी कोई और नहीं, बल्कि यही पी.डी. भट्ट थे।
सहसपुर थाने की पुलिस अकसर निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फंसाने में बदनाम है। हाल प्रकरण में एक निर्दोष पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल को बिना कारण जेल भेज दिया गया था और गत 10 दिनों से वह जेल में बंद हैं।
अभी दो दिन पूर्व ही SO पी.डी. भट्ट के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था, क्योंकि उन्होंने प्रेमनगर में एक व्यक्ति को बुरी तरह पीटा और सिगरेट से जलाया था। क्या ऐसे अफसर को मुकदमा दर्ज होते ही हटा नहीं देना चाहिए था, ताकि वो विवेचना को प्रभावित न कर सके?

हत्या के प्रकरण में भी SO को लाइन भेजकर  हमेशा की तरह इस बार भी इतिश्री कर दी गयी, जबकि हर कस्टोडियन डेथ में कम से कम ससपेंड किया जाता है। यह गंभीर प्रश्न है उस कर्तव्यनिष्ट वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की छवि पर, जो सदा सत्य का साथ देने का दावा करते हैं। इस प्रकरण को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस किसी बड़े राजनैतिक दबाव में ड्यूटी कर रही है।
कुल मिलाकर यह शर्मनाक है कि जिन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा लिखा जाना था, उन्हें लाइन भेजकर इतिश्री कर दी गई।
अब समय है जनता इस घिनोने पुलिसिया चेहरे को बेनकाब करे।
अमित तोमर ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि यदि पी.डी. भट्ट समेत अन्य दोषियों को 48 घण्टे में ससपेंड नहीं किया गया तो सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता देहरादून पुलिस का पुतला दहन करेंगे, क्योंकि हत्यारी पुलिस कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
प्रदर्शन करने वालो में संजीव कुकरेजा, सतपाल धनिया सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल थे।

Next Post

बलूनी का हाल जानने मुंबई पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

बलूनी का हाल जानने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी पूछी कुशलक्षेम  गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज राज्यसभा सांसद और […]
20191201 223700

यह भी पढ़े