Header banner

विश्व धरोहर : ऐतिहासिक स्थल चराइदेव मोईदाम यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया, भारत के इस राज्य में है स्थित, जानिए इसके बारे में

admin
w

विश्व धरोहर : ऐतिहासिक स्थल चराइदेव मोईदाम यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया, भारत के इस राज्य में है स्थित, जानिए इसके बारे में

मुख्यधारा डेस्क

पूर्वोत्तर के राज्य असम में स्थित चराइदेव मोईदाम को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। केंद्र की मोदी सरकार पिछले 10 वर्षों से इसे विश्व धरोहर बनाने के लिए मांग कर रही थी। यूनेस्को की घोषणा के बाद चराईदेव मोईदाम भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्व शर्मा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ये असम के लिए एक बड़ी जीत है।

मोईदाम पूर्वोत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। इसका इतिहास 700 साल पुराना माना जाता है। यहां पर चीन से आईं ताई-अहोम जनजातियों के राजाओं के कब्र स्थल बने हैं।

यह भी पढ़ें : लगातार बारिश (Rain) होने से कई राज्य तरबतर, गुजरात और महाराष्ट्र के कई जिलों में बिगड़े हालत, इन राज्यों में अलर्ट जारी

असम के चराईदेव जिले में ये शाही कब्र स्थल स्थित है। यह भारत के महत्वपूर्ण मध्यकालीन आहोम राजवंश के शाही परिजनों के लिए बना कब्रगाह टीला है। इसे असम का पिरामिड भी कहा जाता है। खास बात यह है कि शाही मैदाम केवल असम राज्य में चराईदेव में पाए जाते हैं। ये चीन से आईं ताई-अहोम जनजातियों के राजाओं के कब्र स्थल हैं। इन जनजातियों के राजाओं ने 12वीं से 18वीं ईस्वी के बीच उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपनी राजधानी स्थापित की थी।

मोईदाव को विश्व धरोहर घोषित कराने का प्रस्ताव भारत सरकार ने 15 अप्रैल 2014 को यूनेस्को के पास भेजा था। मैदाम 2014 में ही यूनेस्को विश्व धरोहर की अस्थाई सूची में शामिल हो गया था। जनवरी 2023 में इसका भारत की तरफ से आधिकारिक नामांकन किया गया। यूनेस्को की ओर से जांच के लिए एक तकनीकी टीम भी भारत आई थी। इसके बाद भारत सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई।

यह भी पढ़ें : पेरिस ओलंपिक : खेलों के महाकुंभ ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी कल, 117 सदस्यीय भारतीय एथलीट पेरिस पहुंचे, 16 खेलों में 69 पदक स्पर्धाओं में लेंगे भाग

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत भर में 52 स्थलों में से अहोम समुदाय के मोईदाम को विरासत स्थल के रूप में नामांकित करने के लिए चुना है। यहां 90 से अधिक टीलों का घर है। ये टीले सिर्फ दफन स्थल ही नहीं हैं, बल्कि यह असम एक विशेष सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की धरोहर भी है।

Next Post

उत्तराखंड सचिवालय के अधिकारियों-कर्मचारियों को ई-ऑफिस पोर्टल पर फाइलों के त्वरित निस्तारण के निर्देश

उत्तराखंड सचिवालय के अधिकारियों-कर्मचारियों को ई-ऑफिस पोर्टल पर फाइलों के त्वरित निस्तारण के निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग को लंबित फाइलों की स्थिती की निगरानी के लिए एक दैनिक समीक्षा तंत्र स्थापित करने हेतु कार्ययोजना जल्द बनाने के निर्देश फाइलों के […]
r 11

यह भी पढ़े