उत्तराखंड में जोर पकड़ेगा पुरानी पेंशन का मुद्दा, हिमाचल (Himachal) में सरकार के खिलाफ दिखा असर
देहरादून/मुख्यधारा
हिमाचल के बाद अब उत्तराखंड में पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों का आंदोलन अधिक जोर पकड़ सकता है। इसकी वजह हिमाचल विधानसभा चुनाव है, जिसमें कांग्रेस ने इस मुद्दे को प्रचार का सबसे बड़ा हथियार बनाया था। हिमाचल में मुद्दे के असर को देखते हुए पुरानी पेंशन आंदोलन से जुड़े कर्मचारी बेहद उत्साहित हैं और उन्होंने 2023 में होने वाले स्थानीय निकाय और 2024 में लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को और अधिक हवा देने का फैसला किया है।
पुरानी पेंशन योजना के राष्ट्रीय आंदोलन (एनएमओपीएस) के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली कहते हैं, कि देश भर में चलाए जा रहे आंदोलन का प्रभाव हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है। हिमाचल इकाई के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर के नेतृत्व में तीन मार्च को शिमला अभूतपूर्व रैली निकली थी। और आंदोलन से जुड़े नेताओं और कर्मचारियों ने सभी दलों से पुरानी पेंशन बहाली योजना शुरू करने की मांग उठाई थी।
पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा चुनाव में प्रमुखता से उठा और इसका असर चुनाव में साफ दिखाई दिया। उत्तराखंड में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। संगठन से जुड़े कर्मचारी नेता आने वाले चुनाव से पूर्व सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं पर दबाव बनाएंगे कि वे अपने चुनाव घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन के मुद्दे को प्रमुखता शामिल करें। इस आंदोलन को और अधिक धार दी जाएगी।