उत्कृष्ट शिक्षा कोचिंग केंद्र (Excellent Education Coaching Center) के रूप में विकसित हो उत्तराखंड
दीप चंद्र पंत
विकास के अत्यल्प सीमित विकल्प उपलब्ध होने के कारण उन क्षेत्रों को ढूंढना और विकसित किये जाने की दरकार है। जो भूगर्भीय संवदेनशीलता से कम से कम प्रभावित हों और प्रदेश और देश के विकास में जिनका योगदान महत्वपूर्ण सिद्ध हो सके। शिक्षा भी एक ऐसा ही क्षेत्र हो सकता है जो प्रदेश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकाने के साथ राज्य की अर्थव्यवस्था हेतु भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
स्थानीय स्तर पर भी शिक्षा के समुचित विकल्प देने के साथ शोध के स्तर पर उल्लेखनीय कार्य करने के कारण पूरे देश हेतु महत्वपूर्ण हो सकता है। शांत वातावरण, मनोहारी दृश्य और स्थानीय बुद्धिमत्ता स्तर इस हेतु अनुकूल माहौल हेतु अद्भुत हैं। पलायन का बहुत बड़ा कारण समुचित शिक्षा का अभाव भी है।
यदि कोटा एक अच्छे कोचिंग सेंटर के रुप में विकसित हो सकता है और हम शिक्षा के लिए लोग डीपीएस या दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर ताकते हैं तो हमारे राज्य में कहीं न कहीं कोई कमी है। उस कमी को दूर करने और अपने ही स्थान पर गुणवत्ता विकसित करने का प्रयास किया जा सकता है।
भारत का कोई भी विश्वविद्यालय, उच्च शिक्षा केंद्र या शोध संस्थान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं टिकता है और विश्व के लगभग शीर्ष संस्थानों में हमारा कोई भी शिक्षा केंद्र नहीं है। माध्यमिक और प्राइमरी शिक्षा भी स्तरीय नहीं है। किसी उसेन बोल्ट, फेल्प्स या मेसी की कल्पना करना भी आज संभव नहीं है। कोई धौनी या ऋषभ पंत भूले भटके निकल भी गया तो उत्तराखंड का योगदान उसे बनाने में शून्य है। पहले नैनीताल से सैयद अली या राजेंद्र रावत हॉकी के खेल में निकल तो गए थे, पर अब हॉकी का ही सूर्य पूरे देश में ढलान पर है। मात्र बैडमिंटन में थोड़ा सुकून है।
शिक्षा और कोचिंग वे आसान व्यवसाय हो सकते हैं जिनमे पर्यावरण की भी बहुत क्षति नहीं होगी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर विकसित करने पर बाहर से भी लोगों को आकर्षित किया जा सकता है। राज्य की आय के साथ इसे लोगों के रोजगार और स्तरीय शिक्षा से भी जोड़ा जा सकता है, परंतु इसके लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है।
( लेखक भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं।)