कृतज्ञ राष्ट्र ने भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को किया याद
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
भारत रत्न व देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। एक ऐसा राजनेता जिसका सभी राजनीतिक दल सम्मान करते थे। यही नहीं अटल जी कुशल वक्ता थे। संसद में जब भी वह किसी विषय पर बोलते तो पक्ष क्या, विपक्ष क्या पूरा सदन शांत होकर उनकी बात सुनता। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता से लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक अटल जी ने राजनीति को एक नयी परिभाषा दी। महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक अटल बिहारी वाजपेयी भारत को सभी राष्ट्रों के बीच एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे।
वह ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे जिस देश की सभ्यता का इतिहास 5000 साल पुराना है और जो अगले हजार वर्षों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और 50 से अधिक वर्षों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया और बाद में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नावाजा गया। केवल इतना ही नहीं उन्हें 1994 में भारत का सर्वश्रेष्ठ सांसदचुना गया। अपने नाम के ही समान, अटल जी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति रहे।
अटल जी जनता की बातों को ध्यान से सुनते थे और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं। उनके द्वारा किए गए ये तमाम कार्य राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं। उनकी विनम्रता की मिसाल देते हुये उनके विरोध कहते थे कि अटल जी तो अच्छे हैं लेकिन सही पार्टी में नहीं है। सबसे बड़ी विशेषता जो अटल जी को औरों से अलग करती थी वह था उनका कविता प्रेम। उन्होंने जीवन और देश प्रेम पर आधारित कालजयी रचनाओं को गढ़ा। इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस विषय पर सबसे ज्यादा लिखा वह “मौत” था। उनके निधन के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में एक कविता रही है “मौत से ठन गई”।
जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ, सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र, शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं, दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला, न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज तूफान है, नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।
पार पाने का कायम मगर हौसला, देख तेवर तूफां का, तेवरी तन गई।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक आदर्शवादी और प्रशंसनीय राजनेता थे। 1996 में वे पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। 1998 में फिर से उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, इसके बाद वे तीसरी बार 1999 में प्रधानमंत्री बने और 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। हम आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शिंदेका बाड़ा मुहल्ले में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक थे और माता कृष्णा देवी घरेलू महिला थीं। वे अपने माता-पिता की सातवीं संतान थे। उनसे बड़े तीन भाई और तीन बहनें थीं। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज (जिसे अब लक्ष्मीाबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है) से स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण की थी। कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में भी कार्य किया था। 1957 में देश की संसद में जनसंघ में सिर्फ चार सदस्य थे जिसमें एक अटल बिहारी बाजपेयी भी थे।
क्या आप जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हिंदी में भाषण देने वाले अटल जी पहले भारतीय राजनीतिज्ञ थे। अटल बिहारी वाजपेयी की पहचान एक कवि की भी थी। उनका कविता संग्रह मेरी इक्वावन कविताएं उनके समर्थकों में खास लोकप्रिय है। साल 2015 में उन्हेंर भारत के सर्वोच्चव नागरिक सम्माखन भारत रत्नह से सम्मालनित किया गया था।
प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए जिससे भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा ही बदल गई थी। सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए राजस्थान के पोखरण में सन् 1998 में 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके हमारे देश को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया। यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली। भारत देश का यह परमाणु परिक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था की पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पायी थी। परमाणु परिक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगये परन्तु अटल जी ने इन सब चीज़ों की परवाह न करते हुए आगे बढ़े और हमारे देश को नई आर्थिक विकास की ऊँचाईयों तक ले गए। अटल जी ने 19 फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक की बस सेवा शुरू की, जिसे सदा-ए-सरहद का नाम दिया गया। बस सेवा शुरू कर के दोनों देश के बीच आपसी रिश्ते में सुधार लाने की पहल की और उस समय उन्होंने पाकिस्तान का दौरा भी किया और वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ सरीफ से मुलाकात भी की।
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ही भारत के सड़क मार्ग को जोड़ने का काम चारों कोनों से किया है। इसमें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों को राजमार्गों से जोड़ने का काम किया गया जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का नाम दिया गया और अभी तक अटल बिहारी वाजपेय जी कीसरकार ने ही सबसे ज्यादा सड़के बनवाई है। युगपुरुष और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को उत्तराखंड से खासा लगावा था। नैनीताल और मसूरी जैसे हिल स्टेशन उनकी पसंदीदा जगहों में शामिल थे। वह जब भी वह परेशान होते और सुकून चाहते तो नैनीताल और मसूरी का रुख लेते थे। अटल जी ने नैनीताल समेत आसपास के कई क्षेत्रों का भ्रमण किया। उन्होंने नैनीताल की बदहाल पड़ी झीलों को देखकर करीब 200 करोड़ रुपए का बजट दिया था। जिसके बाद से ही झील संरक्षण का काम शुरू किया गया। अटल जी को नैनीताल और मसूरी से खासा लगावा था। जब भी अवसर मिलता, वह मसूरी आते और पहाड़ी की शांत वादियों में विचरण किया करते। देहरादून में उनके गहरे पारिवारिक मित्र नरेंद्र स्वरूप मित्तल रहते थे और जब भी वाजपेयी देहरादून आते, उनके पास खासा वक्त गुजारते। अटल जी दून की सड़कों पर नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ 1975 मॉडल के स्कूटर पर सैर करते थे। अटल सरकार का बजट नैनीताल के लिए ऑक्सीजन बना।
राष्ट्रपति ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, कोमल हृदय, संवेदनशील मनुष्य, वज्रबाहु राष्ट्रप्रहरी, भारत माता के सच्चे सपूत, अजातशत्रु पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीयों के दिल में हमेशा हमेशा बने रहेंगे। उन्होंने देश को एक अलग ऊँचाइयों पर पहुँचाया था जिसे सम्पूर्ण देश आज भी याद करता है. वे देश को अलविदा कह चुके है उनकी गिनती देश की सियासत के उन चंद नेताओं में होती है जो कभी दलगत राजनीति के बंधन में नहीं बंधे। उन्हें हमेशा ही सभी पार्टियों से भरपूर प्यार व स्नेह मिला। देश के प्रधानमंत्री, विदेशमंत्री और लंबे समय तक संसद में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। लेकिन उन्होंने विदेश में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष हमेशा ही प्रभावशाली तरीके रख कर देश का मान बढ़ाया। छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आओ फिर से दिया जलाएं कविता के ये अनमोल शब्द उनके व्यक्तित्व की तरह अटल हैं। सदियां बीत जाएंगी लेकिन उनके द्वारा कही गई ये पंक्तियां दुनिया के जेहन में अमर और अटल रहेंगी।
आज 16 अगस्त के ही दिन भारत ने अपने एक बहुमूल्य रत्न के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को खो दिया था। यही कारण है कि आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश अटल जी को नम आंखों से याद कर रहा है। वे नीति सिद्धांत, विचार एवं व्यवहार की सर्वोच्च चोटी पर रहते हुए सदैव जमीन से जुड़े रहने वाले नेता रहे। उन्होंने राजनीति में कभी छोटे मन से काम नहीं किया।
(लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)