मनोज गोरकेला (Manoj Gorkela) की प्रेरणादायी जीवन यात्रा फर्श से अर्श तक पहुंचने का सफरनामा
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड के दुर्गम सीमांत आदिवासी क्षेत्र में जन्में मनोज गोरकेला को उनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली उपलब्धियों को ध्यान में रखकर कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के द्वारा एलएल डी की मानद डिग्री प्रदान की गई है। गोरकेला भारत के उन चुनिन्दा लोगो में व उत्तराखंड के पहले व्यक्ति है, जिन्हें कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ यह सम्मान दे रहा है। भारत में ही नहीं पूरे विश्व में पीएचडी अलग अलग विषयों में लाखों लोग करते है, किन्तु मानद उपाधि भारत में बहुत कम लोगो को मिलती है। खासतौर से कानून(विधि) में एलएलडी की डिग्री तो उन लोगो को मिलती है जिनके पास कानून की विशेषज्ञता हो,और यह डिग्री विश्वविद्यालय के अधिकारिक परिषद् की सहमति से मिलती है, और काउन्सिल में भारत के उस विश्वविद्यालय के अलग अलग विषयों के विद्वान प्रोफेसर लोग होते है। उत्तराखंड के एक दुर्गम क्षेत्र में पैदा हुए मनोज गोरकेला को उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के आधार पर यह उपाधि दीं जा गयी है।
गोरकेला ने भारत के सीमांत जिले से यह यात्रा प्रारम्भ की उनके पिता की मृत्यु उनके बचपन में ही हो गयी थी, घर में बड़े होने के नाते सारी जिम्मेदारियां उनके कंधो पर आ गयी थी। उनके द्वारा भारत ही नही विश्व के कई विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय विधि , भारतीय संविधान के अलावा कई विषयों पर लेक्चर दिए गए है, जिनमे विदेशों में कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स एवं भारत के कई विश्वविद्यालय में पीएचडी व एलएलएम के विद्यार्थी भी शामिल हैं । इसके अलावा उन्होंने भारत के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज (एम्स) में डाक्टरों और प्रोफेसरों को चिकित्सा न्याय शास्त्र में भी लेक्चर दिया है तथा नेशनल ज्यूशियल एकेडमी भोपाल एवं सीबीआई के जजों को पढ़ाने का मौका भी उन्हें मिला है । खासतौर से आर्मी के हजारों जवानों को कानून की जानकारी देना एवं बीएसएफ, सीआरपीएफ के सीनियर अफसरों के प्रमोशन कोर्सेज में लेक्चर देना और आईटीबीपी, एसएसबी, बीएसएफ, वन विभाग एवं पुलिस विभाग इन सभी बड़े संस्थानों में भारत के संविधान एवं कानून की जानकारी उनके द्वारा दी गई है। इस डिग्री के मिलने का एक बड़ा कारण यह भी है कि जहाँ भी उन्होंने लेक्चर दिया उस विश्वविद्यालय एवं संस्थान में वहाँ से उन्होंने सिर्फ एक रुपये का चेक लिया।
मनोज गोरकेला उप महाधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में होने के साथ साथ तीन राज्यों के उच्च न्यायालयों में प्रतिनिधित्व कर रहे है। उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जिन केसों में अपना पक्ष रखा गया, वो केस नजीर बन चुके है जिनमे अयोध्या में राम मंदिर, क्रिप्टो करंसी, भूमि अधिग्रहण,निजी विद्यालयों में गरीब बच्चों का दाखिला, मिड डे मील, आधार कार्ड, नये न्यायालय व जजों की नियुक्ति आदि कई संविधानिक मामले है। उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया में संविधानिक पीठ के सम्मुख भारत के लाखों करोड़ों आदिवासी लोगों का पक्ष रखा गया है और अधिकतर जो वास्तव में गरीब लोग होते है उनके केस मुफ्त में लड़ें हैं। गोरकेला मध्यप्रदेश में स्थित विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर भी है। उन्होंने अब तक का अपना जीवन भारत के बहुत गरीब लोगों के उत्थान के लिए समर्पित किया है। भारत के विकास के लिए मनोज गोरकेला द्वारा विश्व के कई देशों में जाकर वहां के कानून का गहन अध्ययन किया गया यहाँ तक की अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय व यूएनओ में जाकर वहां की कार्य प्रणाली का गहन अध्ययन किया गया है ताकि वहाँ के उचित ज्ञान को भारत के विद्यार्थियों को लेक्चर के माध्यम से बता सके। गोरकेला भारत के पहले व्यक्ति है जिनके द्वारा मात्र भूमि की सेवा करने के उद्देश्य से हर महीना वेतन/ रिटेनरशिप फीस, उत्तराखंड सरकार से एक रुपया लिया गया है। इस बात को व कम उम्र में ही आपके द्वारा हासिल की गयीं सभी उपलब्धियों को विश्वविद्यालय और महामहिम कुलाधिपति द्वारा मुख्य रूप से देखा गया है। भारत में इस तरह की उपलब्धियां बहुत कम लोगों के पास होती हैं और इतनी सारी उपलब्धियां होने के बावजूद भी वह एक साधारण से व्यक्ति की तरह जीवन यापन करते हैं। कोई भी डिग्री किस विश्वविद्यालय से मिलती है यह बहुत महत्वपूर्ण है।
गोरकेला को एलएलडी की मानद डिग्री कर्नाटक राज्य के ही नहीं भारत के एक नामी विश्वविद्यालय (कर्नाटक विश्व विद्यालय, धारवाड़) से मिल है, यह विश्वविद्यालय आजादी के पहले बनाया गया था, यह विश्वविद्यालय 850 एकड़ में फैला हुआ है। गोरकेला ने जानबूझकर पीएचडी किसी विश्वविद्यालय से नहीं की क्योंकि उन्हें पूर्ण रूप से विश्वास था कि उन्हें एक दिन इस मानद डिग्री से सम्मानित किया जायेगा जो की बहुत ही चुनिंदा लोगों को दी जाती है। डॉ. गोरकेला ने देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों में भारतीय संविधान के साथ कई विषयों पर व्याख्यान दिए हैं। उन्होंने एम्स और राष्ट्रीय एकेडमी में भी व्याख्यान दिए हैं। इसके एवज उन्होंने संस्थानों से सिर्फ एक रुपये का ही चेक लिया है। वह वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में तीन-तीन राज्यों का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर, क्रिप्टो करेंसी, भूमि अधिग्रहण, निजी विद्यालयों मेंगरीब बच्चों का दाखिला, मिड डे मील, आधार कार्ड, नए न्यायालयों में जजों की नियुक्ति पर कोर्ट में अपना पक्ष रखा है।
(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)