Loksabha election 2024: लोकतंत्र के महापर्व की बजी घंटी, सात चरणों में होगा मतदान, आचार संहिता लागू, देखें लोकसभा का चुनावी पूरा शेड्यूल
(देश में लोकसभा चुनाव (Loksabha election 2024) की तारीखों का एलान हो गया है। चुनाव आयोग ने शनिवार दोपहर 4 बजे लोकसभा चुनाव के कार्यक्रमों की जानकारी दी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि 543 सीटों के लिए यह सात फेज में होगा। वोटिंग से लेकर नतीजे तक इसमें 46 दिन लगेंगे। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा, दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल, तीसरे चरण का मतदान सात मई, चौथे चरण का मतदान 13 मई, पांचवें चरण का मतदान 20 मई, छठे चरण का मतदान 25 मई और सातवें चरण का मतदान एक जून को होगा। चुनाव परिणाम चार जून को घोषित किए जाएंगे। उत्तराखंड में पहले चरण में 19 अप्रैल को सभी पांच लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग होगी। वहीं चार राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे। इसी के साथ देश में आचार संहिता भी लागू हो गई है।)
शंभू नाथ गौतम
आखिरकार इंतजार की घड़ियां समाप्त हो गईं। देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के महापर्व का आगाज हो गया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने शनिवार, 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की घंटी बजा दी है। कई दिनों से लोकसभा चुनाव के एलान को लेकर निर्वाचन आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार किया जा रहा था।
शनिवार दोपहर 4 बजे चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के कार्यक्रमों की जानकारी दी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि 543 सीटों के लिए यह सात फेज में होगा। वोटिंग से लेकर नतीजे तक इसमें 46 दिन लगेंगे। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा, दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल, तीसरे चरण का मतदान सात मई, चौथे चरण का मतदान 13 मई, पांचवें चरण का मतदान 20 मई, छठे चरण का मतदान 25 मई और सातवें चरण का मतदान एक जून को होगा।
चुनाव परिणाम चार जून को घोषित किए जाएंगे। सबसे ज्यादा 102 लोकसभा सीटों पर पहले फेज में चुनाव करवाया जाएगा। दूसरे फेज में 89 लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी। तीसरे फेज में 94 और चौथे फेज में 96 लोकसभा सीटों पर होगी। पांचवे चरण में 49 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे, छठे चरण में 57 लोकसभा सीटों पर और सातवें चरण में 57 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी। 4 जून को नतीजे आएंगे।
उत्तराखंड में पहले चरण में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां सात चरणों में पूरी प्रक्रिया संपन्न होगी। जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़े राज्य में 80 लोकसभा सीटें हैं, जोकि देश में किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा हैं।
बता दें कि 2019 में लोकसभा चुनाव सात चरणों में करवाए गए थे। पिछली बार 10 मार्च को चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान किया था। पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल और आखिरी चरण के लिए 19 मई को वोटिंग हुई थी। नतीजे 23 मई को आए थे। उस चुनाव के वक्त देश में 91 करोड़ से ज्यादा वोटर्स थे, जिनमें से 67 फीसदी ने वोट डाला था।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 2014 से भी बड़ी जीत हासिल की थी। 2014 में बीजेपी ने 282 सीट जीती थी, जबकि 2019 में 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
वहीं, एनडीए ने 353 सीटें हासिल की थी. बीजेपी को 37.7% से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि एनडीए ने 45% वोट हासिल किए थे। कांग्रेस 52 सीटों पर ही जीत सकी थी।
पहले चरण की शुरुआत 19 अप्रैल से, 20 मार्च को जारी होगा गजेट नोटिफिकेशन
लोकसभा के पहले चरण की शुरुआत 19 अप्रैल से होगी।
जिसके लिए 20 मार्च को गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, जम्मू कश्मीर, लक्षद्वीप, पुद्दुचेरी की कुल 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।
दूसरा चरण (13 राज्यों की 89 सीटों के लिए चुनाव होगा) 28 मार्च को गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। 26 अप्रैल को मतदान होगा। असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर की कुल 89 सीटों पर मतदान होगा।
तीसरा चरण (12 राज्यों की 94 सीटों के लिए चुनाव होगा) 12 अप्रैल को गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। 7 मई को मतदान होगा। असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दादर नागर हवेली और दमन दीव की कुल 94 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।
