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हिंदी पत्रकारिता दिवस : 30 मई 1826 को हिंदी भाषा में ‘उदन्त मार्तण्ड’ के नाम से हुआ था पहला समाचार पत्र प्रकाशित

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हिंदी पत्रकारिता दिवस : 30 मई 1826 को हिंदी भाषा में ‘उदन्त मार्तण्ड’ के नाम से हुआ था पहला समाचार पत्र प्रकाशित

198 साल बाद पत्रकारिता का स्वरूप बदला लेकिन मिशन नहीं

मुख्यधारा डेस्क

इन दिनों देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। 6 चरण पूरे हो चुके हैं, सातवें फेज के लिए 1 जून को वोट डाले जाएंगे। इस लोकतंत्र के महापर्व पर पत्रकारिता (मीडिया) अपनी शानदार भूमिका निभा रहा है। पत्रकारिता को देश का चौथा स्तंभ भी माना जाता है। आज 30 मई है। हर साल इसी तारीख को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। ‌हिंदी के प्रचार-प्रसार में पत्रकारिता का भी अहम योगदान रहा है। हिंदी भाषा में उदन्त मार्तण्ड के नाम से पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 को निकाला गया था। 198 साल बाद भले ही पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है लेकिन मिशन आज भी वही है।

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हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशित होने से 46 साल पहले सन 1780 में एक अंग्रेजी अखबार छपना शुरू हुआ था। 29 जनवरी 1780 में एक आयरिश नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी कलकत्ता शहर से ही ‘कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’ नाम से एक अंग्रेजी अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। यह भारतीय उपमहाद्वीप का पहला अखबार था। इसके प्रकाशन के साढ़े चार दशक बाद उदन्त मार्तण्ड नाम से पहला हिंदी अखबार प्रकाशित हुआ था। इन बीच अन्य भारतीय भाषाओं के अखबारों का प्रकाशन शुरू हो चुका था।

बता दें कि पहली बार पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में शुरू किया था। इसका प्रकाशन पहली बार कलकत्ता में हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल इस साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक और संपादक थे। पंडित जुगल किशोल शुक्ल कानपुर के रहने वाले थे जो पेशे से वकील थी। हालांकि उनकी कर्मस्थली कलकत्ता रही। ये वो समय था जब भारत पर ब्रिटिश शासन का कब्जा था। भारतीयों के अधिकारों को दबाया और उन्हें कुचला जाता था। ऐसे में हिंदुस्तानियों की आवाज को उठाने के लिए पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने उदन्त मार्तण्ड अखबार का प्रकाशन शुरू किया। उदन्त मार्तण्ड’ अपने आप में एक साहसिक प्रयोग था, जिसकी पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं। हिन्दी भाषी पाठकों की कमी के कारण कलकत्ता में उसे उतने पाठक नहीं मिले।

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कलकत्ता को हिन्दी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण अखबार को डाक के जरिए भेजा जाता था, लेकिन डाक विभाग की दरें ज्यादा होने के कारण इसे हिन्दी भाषी राज्यों में भेजना चुनौती बन गया। इसके विस्तार में दिक्कतें होने लगीं। पंडित जुगल किशोर ने सरकार ने बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें जिससे हिंदी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। अलबत्ता, किसी भी सरकारी विभाग ने ‘उदन्त मार्तण्ड’ की एक भी प्रति खरीदने पर भी रजामंदी नहीं दी। पैसों की दिक्कतों और महंगे डाक दरों के कारण उदन्त मार्तण्ड अखबार का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और 4 दिसंबर 1826 को ही अखबार के प्रकाशन को बंद करना पड़ा। इस तरह हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता की जगत में विशेष सम्मान है।

उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य‘। अपने नाम के अनुरूप ही उदन्त मार्तण्ड हिंदी की समाचार दुनिया के सूर्य के समान ही था।

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