देहरादून/मुख्यधारा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा मंगलवार 30 नवंबर 2021 को देवस्थानम बोर्ड वापस लेने के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की हंसी रुक गई और वह मीडिया कर्मियों से सिर्फ इतना ही कह पाए कि मैं तो हंस भी नहीं सकता।
बताते चलें कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का देवस्थानम बोर्ड ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार था। वह देवस्थानम बोर्ड को 20 साल का सबसे सुधारात्मक कदम मानते थे। उनके द्वारा शुरू किए गए इस ड्रीम प्रोजेक्ट का शुरुआत से ही पंडा पुरोहित वाहक हकूक धारियों ने भारी विरोध किया और इसे खत्म करने के लिए लगातार दबाव बनाते रहे।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने 27 नवंबर 2019 को देवस्थानम बोर्ड को मंजूरी दी थी। पिछले दिनों त्रिवेंद्र सिंह रावत जब केदारनाथ धाम के दर्शनों के लिए पहुंचे तो पंडा पुरोहितों व हकूक धारियों ने उन्हें काले झंडा दिखाकर मंदिर दर्शन नहीं करने दिया। जिससे उन्हें बिना दर्शनों के ही मायूस होकर वापस लौटना पड़ा।
हालांकि उसके बाद भी वे अपनी बात पर अडिग रहे और वह सरकार को यही सलाह देते रहे कि जल्दबाजी में कोई फैसला न लिया जाए। उनका कहना था कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उन्होंने देवस्थानम बोर्ड से प्रदेश के विकास का सपना संजोया था।
अब चूंकि 2022 के शुरुआत में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं तो पंडा पुरोहित समाज ने यह समय सरकार पर दबाव बनाने के लिए उचित समझा और उन्होंने चुनावी अखाड़े में सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने का ऐलन कर दिया। फिर क्या था चुनावी नफा नुकसान को देखते हुए सरकार को इसके लिए मशक्कत करनी पड़ी।
अपनी ही सरकार के फैसले को रोलबैक करते हुए इसे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का राजनैतिक कौशल ही माना जाएगा कि उन्होंने बड़ी संजीदगी से स्टेप बाय स्टेप आखिरकार गत दिवस 30 नवंबर को देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा कर दी। अब यह कैबिनेट में जाएगा और विधानसभा सत्र में वापसी का विधेयक लाकर इस विधेयक को निरस्त कर दिया जाएगा।
सीएम धामी के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से इस बारे में पूछा गया तो वह मात्र इतना ही कह पाए कि मैं तो इस पर हंस भी नहीं सकता। उन्होंने इस पर कुछ भी कमेंट करने से साफ मना कर दिया और कहा कि मैं तो मुस्कुरा भी नहीं सकता। साफ है वह धामी सरकार के इस फैसले के बाद वे नीम की कड़वाहट सा महसूस कर रहे हैं।
पंडा पुरोहित व हक हकूक धारियों ने जताया मुख्यमंत्री धामी का आभार
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखण्ड देवस्थानम बोर्ड प्रबन्धन अधिनियम वापस लिये जाने की घोषणा के बाद चार धाम तीर्थ पुरोहितों, रावल समाज, पंडा समाज, हक हकूक धारियों के साथ ही अखाड़ा परिषद्, विश्व हिन्दु परिषद् आदि के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया है।
मंगलवार को देर सांय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष श्री महंत रवीन्द्र पुरी, अखाड़ा परिषद् के महामंत्री मंहत हरिगिरी आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द महाराज आदि ने भेंट कर देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड अधिनियम वापस लिये जाने पर मुख्यमंत्री का आभार जताया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सन्त समाज की ओर से भी धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री से चार धाम तीर्थ पुरोहित, हक हकूक धारी महापंचायत, रावल, पंडा समाज के साथ ही बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री मन्दिर से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री आवास स्थित कार्यालय सभागार में मुख्यमंत्री का परम्परागत ढ़ंग से स्वागत कर उनका हृदय से आभार व्यक्त किया। सभी ने मुख्यमंत्री द्वारा लिये गये इस निर्णय को एतिहासिक एवं तीर्थ स्थलों के हित में बताया।
इस अवसर पर चारधाम तीर्थ पुरोहित, हक हकूक धारी महापंचायत समिति के महामंत्री हरीश डिमरी, चार धाम तीर्थ पुरोहित मुख्य प्रवक्ता डॉ. ब्रजेश सती, श्री केदारनाथ पंडा समाज के विनोद शुक्ला, रावल गंगोत्री हरीश सेमवाल, रावल यमनोत्री अनिरूद्ध उनियाल, सुरेश सेमवाल, विश्व हिन्दु परिषद् के वीरेन्द्र कृतिपाल, श्री विपिन जोशी सहित बड़ी संख्या में समिति के सदस्य एवं सन्त समाज के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।