संचार क्रांति (Communication Revolution): 28 साल पहले आज के दिन भारत में पहली बार बजी थी मोबाइल पर घंटी, बंगाल के मुख्यमंत्री और दूरसंचार मंत्री के बीच हुई बात
मुख्यधारा डेस्क
मौजूदा समय में देश में सबसे अधिक मोबाइल फोन इस्तेमाल हो रहा है। घरों से लेकर ऑफिस, बाजारों, ट्रेन, बस या किसी भी स्थान पर मोबाइल की घंटी बजने लगती है। मोबाइलों लोगों की कमजोरी भी बन चुका है।
एक साल पहले 2022 में भारत में 5G की भी शुरुआत हो चुकी है। आज भारत दुनिया भर में मोबाइल के क्षेत्र में सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। लेकिन 90 के दशक में देशवासियों को मोबाइल से बात करने का सपना जैसा था। आज की तारीख भारत में मोबाइल संचार क्रांति में ऐतिहासिक मानी जाती है। 28 साल पहले 31 जुलाई 1995 को भारत में पहली बार मोबाइल की घंटी बजी थी। उस समय पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम के बीच मोबाइल से बात हुई थी। कोलकाता की रॉयटर बिल्डिंग से ये फोन लगाया गया था। मोबाइल से कॉल लगाने वाले थे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु। बसु ने तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर सुखराम को फोन किया था। सुखराम उस वक्त दिल्ली के संचार भवन में बैठे थे। इस फोन कॉल से भारत में संचार क्रांति की शुरुआत हुई। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलिकॉम मार्केट है।
बता दें कि देश में मोबाइल टेक्नोलॉजी पर काम 1980 में शुरू हुआ। जब बीके मोदी ने मोदी कॉर्प नाम से एक कंपनी की स्थापना की। ये कंपनी टेलिकॉम, फाइनेंस, एंटरटेनमेंट और टेक्नोलॉजी से जुड़ा कामकाज देखती थी। यही कंपनी आगे चलकर स्पाइस ग्लोबल बनी। 1993 में मोदी कॉर्प ने ऑस्ट्रेलियाई कंपनी टेलस्ट्रा के साथ पार्टनरशिप कर मोदी टेलस्ट्रा कंपनी बनाई।
1993 में मोदी टेलस्ट्रा भारत में सेलुलर सर्विस लॉन्च करने वाली पहली कंपनी बनी थी। 1994 में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने बीके मोदी से मिलकर इच्छा जताई कि कलकत्ता मोबाइल नेटवर्क वाला देश का पहला शहर बने।उस समय एक समस्या ये थी कि भारत में अभी भी मोबाइल ऑपरेटिंग टेक्नोलॉजी नहीं थी। बसु की इस इच्छा को पूरी करने बीके मोदी अपनी पार्टनर कंपनी टेलस्ट्रा से मदद मांगने ऑस्ट्रेलिया गए। वहां नोकिया कंपनी से बीके मोदी की बातचीत हुई और नोकिया टेक्नोलॉजी देने के लिए तैयार हो गया।
नोकिया उस समय टेलिकॉम टेक्नोलॉजी की एक अग्रणी कंपनी थी। नोकिया और टेल्स्ट्रा ने मिलकर एक साल में ही कलकत्ता में मोबाइल नेटवर्क का काम पूरा कर लिया। 31 जुलाई 1995 को इस नेटवर्क के जरिए पहली कॉल की गई। हालांकि देश में मोबाइल सेवा को आम लोगों तक पहुंचने में समय लगा। इसकी वजह थी महंगे कॉल रेट। शुरुआत में एक आउटगोइंग कॉल के लिए 16.80 रुपए प्रति मिनट और कॉल सुनने के लिए 8.40 रुपए प्रति मिनट देना होता था या एक कॉल पर कुल 24 से 25 रुपए प्रति मिनट का खर्च आता था। मोबाइल ने भारत में जिस संचार क्रांति को जन्म दिया है उसका फायदा आज हर घर में पहुंच गया है। वर्तमान की ही बता करें तो मोबाइल से अपने जरूरी सामान की खरीददारी, किसी भी चीज की बुकिंग, रास्ते का ज्ञान, पढ़ाई वगैरह सब कुछ किया जा रहा है।
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