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Gyanvapi Sarve हाईकोर्ट के फैसले के बाद ज्ञानवापी में कल से शुरू होगा एएसआई का सर्वे, वाराणसी में पुलिस प्रशासन अधिकारियों का पहुंचना शुरू

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Gyanvapi Sarve हाईकोर्ट के फैसले के बाद ज्ञानवापी में कल से शुरू होगा एएसआई का सर्वे, वाराणसी में पुलिस प्रशासन अधिकारियों का पहुंचना शुरू

मुख्यधारा डेस्क

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए एएसआई को सर्वे करने की इजाजत दे दी है। ‌

उच्च न्यायालय ने सर्वे कराने की सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सेशन कोर्ट ने परिसर में शिवलिंग और हिंदू धार्मिक चिह्न होने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वे की इजाजत दी थी। इसके खिलाफ मुस्लिम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने तत्काल सर्वे पर रोक लगाकर मामला हाईकोर्ट भेज दिया था।

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में दलील दी है कि अगर एएसआई सर्वे से मस्जिद परिसर को नुकसान पहुंचेगा।

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हाईकोर्ट के फैसले के बाद वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के आसपास हलचल शुरू हो गई है। ज्ञानवापी में कल सुबह 7 बजे से सर्वे फिर शुरू होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाएगा। वाराणसी के पुलिस और प्रशासन का पहुंचना भी एक बार फिर से शुरू हो गया है।

‌हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे पर रोक की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि न्याय के लिए यह जरूरी है। इस सर्वे से किसी को नुकसान नहीं है। जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने कहा कि कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है।

ज्ञानवापी का सर्वे किया जाए लेकिन खुदाई की इजाजत नहीं होगी।एएसआई की ओर से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया जाएगा लेकिन कोर्ट ने उसे खुदाई की इजाजत नहीं दी है। एएसआई वजूखाने का सर्वे नहीं करेगी। इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सील किया गया है।

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हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन के मुताबिक इस सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा। बता दें कि अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था। अपनी याचिका में उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी।

इसी मामले को लेकर जज रवि कुमार दिवाकर के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर पर एडवोकेट सर्वे किया गया था। पिछले साल मई में हुए सर्वे के दौरान यहां हिंदू पक्ष की ओर से शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष की ओर से इसे फव्वारा बताया जा रहा है। हिंदू पक्ष ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की है।

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डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सर्वे से सच्चाई बाहर आएगी। ज्ञानवापी का विवाद श्रीराम जन्मभूमि के विवाद की तरह है। निर्णय होगा निस्तारण होगा। शिवभक्तों की मनोकामना पूरी होगी। वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. एसटी हसन ने ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश पर कहा कि हम अदालत के आदेशों का पालन करेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, मंदिर हो या मस्जिद, वह सबका एक ही है। आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में, कुछ फर्क नहीं है।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, हमें उम्मीद है कि न्याय होगा। क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है और मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं। भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि हाईकोर्ट ने सच का साथ दिया है। हमारे 20 हजार से ज्यादा मंदिर तोड़कर उस पर मस्जिद बना दिया गया था। हम तो कुछ ही मंदिरों की बात कर रहे हैं. मुस्लिम पक्ष को यह समझना चाहिए और देश के अन्य लोगों को भी समझना चाहिए।

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