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वैली ऑफ फ्लावर्स (valley of flowers) : प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी के गेट सैलानियों के लिए खुले

admin
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चमोली/मुख्यधारा

उत्तराखंड के खूबसूरत वादियों में से एक फूलों की घाटी (valley of flowers) आज सैलानियों के लिए खोल दी गई है। इसको खोलने के लिए कई दिनों से तैयारियां चल रही थी। अब पर्यटक खूबसूरत नजारे और फूलों के विभिन्न रंगों का दीदार कर सकेंगे।

फूलों की घाटी (valley of flowers) भी शीतकालीन 6 महीने के लिए बंद रहती है। हर साल जून में यह सैलानियों के लिए खोली जाती है। इन दिनों गर्मियों की छुट्टी हो गई है । हर साल इस सीजन में देश-विदेश के लाखों पर्यटक फूलों की घाटी में आते हैं। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे लोगों को अपना दीवाना बना लेते हैं।

‌उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी को ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ (valley of flowers) भी कहते हैं। यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। फूलों की घाटी गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। यह चारों तरफ से हिमालय से घिरी हुई है।

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यह एक राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे ‘फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान’ भी कहा जाता है। पूरी घाटी दुर्लभ और विदेशी हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है। यहां फूलों की 300 से अधिक प्रजातियां पाईं जाती हैं, जिनमें एनीमोन, जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लू पोस्पी और ब्लूबेल शामिल हैं। यहां देखने के लिए सबसे खूबसूरत फूल ‘ब्रह्म कमल’ है, जिसे उत्तराखंड का राज्य फूल भी कहा जाता है।

फूलों की घाटी (valley of flowers) में 17 किलोमीटर लंबा ट्रैक पर्यटकों को आकर्षित करता है

बता दें कि फूलों की घाटी में 17 किलोमीटर लंबा ट्रेक है, जो 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित घांघरिया से शुरू होता है। जोशीमठ के पास एक छोटी सी बस्ती गोविंदघाट से ट्रेक के जरिये पहुंचा जा सकता है।

फूलों की घाटी (valley of flowers) में प्रवेश करने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की ओर से ऑफलाइन माध्यम से अनुमति दी जाती है। फूलों की घाटी वो जगह है, जहां रिसर्च, आध्यात्म, शांति और प्रकृति को करीब से जानने का अद्भुत अवसर मिलता है। यहां घूमने का सही समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक है।

इस दौरान मानसून की पहली बारिश के बाद यहां के फूल पूरी तरह खिल उठते हैं। फूलों की घाटी सिर्फ जून की शुरुआत से अक्टूबर तक सैलानियों के लिए खुली रहती है।

बता दें कि फूलों की घाटी (valley of flowers) ब्रिटिश पर्वतारोही और वनस्पति शास्त्री, फ्रैंक एस स्मिथ ने 1931 में आकस्मिक खोज की थी। इसे यूनेस्को ने 2005 में विश्व धरोहर घोषित किया था।

फूलों की घाटी (valley of flowers) की यात्रा ऋषिकेश से बदरीनाथ हाईवे पर गोविंदघाट पहुंचकर शुरू होती है। पर्यटकों को घाटी के बेस कैंप घांघरिया तक 14 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। प्रवेश के लिए दोपहर तक ही पर्यटकों के लिए इजाजत होती है। फूलों की घाटी में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को घांघरिया से परमिट लेना पड़ता है।

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