नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
पुरोला के मठ गांव के ग्रामीणों ने शनिवार को तहसील परिसर में आकर पुलिस पर मारपीट करने व मारपीट कर युवक को घायल करने का आरोप लगाते हुए उपजिलाधिकारी सोहन सिंह सैनी का घेराव कर हंगामा किया। साथ ही दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ नारेबाजी कर कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।
राजस्व पुलिस क्षेत्र होने के बावजूद पुलिस के क्षेत्र में इस प्रकार घूमने व खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों से मारपीट करने की जांच की मांग की गई है।
मामला पुरोला से गुंदियाटगांव मोटर मार्ग के मठ गांव का है। पुरोला से महज 8 किमी दूर मठ गांव है, जहां गुरुवार देर रात को गांव के श्रवण कुमार 16 वर्ष निवासी उपला मठ अपने पिता प्यारेलाल के साथ खेतों में रोपाई हेतु पानी लगाने के लिए गया था। तभी दो पुलिस कर्मियों ने आकर मनवीर के नाम से गाली गलौच कर मारपीट करनी शुरू कर दी।
उपजिलाधिकारी को दिए गए शिकायती पत्र में युवक के पिता प्यारे लाल ने कहा कि हमने पुलिस कर्मियों को मारपीट करने से रोकते हुए कहा कि हममें से मनवीर कोई नहीं है। यह मेरा बेटा श्रवण है, लेकिन बिना वर्दी में आये पुलिस कर्मियों ने जाति सूचक शब्दों से गाली गलौच की व मारपीट की, जिसमें श्रवण कुमार घायल हो गया।
पुलिस पर आरोप लगाते हुए युवक के पिता प्यारेलाल ने कहा कि विरोध करने पर हम दोनों बाप-बेटों को लात घूसों से मारा गया व जान से मारने की धमकी दी गई।
उन्होंने उपजिलाधिकारी से दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर शीघ्र कानूनी कार्यवाही कर न्याय दिलवाने की मांग की है।
इस संबंध में पुरोला के थानाध्यक्ष ऋतुराज रावत का कहना है कि विगत दो दिन पूर्व लमकोटी के किसी मनवीर सिंह नाम के युवक की किसी महिला को गाली गलौच कर अभद्रता की शिकायत पर पुलिस दबिश में गई। जिसमें उक्त दोनों से पूछताछ की जा रही थी, लेकिन इन दोनों लोगों द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग कर गाली गलौच की गयी। जिस पर हमारे पुलिस कर्मियों ने समझाने की कोशिश की। मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों में हाथापाई हुई है।
उपजिलाधिकारी सोहन सिंह सैनी ने कहा कि मामले को लेकर पुलिस क्षेत्राधिकारी को अवगत करवा दिया गया है, जो मामले की जांच कर रहे हैं। जो भी पक्ष दोषी होगा, निश्चित उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
तहसील में प्रदर्शन करने वालों में प्यारे लाल, शीशपाल, बिजलु, गोविंद, राजेश, जगदीश, चंद्रमोहन सिंह, जयेंद्र सिंह राणा, विपिन, संगीता, बिजमा, सुनीता, सलिता, वीना, सरोज देवी, बिनीता, सरिता, कृष्णा, सिंदूरी, दशरथि, बृंदा देवी, नीलम, आशा व कलमी आदि थे।
बहरहाल दोनों पक्षों में से कौन दोषी है, यह तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन प्रथम दृष्टया सवाल यह है कि उत्तराखंड की मित्र पुलिस ने मार पिटाई का अधिकार अपने हाथ में कैसे ले लिया? अगर वह दोषी होते तो उन्हें पकड़ कर थाना ले जाया जाना चाहिए था और उन पर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा न करते हुए प्यारेलाल और उनके पुत्र के साथ मारपीट किया जाना निंदनीय है। ऐसे में पुलिस की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं।