अल्मोड़ा। पहाड़ों में वन्य नरभक्षी जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार अल्मोड़ा जनपद के पेटशाल के डुंगरी उडल गांव में तेंदुआ(Lepard) ढाई साल के मासूम को उठाकर ले गया। घटना के बाद पीछे भागे परिजनों को मासूम का शव करीब तीन सौ मीटर दूरी पर बरामद हो गया है। घटना के बाद से गांव के लोग खौफजदा हैं, वहीं मासूम के परिजनों की स्थिति अपने लाडले को लेकर बदहाल है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार सायं भैंसियाछाना विकासखंड के अंतर्गत पेटशाल उडल गांव में हेमा मेहरा घर के आंगन में अपने ढाई साल के मासूम बेटे हर्षित को दूध पिला रही थी। तभी अचानक से वहां तेंदुए ने हमला कर दिया और उनके बच्चे को छीनकर भाग गया। अचानक हुए हमले के वक्त हक्के-बक्के होकर मां-बाप देखते ही रह गए। शोर के बाद ग्रामीण भी उसके पीछे-पीछे दौड़े तो तेंदुआ वहां से भाग गया, लेकिन कुछ दूरी पर बच्चे का शव बरामद कर लिया गया। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और छानबीन की और तेंदुए को पकडऩे के प्रयास किए जा रहे हैं।
बताते चलें कि उक्त क्षेत्र नरभक्षी गुलदार व तेंदुए के लिए काफी संवेदनशील माना जाता है। इससे पहले भी यहां कई लोग तेंदुए के शिकार हो चुके हैं। गत वर्ष भी यहां रमेश और एक अन्य बुजुर्ग तेंदुए की भेंट चढ़ चुके हैं। अब इस बार ढाई वर्ष के नन्हें बच्चे को तेंदुए द्वारा निशाना बनाए जाने के बाद ग्रामीण काफी डरे हुए हैं।
ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि पीडि़त परिवार को उचित मुआवजा दिलाया जाए और तेंदुए को शीघ्र से शीघ्र पकड़ा जाए, ताकि किसी अन्य ग्रामीण को इसका शिकार होने से बचाया जा सके।
बहरहाल आप महसूस कर सकते हैंं कि जिस मां-बाप के बच्चे को तेंदुआ जैसा खूंखार जानवर उनकी गोद से छीन कर ले जाए तो उनके मन मस्तिष्क पर आखिर क्या गुजर रही होगी? सवाल यह है कि आखिर वन्यजीवों के आतंक और हमलों में अपनी जान कब तक पहाड़वासी गंवाते रहेंगे? क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा कोई सटीक और दूरगामी रणनीति बन पाएगी!