अनदेखी: सिंगटाली पुल (Singtali Motor Bridge) निर्माण की मांग को सतपुली में गरजे स्थानीय जनप्रतिनिधि व क्षेत्रवासी
सतपुली/मुख्यधारा
पिछले डेढ दशक से टिहरी-पौड़ी को जोडऩे वाले सिंगटाली मोटर पुल निर्माण की बाट जोहते-जोहते क्षेत्रवासियों की आंखें पथरा गई हैं। ऐसे में अब ग्रामीणों का धैर्य जवाब देने लगा है। अब तक की सभी सरकारों की सिंगटाली पुल की अनदेखी करने के चलते अब सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति के बैनर तले स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं क्षेत्रवासियों ने धरना-प्रदर्शन का रुख अख्तियार किया है। हालांकि अभी यह मात्र सांकेतिक चल रहा है।
इसी क्रम में आज सतपुली गढवाल में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं क्षेत्रवासियों ने एकजुट होकर सिंगटाली मोटर पुल निर्माण के लिए चल रहे संघर्ष को और तेज करने की हुंकार भरी है।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति के नेतृत्व में आज सतपुली में दर्जनों जनप्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित हुए।
बताते चलें कि बीते डेढ दशक से सिंगटाली मोटर पुल निर्माण की मांग करते-करते क्षेत्रवासी अब थक हार चुके हैं। ऐसे में हताश होकर अब धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसी क्रम में सतपुली में आज एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। जिसमें सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति, सतपुली व्यापार मंडल के साथ ही कोट, एकेश्वर, पोखड़ा, पाबों, कल्जीखाल व द्वारीखल ब्लॉक क्षेत्र के दर्जनों जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जहां सतपुली बाजार हनुमान मंदिर के पास धरना प्रदर्शन किया गया।
इसके उपरांत एसडीएम सतपुली के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को प्रेषित किया गया। आज हुए धरना-प्रदर्शन में सभी ने एक स्वर में हुंकार भरी कि सिंगटाली मोटर पुल निर्माण को लेकर किए जाने वाले संघर्ष को और तेज किया जाएगा।
सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी मुख्यधारा को जानकारी देते हुए बताते हैं कि विगत कई वर्षों से सिंगटाली मोटर पुल निर्माण किये जाने को लेकर क्षेत्रीय जनता द्वारा कई बार शासन-प्रशासन से पत्राचार कर चुकी है। सभी जगहों से पुल को लेकर मात्र आश्वासन दिया जाता है, किंतु मोटर पुल निर्माण की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है।
उदय सिंह नेगी बताते हैं कि टिहरी जिले के कौडियाला और पौड़ी जिले के यमकेश्वर को जोडऩे वाले इस मोटर पुल क शासनादेश तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी सरकार में हुआ था। जिसके लिए 2006 में कौडियाला व्यासघाट मोटर मार्ग और सिंगटाली मोटर पुल निर्माण के लिए 1579 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसके बाद 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूड़ी ने सिंगटाली पुल के लिये भूमि पूजन भी किया था, जिसके आज 15 साल बीत गये हैं, किंतु सिंगटाली मोटर पुल का निर्माण नहीं हो पाया है।
किनसुर ग्राम पंचायत के प्रधान दीपचन्द शाह बताते हैं कि 2018 में सिंगटाली पुल से जुडऩे वाले मोटर मार्ग का निर्माण तो कर दिया गया, किंतु गंगाजी पर बनने वाले मोटर पुल निर्माण का आज तक शिलान्यास नहीं हो पाया है। श्री शाह बताते हैं कि इस स्थान पर मोटर पुल बनने से यह गढ़वाल क्षेत्र को कुमाऊं क्षेत्र से जोड़ेगा, जो कि ऋषिकेश से कौडियाला होते हुये सतपुली, बैजरो व रामनगर को जोड़कर काफी दूरी कम होने के साथ ही समय की भी बचत होगी।
इसके अलावा बरसात के समय जब ऋषिकेश-देवप्रयाग मार्ग पर तोताघाटी या इसके आस-पास मार्ग अवरुद्ध हो जाता है तो उस समय सिंगटाली मोटर पुल से वाहन पौड़ी जिले में प्रवेश कर सकते हैं और फिर देवप्रयाग में वापस ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग में प्रवेश कर सकते हैं। इससे यात्रियों के साथ ही स्थानीय क्षेत्रवासियों की बड़ी परेशानी इस वैकल्पिक मार्ग से हल हो सकती है।
सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी बताते हैं कि लोक निर्माण द्वारा पुल के लिए जगह भी चयनित कर दी गई थी तथा पुल निर्माण डिजायन का काम पूरा कर रिपोर्ट शासन को भी भेज दी गई थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई भी कार्यवाही नहीं हो पायी है।
रिटायर्ड फौजी धनवीर सिंह राणा कहते हैं कि सिंगटाली मोटर पुल निर्माण में हो रही देरी से अब क्षेत्रीय जनता में लगातार आक्रोश पनप रहा है और इसके लिए क्षेत्रीय जनता मुखर होकर संघर्ष कर रही है। एकजुट होकर आने वाले समय में इस आंदोलन को और धार दी जाएगी।