अच्छी खबर: आज चांद पर लहराएगा तिरंगा, चंद घंटे बाद चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चंद्रमा पर लैंड करेगा, 41 दिन पहले श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था मून मिशन
देशभर में हवन जारी
मुख्यधारा डेस्क
आज भारत ऐतिहासिक दिन के साथ इतिहास बनाने जा रहा है। एक ऐसा दिन जिसके लिए देश के वैज्ञानिक वर्षों से इंतजार कर रहे थे।आखिरकार वह शुभ घड़ी आ गई जब हमारा देश चंद्रमा की दुनिया में शामिल होने से कुछ कदम दूर है।
हम बात कर रहे हैं भारत के ‘मून मिशन चंद्रयान-3’ के बारे में। चंद घंटों के बाद भारत का तिरंगा चांद पर लहराएगा। जैसे ही घड़ी की सुई में शाम के 6:04 बजेंगे तभी 41 दिनों बाद चंद्रयान-3 चांद पर लैंड करेगा।
चंद्रयान-3 की सफलता के लिए भारत समय दुनिया भर के वैज्ञानिकों की निगाहें लगी हुई है। इस ऐतिहासिक और स्वर्णिम पल का भारत समेत कई देशों में सीधा प्रसारण भी किया जाएगा। लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट शाम 5:20 बजे से शुरू होगा।
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इस इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दक्षिण अफ्रीका से वर्चुअली जुड़ेंगे। पीएम मोदी इस समय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहानिसबर्ग गए हैं । वहीं इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि हमें विश्वास है कि यह एक सफल मिशन होगा। उन्होंने कहा, हम तैयार हैं। वहीं देशभर में भारत के मिशन मून की सफलता के लिए पूजा-पाठ, हवन किया जा रहे हैं। देशवासियों ने मंदिर से लेकर दरगाहों में कामना की है। भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह-सुबह विशेष ‘भस्म आरती’ की गई।
अजमेर की दरगाह हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज मुस्लिम धर्म गुरु चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए इबादत करते नजर आए। चंद्रयान-3 के पास साउथ पोल पर सबसे पहले उतरने का मौका है। यहां अब तक कोई नहीं उतर पाया है। इसरो ने चांद की नई तस्वीरें शेयर की हैं। जिस जगह चंद्रयान उतरेगा वहां सिर्फ पहाड़ हैं। इस इलाके में पानी और खनिज मिलने की संभावना है।
लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा। फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा। मिशन की सफलता के लिए देश में जगह-जगह पर हवन कराए जा रहे हैं। मिशन चंद्रयान 3 की चर्चा सिर्फ देश ही नहीं विदेश में हो रही है।
ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक में चंद्रयान के लिए शुभकामनाओं की गूंज तेज हो रही है लंदन में भारतीय छात्रों ने उद्य शक्ति माता मंदिर में चंद्रयान 3 की सफलता के लिए पूजा की। वहीं अमेरिका के वर्जीनिया में चंद्रयान 3 के लिए भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों ने हवन कराया।
यूनाइटेड किंगडम में भारतीय उच्चायुक्त ने भी इस मौके को ऐतिहासिक बताया है वहीं पड़ोसी मुल्क श्रीलंका के भारत में मौजूद उच्चायुक्त ने भी चंद्रयान मिशन को गौरव का क्षण बताया है।
बता दें कि 2019 में भारत के चंद्रयान-2 में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि इसकी चांद की सहत पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी।
चंद्रयान-2 लैंडिंग करते वक्त ही क्रैश कर गया था। इस बार चंद्रयान-3 मिशन को बनाते वक्त सबसे अधिक फोकस इसके सॉफ्ट लैंडिंग पर ही रहा है। विक्रम लैंडर के सफलता पूर्वक लैंड करने के बाद प्रज्ञान रोवर लैंडर के अंदर से निकलेगा और चांद की सतह पर मौजूद अहम जानकारी जुटाएगा। रोवर ही चन्द्रमा के सतह से मिली जानकारी को धरती पर भेजेगा।
14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था
बता दें कि 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। लैंडिंग होते ही यह 41 दिन में 3.84 लाख किमी का सफर तय कर नया इतिहास लिखेगा। इसे चांद की सतह पर उतरने में 41 दिन का समय लगा है। इससे पहले चीन, अमेरिका और रूस सिर्फ 4 दिन में भी अपने मिशन को पूरा कर चुके हैं।
चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सीधा नहीं जा रहा है बल्कि यह पृथ्वी और चांद की कक्षाओं में चक्कर लगाता हुआ आगे बढ़ रहा है। भारत पहला देश है जिसने इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। 41 दिन की यात्रा के बाद आखिरकार चंद्रयान-3 आज चांद पर पहुंचेगा। ये मिशन 14 दिन तक चांद पर एक्टिव रहेगा। इस दौरान चांद पर भूकंप की स्टडी, सतह पर गर्मी का अध्ययन, पानी की खोज, खनिज की जानकारी और मिट्टी की स्टडी करेगा।
चंद्रयान की कामयाबी चंद्रमा-पृथ्वी के साथ-साथ पूरे ब्रह्मांड की बेहतर समझ होगी। इंसानी बस्ती की संभावनाओं को तलाशा जा सकेगा। कम खर्च में मिशन लॉन्च करने की राह आसान होगी और भविष्य में अंतरिक्ष की खोज के लिए चंद्रमा पर स्टेशन बन सकेंगे। चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग के वक्त आखिरी के 15 मिनट सबसे अहम हैं। चंद्रमा की सतह की धूल सौर पैनलों के लिए मुश्किल बनेगी। चांद की सतह पर गड्ढे लैंडिंग में मुश्किल पैदा करेंगे। सफल लैंडिंग के लिए लैंडर की गति को कंट्रोल करना होगा। हजारों किमी/घंटे की रफ्तार 10 किमी/घंटे से भी कम करनी होगी। चंद्रयान 3 मिशन में साइंटिस्ट सुधांशु की बड़ी भूमिका है। सुधांशु इसरो हरिकोटा में साइंटिस्ट हैं।
चंद्रयान 3 के लॉन्च व्हीकल बनाने की 30 लोगों की टीम में सुधांशु तीसरे वैज्ञानिक रहे हैं। सैटेलाइट को ऑर्बिट तक पहुंचाने का काम लॉन्च व्हीकल से ही किया जाता है। साइंटिस्ट सुधांशु के माता-पिता बिहार के गया में रहते हैं। पिता आटा मिल चलाते हैं। सुधांशु ने साल 2021 में इसरो में बतौर वैज्ञानिक ज्वाइन किया था।
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रूस के चंद्रमा मिशन को लगा था बड़ा झटका, 2 दिन पहले स्पेसक्राफ्ट लूना-25 क्रैश हो गया
रूस के चंद्रमा मिशन को बड़ा झटका लगा है। सोमवार को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की तैयारी में लगा इसका स्पेसक्राफ्ट लूना-25 क्रैश हो गया है। 1976 के बाद से यह पहला मिशन था जो रूस के लिए काफी महत्वपूर्ण था। सोवियत संघ के पतन के बाद रूस ने कोई भी लूनर मिशन लॉन्च नहीं किया था। रूस ने सोयुज रॉकेट से लॉन्चिंग की थी। लूना-25 लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार ऑर्बिट में छोड़ा गया। जिसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट सीधे चांद के हाइवे पर निकल गया। उस हाइवे पर उसने 5 दिन यात्रा की। इसके बाद चांद के चारों के ऑर्बिट में पहुंचा। लेकिन तय लैंडिंग से एक दिन पहले ही क्रैश कर गया। रूस का प्लान था कि 21 या 22 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर उतरेगा। इसका लैंडर चांद की सतह पर 18 km ऊपर पहुंचने के बाद लैंडिंग शुरू करेगा। 15 km ऊंचाई कम करने के बाद 3 km की ऊंचाई से पैसिव डिसेंट होगा। यानी धीरे-धीरे लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। 700 मीटर ऊंचाई से थ्रस्टर्स तेजी से ऑन होंगे ताकि इसकी गति को धीमा कर सकें। 20 मीटर की ऊंचाई पर इंजन धीमी गति से चलेंगे। ताकि यह लैंड हो पाए।
लूना 25 मिशन की शुरुआती जांच से पता चलता है कि मैनुवर के समय वास्तविक और अनुमानित गणना में विचलन हुआ था। इस वजह से स्पेसक्राफ्ट एक ऐसी कक्षा में चला गया जिसकी अपेक्षा ही नहीं की गई थी। इस वजह से चांद के साथ यह टकराया और क्रैश हो गया।
एजेंसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, लूना-25 उड़ान कार्यक्रम के अनुसार, इसकी प्री-लैंडिंग अण्डाकार कक्षा बनाने के लिए इसे गति प्रदान की गई थी। स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब दो बजकर 57 मिनट पर लूना-25 का कम्युनिकेशन सिस्टम ब्लॉक हो गया था। इस वजह से कोई भी संपर्क कायम नहीं हो पाया।