चौथा चरण (10 राज्यों की 96 सीटों के लिए चुनाव होगा) 18 अप्रैल को गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। 13 मई को मतदान होगा। आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर की कुल 96 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।
पांचवां चरण (8 राज्यों की 49 सीटों के लिए चुनाव होगा) 26 अप्रैल को गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। 20 मई को मतदान होगा। छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रेदश, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, लद्दाख की 49 सीटों पर मतदान होगा।
छठा चरण (7 राज्यों की 57 सीटों के लिए चुनाव होगा) 29 अप्रैल गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। 25 मई को मतदान होगा। बिहार, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली की कुल 57 सीटों पर मतदान होगा।
सातवां चरण (8 राज्यों की 57 सीटों के लिए चुनाव होगा) 7 मई को गजेट नोटिफिकेशन जारी होगा। 1 जून को मतदान होगा। बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ की कुल 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।इसके साथ 26 विधानसभाओं में उपचुनाव होना है। जिसमें- बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, त्रिपुरा, वेस्ट बंगाल, हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश में बाईपोल होना है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि इस देश में कुल मतदाता 96.8 करोड़ हैं। जिनमें से 49.7 करोड़ पुरुष और 47 करोड़ महिलाएं हैं। 1.82 करोड़ पहली बार मतदाता इन चुनावों में हैं। 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या में 6% की बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग ने कहा- दुनिया में सबसे ज्यादा 96.88 करोड़ वोटर्स लोकसभा चुनावों में वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं।
चुनाव आयोग ने बताया कि 85 साल के वोटर घर से मतदान कर सकेंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि हमारी मतदाता सूची में 85 साल से अधिक उम्र के 82 लाख और सौ साल से अधिक उम्र के 2.18 लाख मतदाता शामिल हैं। हर जिले में कंट्रोल रूम है। टीवी, सोशल मीडिया, वेबकास्टिंग, 1950 और सी विजिल पर शिकायत की व्यवस्था की गई है। एक सीनियर अफसर हमेशा इन 5 चीजों पर नजर रखेगा। जहां शिकायत मिलेगी, सख्त कार्यवाही की जाएगी।
इलेक्शन की तारीखों का एलान ऐलान होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार आ गया है। चुनाव आयोग ने 2024 लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है।
हम, भाजपा-एनडीए चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हम सभी क्षेत्रों में सुशासन के अपने ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर लोगों के पास जा रहे हैं। दस साल पहले, हमारे सत्ता संभालने से पहले भारत के लोग इंडिया गठबंधन के दयनीय शासन के कारण ठगा हुआ और निराश महसूस कर रहे थे। कोई भी क्षेत्र घोटालों और नीतिगत पंगुता से अछूता नहीं रहा। विश्व ने भारत का साथ छोड़ दिया था। वहां से, यह एक शानदार बदलाव रहा है।
उत्तराखंड में भाजपा ने पांच और कांग्रेस ने तीन प्रत्याशी घोषित किए
उत्तराखंड में लोकसभा की 5 सीटें हैं, जिनमें से एक सीट अल्मोड़ा अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। बीजेपी का फिलहाल राज्य की राजनीति पर पूरा दबदबा है, क्योंकि उन्होंने 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनावों में सभी पांचों सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने उत्तराखंड की तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पौड़ी गढ़वाल से गणेश गोदियाल, टिहरी से जोत सिंह गुनसोला और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से प्रदीप टम्टा पर कांग्रेस ने दांव खेला है। अभी कांग्रेस को दो सीटों पर और प्रत्याशियों का नाम घोषित करना है। पहली सूची में भाजपा ने टिहरी गढ़वाल, नैनीताल और अल्मोड़ा लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किए थे। इन तीनों ही सीटों पर प्रत्याशी रिपीट किए गए थे। टिहरी गढ़वाल सीट से माला राज्यलक्ष्मी शाह, नैनीताल सीट से अजय भट्ट और अल्मोड़ा सीट से अजय टम्टा को उम्मीदवार बनाया गया है।
वहीं दूसरी सूची में भाजपा ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों का पत्ता काटकर पौड़ी गढ़वाल सीट पर सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी और हरिद्वार से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर दांव लगाया है। अनिल बलूनी पीएम मोदी के भी करीबी माने जाते हैं। वहीं, अभी तक गढ़वाल सीट से पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत और हरिद्वार से पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं।
