Chaitra Navratri : दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि शुरू, आज से हिंदू नववर्ष की हुई शुरुआत, जानिए पहले दिन दो शुभ मुहूर्त और घटस्थापना का समय
मुख्यधारा डेस्क
आज से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का आरंभ हो चुका है। इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन की होंगी। 9 अप्रैल से शुरू हो 17 तारीख तक नवरात्रि पड़ रही हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि पर्व पर देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व शुरू होता है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नवस्वरूपों की अराधाना और उपासना की जाती है। नौ दिनों तक देवी पूजा करने के लिए आज घटस्थापना की जाएगी। पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। नवरात्रि के पावन पर्व देश भर के मां दुर्गा के मंदिरों को खूब सजाया गया है।
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। एक वर्ष में कुल चार नवरात्रि आती है, पहला चैत्र नवरात्रि, दूसरा शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि के साथ ही नव संवत्सर की शुरुआत भी होती है। चैत्र नवरात्रि में माता घोड़े पर सवार होकर आएंगी। इसके लिए 2 शुभ मुहूर्त रहेंगे।
व्यापार के नजरिए से ये साल शुभ रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग रहेगा। नई चीजें खरीदने के लिए भी ये नवरात्रि शुभ रहने वाली है। इन नौ दिनों में घर की जरूरत की चीजें खरीद सकते हैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर 9 दिनों तक उपवास रखा जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है।
आज से विक्रम संवत 2081 शुरू हो गया है। मान्यता है कि इसी तिथि पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। धरती के अपनी धूरी पर घूमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है, तभी हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। इस दिन गुड़ी पड़वा, उगादी और चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। हर साल चैत्र नवरात्रि पूरे देश में बहुत ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है।
नवरात्रि के पहले दिन सुबह घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम या अशोक के ताजे पत्तों का तोरण लगाएं। इस दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं,जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं।
माँ की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मन्त्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ से पूजा कर सकते हैं व यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें। चैत्र नवरात्रि में अपने घर में सात्विकता बनाए रखें। दोनों वेला देवी की पूजा-उपासना करें। अगर उपवास रखें तो केवल जल और फल ग्रहण करें। घर में लहसुन, प्याज या मांस-मछली का सेवन वर्जित है। व्रत रखने वाले लोग काले रंग के कपड़े बिल्कुल न पहनें। चौकी के पास जहां कलश और अखंड ज्योति जलाई जाती है, उस स्थान को कभी सूना न छोड़ें।
घटस्थापना का यह रहेगा मुहूर्त
घटस्थापना का मुहूर्त आज सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। अगर आप इस मुहूर्त में घटस्थापना न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना भी कर सकते हैं।
अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर आज दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग- 9 अप्रैल यानी आज सुबह 7 बजकर 32 मिनट से शुरू हो जाएगा और समापन 10 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 06 मिनट पर होगा। अमृत सिद्धि योग- 9 अप्रैल यानी सुबह 7 बजकर 32 मिनट से शुरू हो जाएगा और समापन 10 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 06 मिनट पर होगा।
इस प्रकार रहेगी नवरात्रि की तिथि, पहले दिन मां शैलपुत्री की जाती है उपासना
- प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 9 अप्रैल 2024
- द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 10 अप्रैल 2024
- तृतीया (मां चंद्रघंटा): 11 अप्रैल 2024
- चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 12 अप्रैल 2024
- पंचमी (मां स्कंदमाता): 13 अप्रैल 2024
- षष्ठी (मां कात्यायनी): 14 अप्रैल 2024
- सप्तमी (मां कालरात्रि): 15 अप्रैल 2024
- अष्टमी (मां महागौरी): 16 अप्रैल 2024
- नवमी (मां सिद्धिदात्री): 17 अप्रैल 2024