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इस बार जमकर हुई शादी, अब मई-जून में विवाह का ‘मुहूर्त’ नहीं, लंबे समय बाद अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर भी नहीं बजेगी शहनाई

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इस बार जमकर हुई शादी, अब मई-जून में विवाह का ‘मुहूर्त’ नहीं, लंबे समय बाद अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर भी नहीं बजेगी शहनाई

मुख्यधारा डेस्क

इस बार पूरे देश भर में शादी का सहालग (मुहूर्त) धुआंधार था। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक खूब बैंड बाजे सुनाई दिए। 2 महीने, मार्च-अप्रैल में शादी की बहार रही। जिसकी वजह से मैरिज होम, टेंट, बैंड बाजे वालों और हलवाइयों की मौज रही। बाजार भी खूब शादी के रंग में रंगा हुआ था। सोना महंगा होने के बावजूद जमकर बिका। लेकिन अब सवाल दो महीने विवाह का मुहूर्त नहीं रहेगा।

मंगलवार, 30 अप्रैल को आखिरी विवाह मुहूर्त था। क्योंकि गुरु और शुक्र ग्रह अस्त रहेंगे। इस वजह से अक्षय तृतीया पर भी शादी का मुहूर्त नहीं है। अब शादी के लिए अगला मुहूर्त 9 जुलाई को रहेगा। सबसे खास बात यह है कि अच्छा तृतीया के दिन सबसे पवित्र मुहूर्त में से एक माना जाता है, लेकिन इस बार गुरु और शुक्र के अस्त रहने से अक्षय तृतीया (10 मई) पर भी शादियों का मुहूर्त नहीं है, जबकि इस पर्व को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। अबूझ का मतलब है कि बिना मुहूर्त निकाले भी इस दिन शादी कर सकते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।

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बता दें कि अक्षय तृतीया पर विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ-मांगलिक कार्यों को करने के लिए मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है। लगभग 23 सालों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह या मांगलिक कार्यों का कारक शुक्र और गुरु तारा अस्त होने से इस दिन विवाह आदि का मुहूर्त नहीं बन रहा है। हालांकि, अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने के कारण इस दिन शुभ संस्कार संपन्न हो सकते हैं। हर साल मई और जून महीने में सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त होते हैं, लेकिन इस साल मई-जून में विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं है।

बता दें कि गुरु 8 मई से 5 जून तक अस्त रहेगा। वहीं, शुक्र 4 मई से 27 जून तक अस्त होगा। इस कारण मई और जून में शादी सहित किसी भी मांगलिक काम के लिए मुहूर्त नहीं होंगे। दोनों ग्रह के उदय होने के बाद 9 जुलाई से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।

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जुलाई में भी शादियों के लिए सिर्फ 6 मुहूर्त हैं। 15 जुलाई को सीजन का आखिरी विवाह मुहूर्त रहेगा और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इस कारण दोबारा शादियों पर ब्रेक लगेगा और 16 जुलाई से 11 नवंबर तक कोई मुहूर्त नहीं रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शुक्र और गुरु दोनों ही ग्रह मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होते हैं और यदि ये दोनों ग्रह अस्त हों तो मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। शुक्र के अस्त होने का विचार खास तौर पर शादी के लिए किया जाता है, क्योंकि शुक्र को ही ज्योतिष में शादी का कारक ग्रह माना जाता है। यदि शुक्र के अस्त होने की स्थिति में शादी कर ली जाए, तो वैवाहिक जीवन में परेशानी पेश आती है। लिहाजा शुक्र के अस्त होने के समय देश भर में हिंदू समाज में शादियां वर्जित होती हैं।

उन्होंने बताया कि शास्त्रानुसार इस अवधि में विवाह पूरी तरह से वर्जित है, लेकिन कुछ नवरात्र, शिवरात्रि और अक्ष्य तृतीया ऐसे अविजित मुहूर्त हैं, जिनमें सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन विवाह की दृष्टि से सूर्य और गुरू अस्त होने पर विवाह नहीं होने चाहिए। शास्त्रानुसार तो अक्षय तृतीय पर भी विवाह नहीं हो सकते। गुरु ग्रह व शुक्र तारा अस्त होने के कारण इस दिन कोई शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे। हालांकि वैशाख माह के शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को महामुहूर्त या अबूझ मुहूर्त कहा गया है, जो कि इस साल 10 मई को है।

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