शासन-प्रशासन की चारधाम को सुगम यात्रा बनाने की कोशिशें नहीं ला रही रंग
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
चारधाम की सुगम यात्रा के लिए शासन-प्रशासन की कोशिशें रंग नहीं ला पा रही हैं। तीर्थयात्रा को आए कई श्रद्धालु धामों के दर्शन किए बिना ही घरों को लौटने लगे हैं। प्रशासन ने अस्थायी पंजीकरण व्यवस्था भी शुरू की, लेकिन अब तक करीब चार हजार तीर्थयात्री ऋषिकेश से घर लौट गए।लौटने वाले तीर्थयात्रियों का कहना था कि उत्तराखंड में पहुंचने के बाद भी धामों के दर्शन न कर पाना दुर्भाग्य है। यह उनके जीवन का सबसे बुरा अनुभव है। बता दें कि ये लोग अस्थायी पंजीकरण के लिए रोके गए थे फिर यह व्यवस्था भी बंद कर दी गई।ऑफलाइन पंजीकरण बंद होने पर ऋषिकेश में रोके गए करीब 12 हजार तीर्थयात्रियों को धामों के दर्शन कराने के लिए प्रशासन ने अस्थायी पंजीकरण व्यवस्था की।
प्रशासन की योजना थी कि अस्थायी पंजीकरण कर इन यात्रियों को धामों के लिए रवाना किया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। सोमवार शाम करीब पांच बजे प्रशासन ने अस्थायी पंजीकरण व्यवस्था भी बंद कर दी।ट्रांजिट कैंप प्रशासन के मुताबिक, 12 हजार के सापेक्ष छह हजार यात्रियों का ही अस्थायी पंजीकरण कराया जा सका। शेष छह हजार में से करीब चार हजार तीर्थयात्री बिना दर्शन लौट गए हैं। करीब ढाई हजार तीर्थयात्री अब भी ट्रांजिट कैंप परिसर व धर्मशालाओं में ठहरे हैं। चारधाम यात्रा के लिए यात्रियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु चारधाम दर्शन के लिए उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। शासन-प्रशासन चारधाम की सुगम यात्रा के लिए लगातार दावे कर रहा है लेकिन ये दावे हवा-हवाई होते हुए नजर आ रहे हैं। भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा है, आलम ये है कि चारधाम से यात्री बिना दर्शन किए ही वापस लौट रहे हैं ध्रुव परीक्षा प्रशासन ने 31 मई तक ऑफलाइन पंजीकरण बंद रखने का निर्णय लिया है। ट्रांजिट कैंप में रुके यात्रियों में से करीब 800 यात्रियों ने ऑफलाइन पंजीकरण शुरू होने तक यहीं रुकने का प्रण लिया है। उनका कहना है कि ध्रुव ने अनिश्चित समय के लिए भगवान की प्रतीक्षा की। हम भी ऑफलाइन पंजीकरण शुरू होने का इंतजार कर लेंगे।
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प्रशासन का कहना है कि इन यात्रियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है। उत्तराखंड सरकार ने सुगम चारधाम यात्रा का दावा किया था। लेकिन चारों धामों से लेकर यात्रा पड़ावों तक जगह-जगह तीर्थयात्री जाम में फंसे रहे हैं। केदारनाथ धाम में कुंड से गुप्तकाशी और कुछ और जगहों पर रोड बनाने के लिए 99 करोड़ की धनराशी के आदेश सरकार द्वारा पिछले वर्ष ही दे दिए गए थे। परन्तु उसके बाद भी पैसा ना होने का कारण बता कर रोड बनाने का काम पूरे साल रोके रखा गया। अभी जब पूरी दुनिया के कोने कोने से श्रद्धालु चारों धामों के दर्शनों के लिए उत्तराखंड में हैं तो कुछ जगहों पर काम में देरी और लापरवाही के चलते प्रदेश का पर्यटन जाम से जूझ रहा है। श्री केदारनाथ धाम, यात्री, यमुनोत्री और गंगोत्री के बाद दर्शन करते हैं। 14मई से गंगोत्री से आने वाले और सीधा केदारनाथ जाने वाले यात्री पर्यटकों की संख्या को दोगुना कर देंगे। इससे कुछ जगहों जैसे काकड़ा और कुंड के बीच, सेमी गांव के पास और गुप्तकाशी कस्बे में अभी भी घंटों जाम की स्थिति बन रही है।
