- इगास पर्व पर लंबी लकीर खींच गए धामी
देहरादून/मुख्यधारा
उत्तराखंड के लोकपर्व इगास/बूढ़ी दिवाली पर राजकीय अवकाश घोषित करके युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लंबी लकीर खींच दी है। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से जहां एक ओर प्रदेश की जन भावनाओं का सम्मान हुआ है वहीं लोक पर्व के नाम पर सियासत करने वालों को भी करारा जवाब मिला है। उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी सरकार ने लोकपर्व इगास को विशेष महत्व देते हुए राजकीय अवकाश घोषित किया है।
मुख्यमंत्री के इस निर्णय की केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सराहना की है। सोशल मीडिया में आम लोग मुख्यमंत्री धामी की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं।
400 साल पुरानी है इगास मानने की परंपरा
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले बीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार और श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों सेयोद्धाओं को बुलाकर सेना तैयार की गई थी और तिब्बत पर हमला बोलते हुए तिब्बत सीमा पर मुनारें गाड़ दी थी।
इस दौरान बर्फ से पूरे रास्ते बंद हो गए। कहा जाता है कि पूरे गढ़वाल में उस साल दिवाली नहीं मनाई गई, लेकिन दीवाली के ग्यारह दिन बाद जब माधो सिंह युद्ध जीत कर वापस गढ़वाल पहुंचे तब पूरे इलाक़े के लोगों ने भव्य तरीक़े से दीवाली मनाई, तबसे ही गढ़वाल में इसे कार्तिक माह की एकादशी यानी इगास बग्वाल के रूप में मनाया जाता है।