पलायन (Migration): 6 महीने में 87 हजार से अधिक भारतीय देश की नागरिकता छोड़कर विदेशों में बस गए, जानिए इसकी वजह
मुख्यधारा डेस्क
हाल के कुछ वर्षों में भारतीयों के देश की नागरिकता छोड़कर विदेशों में बसने रफ्तार बढ़ती जा रही है। इसकी जानकारी खुद केंद्र सरकार ने दी है। इस साल जनवरी से लेकर जून तक यानी 6 महीनों में 87 हजार से ज्यादा भारतीयों ने देश की नागरिकता छोड़ दी है।
शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जानकारी देते हुए बताया कि 2011 से लेकर अब तक साढ़े 17 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 2022 में 2,25,620, साल 2021 में 1,63,370 और 2020 में 85,256 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी और विदेशों में बस गए।
उन्होंने संसद में कहा कि पिछले दो दशकों में वैश्विक कार्यस्थल की तलाश करने वाले भारतीयों की संख्या महत्वपूर्ण रही है। उनमें से कई ने व्यक्तिगत सुविधा के चलते विदेशी नागरिकता लेने के विकल्प को चुना है। इनमें सबसे ज्यादा लोग अमेरिका जाते हैं।
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन का नंबर आता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि कई लोगों ने व्यक्तिगत सुविधा की वजह से भारत छोड़ विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है।
इसके अलावा बड़ी संख्या में भारतीय लोग ग्लोबल वर्कप्लेस की तलाश कर रहे हैं। क्योंकि भारत में दोहरी नागरिकता नहीं अपनाई जा सकती हैं। ऐसे में जब भारतीय विदेश जाते है, तो पीआर सुरक्षित करने के लिए उन्हें कभी-कभी अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ जाती है।
भारतीयों के देश छोड़ने और विदेश की नागरिकता लेने पर जयशंकर ने कहा कि विदेश में मौजूद भारतीय समुदाय हमारी संपत्ति हैं।
आपको बता दें कि भारत में डुअल सिटिजनशिप नहीं है। अगर किसी ने विदेशी नागरिकता हासिल कर ली तो उसकी भारत की नागरिकता खुद ही समाप्त हो जाती है।