सरकार द्वारा सुगम चारधाम यात्रा के दावे जोर-शोर से किए जा रहे हैं। लेकिन धरातल पर आते-आते काम की स्थिति ऐसी है कि प्रशासन कम से कम अपनी पीठ तो नहीं थपथपा सकता। तीर्थयात्रियों की मंजिल उत्तराखंड के चारों धाम हैं, लेकिन धामों तक पहुंचने के लिए सड़कें कई जगह इतनी मुश्किलों भरी हैं कि तीर्थयात्रियों के लिए धाम तक पहुंचना सुगम तो नहीं कहाजासकता। बदरीनाथ हाइवे पर जगह-जगह ऑलवेदर रोड परियोजना का काम चल रहा है। बदरीनाथ धाम जा रहे और धाम से वापस लौट रहे तीर्थयात्रियों को रास्ते में कई जगहों पर घंटों जाम से जूझना पड़ा।बदरीनाथ हाईवे पर हिल कटिंग तो बंद हो गई है, लेकिन पुश्ता निर्माण और हाईवे सुधारीकरण कार्य अब तक जारी है। कई जगह सडकों पर पत्थरों को बिछाने का कार्य भी चल रहा है। यात्रियों को इस परेशानी का सामना चमोली चाड़े से बदरीनाथ धाम तक लगातार करना पढ़ रहा है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन के विरुद्ध शांत प्रदर्शन करते हुए बंद रखा गया। प्रशासन को ये भी ध्यान रखना होगा कि गौरीकुंड से केदारधाम तक यात्रियों के लिए जो असुविधायें हुईं, वो किसी की जान भी ले सकती थी। सड़क पर घंटों जाम की स्थिति से हलकान तीर्थयात्री को यदि धाम में पंहुचने पर भी असुविधाएं होंगी तो कम से कम ये जिम्मेदारी तो प्रशासन को अपने सर लेनी होगी। श्री केदारनाथ धाम यात्रा सदियों से स्थानीय लोगों का रोजगार भी रही है और स्थानीय लोग ही यात्रा में घोड़े-पालकी आदि से यात्रियों को धाम अपनी पीठ पर ढोते रहे हैं। अपने आराध्य
भगवान केदारनाथ के दर्शनों को आये यात्रियों की सेवा करना स्थानीय लोग अपना अधिकार भी समझते हैं और सौभाग्य भी। स्थानीयों के साथ मिलकर ही यात्रा का सही और सुचारू संचालन किया जा सकता है। विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज होते ही चारों धामों में यात्रियों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। यहां देश-दुनिया के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है।
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खासकर बात उत्तरकाशी में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की करें तो यहां काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे यात्रा की व्यवस्था चरमरा गई है। यही नहीं चार धाम यात्रा को लेकर सरकार द्वारा किए गए पुख्ता इंतजाम के दावों की भी पोल खुल रही हैबहरहाल, चार धाम यात्रा शुरू होने से पहले सरकार ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए बड़े-बडे दावे किए थे लेकिन यात्रा शुरू होने के कुछ ही दिनों में सरकार के दावों की पोल खुल गई। यात्रा पर आने वाले यात्रियों को इन दिनों जाम से दो चार होना पड़ रहा है। केदारनाथ से बद्रीनाथ और गंगोत्री से यमुनोत्री धाम तक पहुंचना तीर्थयात्रियों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है। सभी धामों में यात्री यात्रा पड़ावों तक जगह-जगह जाम में फंसे हैं, फिलहाल अब देखने वाली बात ये होगी कि प्रशासन आने वाले समय में चारधाम यात्रा को लेकर क्या व्यवस्था बनाती है।
( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )