Header banner

उत्तराखंड की “गडेरी” औषधीय गुणों से भरपूर 

admin
g 1 1

उत्तराखंड की “गडेरी” औषधीय गुणों से भरपूर 

harish

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड में अलग-अलग मौसम के हिसाब से अलग-अलग प्रकार की सब्जियां मिलती हैं,जो सेहत के हिसाब से काफी फायदेमंद मानी जाती है। इसका सेवन करने के स्वास्थ्य लाभ होता है। खास कर यहां के बागेश्वर जिले की सब्जी गडेरी पूरे उत्तराखंड में प्रसिद्ध और बाजार में इसकी मांग भी खूब है। खास कर लौबांज, गौरीउड़यार और कपकोट की गडेरी को पूरे उत्तराखंड के लोग पसंद करते हैं। गडेरी उत्तराखंड की एक ऐसी सब्जी है जिसमें काफी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। गडेरी की सब्जी का उत्पादन पहाड़ के लगभग सभी जिलों में किया जा रहा है। जिसमें
चंपावत और टिहरी में इसका उत्पादन सबसे ज्यादा हो रहा है। इसके अतिरिक्त बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल आदि जिलों में भी किसान व बागवान गडेरी को उगा रहे हैं।

यह भी पढें : जीत गई जिंदगी, मिली सफलता, उत्तराखंड को सबक और संदेश

पहाड़ की गडेरी को भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग- अलग नाम से जाना जाता है। इसे अरबी भी कहा जाता है। कुछ लोग इसके पत्तों की पकौड़ी बनाकर खाना पसंद करते हैं तो कुछ इसकी सब्जी, कई जगहों पर तो इसे व्रत में फलाहार के रूप में भी खाई जाता है। गडेरी जाड़ों में खाई जाने वाले लोकप्रिय सब्जी है। जिसके फायदे भी चौकाने वाले हैं। ये फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है. इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-आक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। गडेरी औषधीय गुणों से भरपूर है। ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।

यह भी पढें : कल्जीखाल : ब्लॉक स्तरीय खेल महाकुम्भ (Khel Mahakumbh) का प्रमुख बीना राणा ने किया उदघाटन

गडेरी में सोडियम की अचछी मात्रा पाई जाती है। यह तनाव को भी दूर कर सकता है। कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने से रोकती है। मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है। इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रहता है। पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। अरबी भूख को नियंत्रित करने का काम करती है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर्स मेटाबालिज्म को सक्रिय बनाते हैं जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भी यह लाभदायक है।कत्यूर घाटी में इस बार गडेरी का खासा उत्पादन हुआ है। हालांकि मांग से ज्यादा उत्पादन होने के कारण किसानों को गडेरी के दाम पिछले साल से कम मिल रहे हैं। पिछले वर्ष 40 रुपये किलो तक बिकी गडेरी इस बार 30 से 35 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है। इसके बावजूद किसानों और व्यापारियों को बेहतर कमाई की उम्मीद है।

यह भी पढें : पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए डॉ. त्रिलोक सोनी (Dr. Trilok Soni) सम्मानित

कत्यूर घाटी के ऊंचाई वाले इलाके में गडेरी की खेती होती है। क्षेत्र के लौबांज, अणां और उड़खुली गांव की गडेरी वर्षों से लोकप्रिय है। कत्यूर घाटी के ऊंचाई वाले गांवों का हर किसान गडेरी उगाता है। इस उत्पादन में किसानों को पसीना बहाना पड़ता है। बेमौसमी बारिश होने के कारण इस बार विकासखंड क्षेत्र में गडेरी का उत्पादन बढ़ा है।अणां गांव के किसान योगेंद्र सिंह बिष्ट, ठाकुर सिंह रावत, दान सिंह परिहार, सुंदर सिंह किरमोलिया ने बताया कि उन्होंने चार से पांच किलो वजन की गडेरी उगाई है। इस बार गडेरी का उत्पादन अच्छा होने के कारण दूरदराज से ग्राहक गडेरी खरीदने गांव पहुंच रहे हैं। किसान 35 से 40 रुपये की दर से गडेरी बेच रहे हैं।गडेरी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध गांव लौबांज निवासी किसान ज्येष्ठ उपप्रमुख बहादुर सिंह कोरंगा, एडवोकेट जेसी आर्या ने बताया कि गांव का हर परिवार साल में दस हजार रुपये तक की गडेरी बेचता है।

