नहीं रहे दिग्गज नेता शरद यादव : शरद यादव ने तीन राज्यों में अपनी सियासी पारी का फहराया परचम, जमीनी नेता के तौर पर बनाई पहचान
- छात्र राजनीति से शुरू की अपनी सियासी पारी, केंद्र में कई बार मंत्री रहे, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। शरद यादव मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश से लोकसभा सांसद चुने गए। सभी दलों में लोकप्रिय रहे।पीएम मोदी समेत तमाम नेताओं ने जताया शोक।
मुख्यधारा डेस्क
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का 75 साल की आयु में गुरुवार रात निधन हो गया। शरद यादव के निधन पर तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक जताते हुए श्रद्धांजलि दी है।
शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने ट्विटर पर अपने पिता की मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा है कि पापा नहीं रहे।
फोर्टिस अस्पताल ने जारी बयान में कहा है कि शरद यादव को बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था उनमें कोई पल्स नहीं थी। प्रोटोकॉल के तहत उन्हें सीपीआर दिया गया था। तमाम कोशिशों के बावजूद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। रात 10.19 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं।
शरद यादव की तबीयत काफी दिन से खराब चल रही थी। हालत ज्यादा बिगड़ने पर गुरुवार की शाम उन्हें दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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शरद यादव के परिवार में पत्नी डॉ. रेखा यादव, एक पुत्र और एक पुत्री है। शरद यादव देश में एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में अपनी सियासत पारी खेली। सबसे पहले मध्य प्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गए।
साल 1989 में उत्तर प्रदेश के बदायूं लोकसभा सीट से भी सांसद बने। बिहार के मधेपुरा सीट से लोकसभा सांसद रहे। शरद यादव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालू प्रसाद यादव लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत तमाम नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शरद यादव के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।
लालू यादव ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया में वीडियो मैसेज पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि अभी सिंगापुर में हूं और शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला। बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। आने से पहले मुलाकात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में। शरद भाई…ऐसे अलविदा नहीं कहना था। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी शोक जताया है। बिरला ने कहा कि शरद यादव विलक्षण प्रतिभा वाले महान समाजवादी नेता थे। उन्होंने वंचितों-शोषितों के दर्द को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनका निधन समाजवादी आंदोलन के लिए बड़ी क्षति है। परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं।
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा- मंडल मसीहा, राजद के वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता मेरे अभिभावक आदरणीय शरद यादव जी के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूं। कुछ कह पाने में असमर्थ हूं।
जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि देश के दिग्गज राजनेता, समाजवाद और सामाजिक न्याय के योद्धा शरद यादव के निधन की खबर सुनकर मर्माहत हैं। शरद यादव के निधन से एक युग का अंत हो गया। एक समाजिक न्याय के नेता के रूप में हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के एक गांव में शरद यादव का हुआ था जन्म
बता दें कि शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में हुआ था। छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया। शरद यादव की राजनीतिक जीवन की शुरुआत एचडी देवगौड़ा, गुरुदास दासगुप्ता, मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव के साथ हुई थी।
बताते हैं कि साल 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वे जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और मीसा (कानून) के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिए गए।
सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने साल 1974 में कदम रखा था। वे पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। वो जेपी आंदोलन का समय था और वह हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे। साल 1977 में वे दोबारा वो इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे थे। फिर 1986 में राज्यसभा में चुने गए थे, फिर 1989 में 9वीं लोक सभा (तीसरी अवधि) में उत्तर प्रदेश के बदायूं से चुने गए।
शरद यादव 1989-90 के दौरान केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग रहे थे। फिर 1991 में 10 वीं लोकसभा (चौथी अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित; सदस्य, लोक लेखा समिति, 1993 में नेता, जनता दल संसदीय पार्टी, फिर 1995 में का र्यकारी अध्यक्ष, जनता दल रहे। 1996 में 11 वीं लोकसभा (5 वीं अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित, अध्यक्ष, वित्त समिति रहे, 1999 में 13 वीं लोकसभा (6 वीं अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित, लालू प्रसाद यादव को हराया था।13 अक्टूबर 1999 से 31 अगस्त 2001 को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री- नागरिक उड्डयन रहे। फिर 1 सितम्बर 2001- 30 जून 2002 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – श्रम रहे। 1 जुलाई 2002- 15 मई 2004 को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – उपभोक्ता मामले मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रहे।
2004 में राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (द्वितीय कार्यकाल); सदस्य-व्यापार सलाहकार समिति, सदस्य-जल संसाधन समिति, सदस्य-सामान्य प्रयोजन समिति, सदस्य-सलाहकार समिति, गृह मंत्रालय।
2009 में 15 वीं लोकसभा (7 वीं अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित हुए। फिर 2014 में राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (तीसरी अवधि) के लिए हुए थे।
2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष बने थे। वह एनडीए के संयोजक भी रहे। साल 2018 में जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल बनाया था।
पिछले साल अपनी पार्टी के आरजेडी में विलय की घोषणा कर दी थी। किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए सिंगापुर जाने से पहले लालू प्रसाद यादव ने शरद यादव से मुलाकात भी की थी।
बता दें कि राजनीति में लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव की सियासी पारी 70 के दशक से शुरू हुई थी। इन नेताओं की दोस्ती भी चर्चा में बनी रहे।
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