मामचन्द शाह
वर्ष 2017 के चुनाव में जीतकर उत्तराखंड विधानसभा पहुंचे 70 विधायकों में से इस कार्यकाल में छह विधायक असमय इस दुनिया को छोड़कर अलविदा कह गए। इस लिहाज से चतुर्थ विधानसभा का ये कार्यकाल सबसे अपशकुनी रहा। इन छह विधायकों में से पांच भारतीय जनता पार्टी के थे, जबकि एक कांग्रेस की वरिष्ठ विधायक थी।
मगन लाल शाह, थराली
मार्च 2017 में विधानसभा चुनाव संपन्न होने और उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद सबसे पहले भाजपा ने अपना थराली विधायक मगल लाल शाह को खोया। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे और 25 फरवरी 2018 को हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में उनका निधन हो गया।
प्रकाश पंत , पिथौरागढ़
उत्तराखंड सरकार में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद दूसरा झटका उत्तराखंडवासियों को लगा। वे असाध्य बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें उपचार के लिए अमेरिका ले जाया गया था। जहां उन्होंने 5 जून 2019 को अंतिम सांस ली। वे 59 वर्ष के थे।
सुरेंद्र जीना, सल्ट
सल्ट विधानसभा क्षेत्र के लोगों को अपने जिस विधायक पर इतना भरोसा था कि वे अपने पांच साल के कार्यकाल में उनकी प्रत्येक समस्याओं का समाधान करवाएंगे, वे इतनी जल्द उनका साथ छोड़ जाएंगे, किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी, किंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था और क्रूर कोरोना की चपेट में आने से दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में उन्होंने 12 नवंबर 2020 को अंतिम सांस ली।
गोपाल रावत, गंगोत्री
गंगोत्री से भाजपा विधायक गोपाल रावत के रूप में उत्तराखंड ने अपना तीसरा विधायक खोया। वे काफी समय से असाध्य बीमारी से जूझ रहे थे और वे देहरादून के अस्पताल में 22 अप्रैल 2021 को इस मायारूपी संसार को अलविदा कह गए।
इंदिरा हृदयेश, हल्द्वानी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश का 13 जून 2021 को दिल्ली में आकस्मिक निधन हो गया था। वे पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंची थी। जब वह कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार हो रही थी, तो इसी दौरान अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया था और फिर उनकी बुलंद आवाज हमेशा के लिए बंद हो गई।
हरबंश कपूर, कैंट
अभी दो दिन पूर्व 9 से 11 दिसंबर 2021 को जब चतुर्थ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सभी विधायक विधानसभा में सामूहिक फोटो खिंचा रहे थे, तब किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका अपना सबसे वरिष्ठ विधायक कैंट विधानसभा क्षेत्र से हरबंश कपूर उनके बीच से अचानक इस तरह हमेशा के लिए दूर चले जाएंगे। वे बीते 11 दिसंबर को फोटो खिंचाते वक्त हरबंश कपूर पहली पंक्ति विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ चौहान व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल के बीच में बैठे हुए थे। उपाध्यक्ष चौहान ने उनकी पीठ पर हाथ रखा था और वे काफी प्रफुल्लित नजर आ रहे थे, किंतु अब ये फोटो हमेशा के लिए यादगार बन गई।
3 विधानसभा सीटों पर हुआ उपचुनाव 3 पर नहीं
बताते चलें कि थराली विधानसभा के उपचुनाव में स्व. मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी शाह को चुनाव मैदान में उतारा गया और वे चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचकर अपने पति के अधूरे कार्यों को आगे बढ़ा रही हैं।
इसी प्रकार पिथौरागढ़ सीट से उपचुनाव में स्व. प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को चुनाव लड़वाया गया और वे जीतकर विधानसभा पहुंची।
इसके बाद सल्ट विधानसभा उपचुनाव में स्व. सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना चुनाव जीतने में सफल रहे और वे अपने भाई के अधूरे कार्यों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण उपजे हालातों के बीच इसी वर्ष अप्रैल में हुई गंगोत्री विधायक गोपाल रावत और फिर जून 2021 में डा. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उनकी विधानसभा क्षेत्र हल्द्वानी में उपचुनाव नहीं कराया जा सका। इसके बाद अब अगले माह 2022 के विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है। ऐसे में हरबंश कपूर की विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव की बजाय अब सीधे चुनावी शंखनाद बजेगा।
कुल मिलाकर चौथी विधानसभा के इस कार्यकाल में उत्तराखंड ने अपने छह विधायकों को खोया है। इस लिहाज से रजनैतिक विश्लेषकों से लेकर आम जनता भी इस कार्यकाल को अपशकुनी मान रही है।
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