काउंसिल चुनाव : लद्दाख-कारगिल परिषद चुनाव (Ladakh-Kargil Council elections) की तस्वीर साफ, नेशनल कांफ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनी, कांग्रेस दूसरे नंबर पर, भाजपा को बड़ा झटका
मुख्यधारा डेस्क
लद्दाख पहाड़ी स्वायत्त विकास परिषद (एलएएचडीसी) कारगिल के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जीत मिली है। उसके बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही । हालांकि कांग्रेस और नेशनल कांग्रेस ने साथ में मिलकर यह चुनाव लड़ा था। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में बड़ा झटका लगा है।
रविवार सुबह शुरू हुई वोटों की मतगणना पूरी हो चुकी है। 26 सीटों पर हुए इलेक्शन में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई। कांग्रेस ने 10 सीटें जीती हैं। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस गठबंधन ने अब तक 22 सीटें जीती हैं।
उधर, भाजपा ने 2 सीटें जीतीं और 2 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं। 30 सदस्यीय काउंसिल की 26 सीटों पर 4 अक्टूबर को चुनाव हुए थे। कांग्रेस को मिली जीत से पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में खुशी की लहर है। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की यात्रा को व्यापक असर चुनावों में देखने को मिल रहा है।
लद्दाख की जनता ने खुलकर कांग्रेस को समर्थन दिया है। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, यह पिछले महीने लद्दाख में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का सीधा असर है।
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद-करगिल चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर अब तक 17 सीट जीत ली हैं जबकि मतगणना अभी जारी है। उधर, नेशनल कांफ्रेंस के समर्थकों के बीच भी खुशी देखी जा रही है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एलएएचडीसी (लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद)-कारगिल चुनावों में कांग्रेस-एनसी गठबंधन की जीत के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रति आभार व्यक्त किया।
अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि ये चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी होनी चाहिए.उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘भाजपा को कारगिल में एनसी-कांग्रेस गठबंधन के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा।
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कांग्रेस पार्टी के साथ हमारे मजबूत गठबंधन के जश्न में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस को एलएएचडीसी कारगिल चुनावों में अपनी जीत की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।
चुनाव में हार के लिए भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह परिणाम उन सभी ताकतों और पार्टियों को एक संदेश देता है जो अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से जम्मू- कश्मीर और लद्दाख को अपने लोगों की सहमति के बिना विभाजित किया है।
वहीं, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी कारगिल चुनाव पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को कारगिल में अपनी जीत दर्ज करते देखकर खुशी हो रही है। 2019 के बाद यह पहला चुनाव है और लद्दाख के लोगों ने खुलकर अपना मत जाहिर किया है।
कारगिल डिवीजन नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ रहा है और कांग्रेस विपक्ष के रूप में बनी हुई है। बता दें कि चुनाव में 77.61 फीसदी वोट पड़े थे। कुल 95,388 में से 74,026 मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया था। इनमें 48625 पुरुष तथा 46762 महिलाएं थीं। सबसे अधिक सालिसकूट सीट पर 90 फीसदी वोट पड़े हैं। करसा में केवल 69 प्रतिशत मतदान हुआ, अन्य सभी सीटों पर 70 फीसदी से अधिक मतदाता हुआ। आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख के कारगिल में पहला स्थानीय चुनाव है। नई परिषद 11 अक्टूबर से पहले गठित होने वाली है।