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सरकारी स्कूल (Government School) का कमाल! 41 बच्चों का हुआ सैनिक स्कूल में चयन

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सरकारी स्कूल (Government School) का कमाल! 41 बच्चों का हुआ सैनिक स्कूल में चयन

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखण्ड, विषम भौगोलिक परिस्थितियों से घिरा एक ऐसा राज्य है जहां सड़क,शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी ना होने के कारण सर्वाधिक पलायन होता आया है। लेकिन अब धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रहीं हैं जिन पहाड़ के स्कूलों पर लोग अच्छी शिक्षा मुहैया ना कराने का आरोप लगाते हुए शहरों की ओर पलायन करते रहते हैं आज पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित वहीं स्कूल कमाल कर रहे हैं। इसकी सबसे अच्छी तस्वीर बागेश्वर जिले के राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट की है, जहां से लगातार बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

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बीते रोज घोषित हुए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की प्रवेश परीक्षा के परिणामों में भी इस विद्यालय के 40 छात्र छात्राओं ने सफलता हासिल की
है। सबसे खास बात तो यह है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इससे पूर्व वर्ष 2022 में भी इस स्कूल के 22 छात्रों ने ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा क्वालीफाई किया था। वर्ष 2016 में आदर्श विद्यालय का दर्जा हासिल करने वाले इस स्कूल की कमान प्रधानाध्यापक केडी शर्मा के हाथों में है। अपनी कड़ी मेहनत से वह न केवल लगातार इस स्कूल को बेहतर बना रहे हैं बल्कि इस स्कूल के बच्चे भी अब शहरों में
स्थित बड़े बड़े स्कूलों की तरह न‌ए न‌ए मुकाम हासिल कर रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्र में स्थित इस विद्यालय के छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में सैनिक स्कूल के साथ ही नवोदय के लिए भी चयनित हो रहे हैं।

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पहाड़ के अधिकांश सरकारी स्कूलों में जहां छात्र छात्राओं की कमी के कारण ताले लटकाने की नौबत आ रही है वहीं यह एक ऐसा सरकारी स्कूल हैं जहां पहली कक्षा से प्रवेश के लिए बच्चों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। इतना ही नहीं इस स्कूल में प्रवेश पाने के लिए बच्चों को एंट्रेंस एग्जाम भी देना पड़ता है।कपकोट के राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है।विद्यालय की नींव 1872 में रखी गई थी। यह सरकारी विद्यालय जिले के बड़े और नामी प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहा। जहां एक ओर उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्र पढ़ने नहीं आ रहे हैं और न ही परिजन बच्चों को वहां पढ़ाना पसंद करते हैं। जिस कारण कई स्कूल बंद भी हो गए हैं।स्कूलों के बंद होने के कारण गांवों से पलायन भी हो रहा है।

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वहीं, दूसरी ओर आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट में प्रवेश के लिए मारामारी रहती है।एडमिशन के समय अभिभावक और बच्चों से बेसिक, राइटिंग, रीडिंग आदि टेस्ट लिए जाते हैं। जो कि उत्तराखंड का पहला ऐसा स्कूल है, जहां प्राइवेट स्कूलों से बच्चों को निकाल कर प्राथमिक स्कूल में डाला जा रहा हो।सुबह की प्रार्थना सभा ही विद्यालय की अनोखी है, जहां प्रार्थना के बाद बच्चों को स्कूल के हर अध्यापक अपने-अपने विषय का कुछ न कुछ टॉपिक देते हैं।जिसे रोचक और मनोरंजक तरीके से बच्चों को सिखाया जाता है। स्कूल के सभी अध्यापक करीब 14घंटे बच्चों के लिए उपलब्ध रखते हैं।इस स्कूल के शिक्षक भी सिर्फ नौकरी करने के लिए नहीं पढ़ाते हैं, बल्कि शिक्षक पहले 6 घंटे की ऑफिशियल ड्यूटी करते हैं। इसके बाद शिक्षक 12 से 14 घंटे विद्यालय में रहकर एक्स्ट्रा क्लास लेते। साथ ही छात्रों की डाउट क्लियर करते हैं साथ ही
ट्यूशन लेते हैं और दूसरी गतिविधियों में भी बच्चों को शामिल करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यालय मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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शिक्षा व्यवस्था को इस विद्यालय ने आईना दिखाया है. इसमें प्रधानाध्यापक केडी शर्मा की मेहनत रंग लाई है. वर्तमान में कक्षा एक के लिए पंजीकरण हो रहे हैं।बीते दो दिन में ही 100 बच्चों के पंजीकरण हो गए हैं, लेकिन 250 से ज्यादा बच्चों का ही पंजीकरण किया जाता है। जिसमें से 50 बच्चों को ही प्रवेश मिलता है।प्रधानाध्यापक का कहना है कि इसमें कुछ नया नहीं किया। हम सभी एक टीम भावना के आधार पर कार्य करते हैं। बच्चों की सफलता ही हमारी सफलता है।हम जितना समय हो सके, उतना समय बच्चों को देते हैं। बच्चे भी हमारी अपेक्षाओं मे खरा उतरते हैं। छात्रों ने कही ये बातःराजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय के छात्रों ने बताया कि वो यहां खेल-खेल में पढ़ाई करते हैं।जिसके कारण उनका दिन यहां कब बीतता है? पता ही नहीं चलता है। कभी-कभी हम सुबह से शाम तक भी पढ़ते रहते हैं। हमें यहां पढ़ने में काफी मजा आता है।

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उत्तराखंड में बदहाल शिक्षा व्यवस्था के चलते ज्यादातर सरकारी स्कूल छात्र विहीन हो चुके हैं। जहां पर छात्र संख्या ठीक भी है तो वहां पर शिक्षक ही नहीं है।कहीं स्कूल में एडमिशन के लिए बच्चे नहीं मिल रहे हैं तो वहीं बागेश्वर के एक सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए
मारामारी मची है। बागेश्वर के एक सरकारी स्कूल ने सरकार और प्राइवेट स्कूलों को आईना दिखाने का काम किया है। कपकोट चाहे विकास के मायनों में अभी भी पिछड़ा हुआ है। यहां के कुछ गांवों में संचार सुविधा अभी नहीं है। लेकिन शिक्षा के मायने में अभिभावक अब पहले से अधिक जागरूक हो गए हैं। जबकि यहां एक दर्जन से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं।बावजूद राजकीय प्राथमिक विद्यालय में बच्चे के दाखिले के लिए अभिभावक सुबह नौ से शाम पांच बजे तक चटक धूप में लाइन पर खड़े रहने को मजबूर हैं। उन्हें यह भी मालूम नहीं है कि उनके बच्चे का एडमिशन होगा या नहीं।

(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)

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