पुरोला उत्तरकाशी से नीरज उत्तराखण्डी की रिपोर्ट
जौनसार बावर की माटी के लाल नंद लाल भारती ने पुरोला में आयोजित बसंत उत्सव एवं विकास मेला ‘बाजार की जातर’ में लोक संस्कृति बिखेर कर सबको रिझा दिया।
नब्बे के दशक में ‘गजुमला’ आडियो कैसेट रिलीज होने के साथ ही अपनी सांस्कृतिक यात्रा शुरू करने वाले नंद लाल भारती आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। ये वही नंद लाल भारती हैं जिन्होंने उतराखण्ड की लोक संस्कृति की कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश में ही नहीं विदेश में भी बखूबी बिखेरी है।
बताते चलें कि 2016 में नंद लाल भारती के नेतृत्व में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में उतराखण्ड के 400 लोक कलाकारों के साथ 7 एकड़ के मंच पर 35000 कलाकारों के साथ विश्व के 155 देशों के राष्ट्र अध्यक्षों के समक्ष प्रस्तुति देकर अपनी काबिलियत की पताका और देश की लोक संस्कृति की विश्व में खुशबू बिखेर चुके हैं।
नंद लाल जौनसार बावर की माटी के सपूत है, जिन्होंने लोक कला मंच की स्थापना कर जौनसारी लोक संस्कृति को संरक्षित और संरक्षित का जो काम किया है, वह ऐतिहासिक और अविस्मरनीय है।
नंद लाल भारती जनआंदोलन से भी जुड़े रहे और अपने गीत संगीत और लोक संस्कृति के रंग विखरने के साथ साथ गीतों के माध्यम से जन चेतना लाने का भी प्रयास करते रहे। यही वजह है कि उन्हें विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है और आज भी उनकी लोक यात्रा जारी है।
पुरोला में आयोजित बंसत उत्सव एवं विकास मेला बाजार की जातर में जौनसार बावर लोक कला मंच की प्रस्तुति की एक झलक ने सबको रिझा दिया।