यह भी पढें : Five State Exit polls : नतीजों से पहले पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए जानिए एग्जिट पोल की भविष्यवाणियां, सभी पार्टियों ने किए अपनी-अपनी जीत के दावे

पूर्व सीएम को लौबांज की गडेरी का स्वाद काफी भाता है। वह हर साल गांव से गडेरी मंगवाते हैं।होटल एसोसिएशन कौसानी के अध्यक्ष ने बताया कि क्षेत्र के कुछ होटलों में शीतकाल में गडेरी की सब्जी बनती है। इसलिए उन्होंने पर्यटन विभाग और कुमाऊं मंडल विकास निगम प्रबंधन से जिले के हर होटल और पर्यटक आवास गृहों में गडेरी की सब्जी परोसने के निर्देश जारी करने की मांग की है। वर्तमान में गडेरी उत्पादन में जंगली जानवर एक बड़ी समस्या बन कर उभरे हैं। जमीन के नीचे होने के बाद भी जंगली सुअर इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। बड़े स्तर पर जंगली सुअर का आतंक बढऩे के चलते पहाड़ में कई बागवानों का गडेरी की खेती से मोहभंग भी होने लगा है। इसके बाद भी इसकी लोकप्रियता के चलते खेती की जा रही है।

लेखक ने बताया कि कंद सब्जी में गडेरी का महत्वपूर्ण स्थान है। गडेरी स्वादिष्ट होने के साथ पेट संबंधी बीमारियों के इलाज में ये रामबाण मानी जाती है। ग्राहकों को यहां गडेरी का बाजार में बेसब्री से इंतजार रहता है। इस समय मंडी में किसानों से गडेरी 40 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदी जा रही और ग्राहकों को 60-70 रुपए के हिसाब से बेची जा रही है। सड़क नहीं होने और सुअरों के आतंक की वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां के एक गडेरी का वजन पांच किलो तक का भी होता है।खनिज तत्वों से भरपूर होने के कारण इसे नियमित भोजन में लोग प्रयोग कर रहे हैं। लोकल-वोकल और स्थानीय उत्पादों से लोगों की आय बढ़ाने के तमाम दावे होते रहे हैं। इतर किसान जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं।

यह भी पढें : New rules for buying SIM cards : आज से सिम कार्ड खरीदने के लिए इन नियमों का करना होगा पालन, जानिए क्या है नया नियम

गडेरी की फसल लौबांज, गौरिउडियार, मालता, डोबा, धारी, पालड़ीछीना, शीशाखानी, लेटी, हड़बाड़ आदि स्थानों पर किसान गडेरी का उत्पादन करते हैं। गडेरी की फसल होते ही इन क्षेत्रों के किसानों से कई लोग संपर्क करके गडेरी की बुकिग कराते हैं। मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इनसे गडेरी रखवाते हैं। गडेरी पिछले सालों की तरह बाजार तक नहीं पहुंच पा रही है।

(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)

Next Post

बदलेगी तस्वीर : चार राज्यों के नतीजे लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की लिखेंगे 'पटकथा', कल खुलेगा ईवीएम का पिटारा, बढ़ी धड़कनें

बदलेगी तस्वीर : चार राज्यों के नतीजे लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की लिखेंगे ‘पटकथा’, कल खुलेगा ईवीएम का पिटारा, बढ़ी धड़कनें शंभू नाथ गौतम कड़ाके की ठंड में सियासी तापमान गरमाया हुआ है। चुनाव नतीजों की तस्वीर साफ होने […]
l

यह भी पढ़े