वहीं, मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़ने के बाद से त्रिवेंद्र को राजनीतिक अवसर का इंतजार था। करीब 3 साल बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत एक बार फिर सक्रिय राजनीति में वापसी कर रहे हैं।
लोकसभा के साथ चार राज्यों में भी होंगे विधानसभा चुनाव
लोकसभा के साथ 4 राज्यों- आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनाव की तारीखें भी जारी कर दी गई हैं। ओडिशा में 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को वोटिंग होगी। बाकी तीन राज्यों में एक फेज में चुनाव होंगे।
अरुणाचल और सिक्किम में 19 अप्रैल, आंध्र प्रदेश में 13 मई को वोट डाले जाएंगे। ओडिशा की 147, सिक्किम की 32, अरुणाचल प्रदेश की 60 और आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार है। यहां भाजपा सीधे मुकाबले में है। नवीन पटनायक यहां साल 2000 से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं। यहां पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी, अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना और भाजपा गठबंधन एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। 2019 में पार्टी ने 60 में से 42 सीटें जीती थीं।
इसके अलावा सिक्किम में प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार है। यहां भाजपा गठबंधन की सरकार में शामिल है। सिक्किम में लोकसभा की 1 और विधानसभा की 32 सीटें हैं। प्रेम सिंह तमांग उर्फ पीएस गोले के नेतृत्व में राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार है। 1994 से लेकर 2019 तक राज्य में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार रही। पार्टी के चीफ पवन चामलिंग लगातार 24 साल 166 दिन तक सीएम पद पर रहे। हालांकि, 2019 विधानसभा चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीटें मिली थीं, वहीं चामलिंग की पार्टी को 15 सीटें ही मिली थीं।
लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही आचार संहिता लागू
लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ आज से ही देशभर में आचार संहिता भी लागू हो गई है। यानी अब देश में कई तरह की पाबंदियां शुरू हो गई हैं। चुनाव आयोग ने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों के लिए जरूरी होता है। इलेक्शन कमीशन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दल (दलों) और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से इसका पालन सुनिश्चित करता है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन के प्रयोजनार्थ अधिकारी तंत्र का दुरूपयोग न हो।
आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। आचार संहिता सभी राजनीतिक दलों की सहमति से लागू एक सिस्टम है। चुनाव आयोग जब चुनाव की तारीखों की घोषणा करता है। उसी के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है। इस बार आचार संहिता 16 मार्च, 2024) से लागू हो गई। आचार संहिता निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है। या दूसरे शब्दों में कहें तो आचार संहिता चुनावी परिणाम आने तक लागू रहती है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता समाप्त हो जाती है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं। इन नियमों का उल्लंघन कोई भी राजनेता या राजनीतिक दल नहीं कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन के दौरान अपराध, कदाचार और भ्रष्ट आचरण, रिश्वतखोरी और मतदाताओं को प्रलोभन, मतदाताओं को धमकाना और भयभीत करने जैसी गतिविधियों को रोका जा सके। इनके उल्लंघन के मामले में उचित कार्रवाई की जाती है। अगर कोई शख्स या राजनीतिक दल नियमों का पालन नहीं करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ एक्शन ले सकता है। प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका भी जा सकता है। साथ ही उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज भी की जा सकती है। दोष सिद्ध होने पर प्रत्याशी को सलाखों के पीछे भी जाना पड़ सकता है। आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। ट्रांसफर कराना बहुत जरूरी हो गया हो, तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये निर्णय नहीं ले सकती है। इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं।
इस बीच राजनीतिक पार्टियां चुनावी अखाड़े में जमकर पसीना बहा रही हैं और मतदाताओं को आकर्षित करने में लगी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए हैट्रिक लगाने की जुगत में है, जबकि विपक्ष ने पीएम मोदी को हराने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया है और एनडीए को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए पूरी कोशिश में जुटा हुआ है।
आचार संहिता लागू होने के बाद मौजूद सरकार कोई भी नया नीतिगत फैसला नहीं कर सकेगी और नही उसका एलान कर सकेगी। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है और उससे पहले नई सरकार का गठन करना होगा।