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पुस्तक में 55 सालों का राजनीतिक अनुभव: कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने अपने ही इन साथियों पर उठाए हैं सवाल, आप भी पढें

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पुस्तक में 55 सालों का राजनीतिक अनुभव: कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने अपने ही इन साथियों पर उठाए हैं सवाल, आप भी पढें

कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद आज आत्मकथा ‘आजाद’ करेंगे लॉन्च, अपने ही साथी जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद पर उठाए सवाल

मुख्यधारा डेस्क

कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद राजधानी दिल्ली में अपनी आत्मकथा ‘आजाद’ लॉन्च करने जा रहे हैं।

‌कांग्रेस नेता डॉ कर्ण सिंह इस पुस्तक का विमोचन करेंगे। पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इस पुस्तक में अपने 55 सालों के राजनीतिक अनुभवों का जिक्र किया है।

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अपनी किताब के विमोचन से एक दिन पहले मंगलवार को गुलाम नबी ने कांग्रेस नेताओं पर तीखा बयान दिया था। उन्होंने राजनीतिक और वैचारिक संघर्ष को लेकर जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा आजाद ने पीएम मोदी की भी तारीफ की।

आजाद ने कहा- मैंने प्रधानमंत्री के साथ क्या किया, और उन्होंने मेरे साथ कैसा व्यवहार किया। इसका श्रेय मोदी को दिया जाना चाहिए। वे बड़े त्यागी हैं। गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी को उदार बताते हुए कहा कि विपक्ष के नेता के तौर पर मैंने उनका कई बार विरोध किया। मैंने उन्हें धारा 370, सीएए और हिजाब के मुद्दे पर भी नहीं बख्शा। लेकिन मोदी ने कभी भी बदले की भावना नहीं रखी। वो हमेशा एक नर्म दिल वाले राजनेता की तरह पेश आए।

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आजाद ने अगस्त 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए।

आत्मकथा में आजाद ने लिखा है- गृह मंत्री अमित शाह ने जिस वक्त जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने का एलान किया, मैंने अपना ईयर फोन फेंका और विरोध के लिए वेल में जाकर धरने पर बैठ गया। विपक्ष के नेताओं को भी मैंने वहां बुलाया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जयराम रमेश अकेले अपनी सीट पर बैठे रहे और धरने में शामिल ही नहीं हुए। तब वो राज्यसभा में पार्टी के चीफ व्हिप थे।

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आजाद ने किताब में सलमान खुर्शीद को पर भी निशाना साधा है। आजाद के मुताबिक, सलमान ने जी-23 में उनके रोल पर सवाल उठाए थे। खुर्शीद और कुछ दूसरे नेताओं ने उन्हें एक मकसद के लिए एकजुट हुए बागी करार दिया था। कुछ लोग तो कांग्रेस में ऐसे हैं जिन्होंने अपने पद का नाजायज फायदा उठाया और बदले में पार्टी को कुछ नहीं दिया। ये लोग अपनी मौजूदगी सिर्फ ट्विटर पर दर्ज कराते रहे।

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