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उम्मीदों और चुनौतियों से रु-ब रु-एक नया साल!

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उम्मीदों और चुनौतियों से रु-ब रु-एक नया साल!

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

साल 2023 कैलेंडर से गायब हो जाएगा और उसकी जगह नया साल 2024 जगह ले लेगा। जहां 2023 को पलट कर देखने पर इस वर्ष की उपलब्धियां एवं सत्र संत्रास दोनों ही अनुभव किए जा सकते हैं वहीं आने वाले नए साल के लिए भी आंखों में कुछ सपने और मन में कुछ उम्मीदें लिए देश 2024 में प्रवेश करेगा एक नजर डालते हैं क्या -क्या उम्मीदें हैं साल 2024 से और कौन सी चुनौतियां लेकर यह वर्ष शुरू हो रहा है। उम्मीद भारी चुनौती लोकसभा चुनाव यदि राजनीति से शुरुआत की जाए तो वर्ष 2024 नई लोकसभा के चुनाव लेकर आ रहा है संभवत: अप्रैल मई के महीनों में नई लोकसभा के चुनाव संपन्न हो जाएंगे तथा एक नई सरकार देश की बागडोर संभालेगी। जहां विपक्ष इस उम्मीद में है कि 10 वर्षों से शासन कर रही भाजपा के प्रति एंटी इनकंबेंसी फैक्टर काम करेगा और उसे सत्ता में लौटने का अवसर मिलेगा वहीं भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा यकीन है कि एक बार फिर से देश सरकार की उपलब्धियों एवं राम के नाम पर उन्हें ही अपनी बागडोर सौंपेगा।

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अब सर्वेक्षण कुछ भी कहें, पुराने परिणाम कुछ भी रहे हों , आने वाले परिणाम कैसे होंगे यह भविष्य के गर्भ में है। हां यह तय है कि पार्टी बदले
या न बदले मगर देश को नई सरकार तो मिलेगी ही। एक प्रकार से देश के 140 करोड लोगों के सामने नई सरकार के चुनने की चुनौती है तो सरकार के सामने इन चुनावों को शांतिपूर्वक संपन्न कराने की चुनौती भी है। जम्मू कश्मीर और राज्य का दर्जा इसी वर्ष ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव के साथ जम्मू एवं कश्मीर के भी चुनाव होने हैं।धारा 370 हटाने के बाद से जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा, केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था मगर उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार जल्दी ही इसे पुन: राज्य का दर्जा दिया जाना है जिसके लिए वहां विधानसभा चुनाव भी होंगे। 370 हटाने के बाद एक आशंका खड़ी की गई थी कि शायद अब वहां आतंक और भी क्रूर हो कर उभरेगा, लेकिन सरकार ने कुशलता पूर्वक उसे काबू किया। मगर 2023 के जाते-जाते जिस प्रकार से सेना के ऊपर आतंकियों ने हमला किया वह डराने वाला है हालांकि इसका मुंहतोड़ जवाब भी दिया जा रहा है।

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अब देखें कि जम्मू कश्मीर को अपना पूर्णराज्य का रुतबा मिलता है या नहीं और वहां चुनाव होने पर कौन सत्ता में आता है तथा इन चुनाव में आतंकियों की चुनौती का सामना देश और सरकार कैसे करेगी। अर्थव्यवस्था बनाम चुनाव प्रधानमंत्री ने देश से वादा किया हुआ है कि अगले कुछ वर्षों में विदेशी को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बना कर छोड़ेंगे। यदि इस संदर्भ में देखें और आंकड़ों पर यकीन करें तो 2023-24 में
भारत की अर्थव्यवस्था 7% तक बढऩे की उम्मीद है, अगर भारतीय अर्थव्यवस्था इसी प्रकार बढ़ती रही और अंदरूनी हालात अच्छे रहे तो 2023-24 प्रधानमंत्री के इस सपने को पूरा करने के लिए एक अच्छा आधार तैयार कर देगा , मगर चुनावी साल मुफ्त की बांटे जाने वाली रेवडिय़ां तथा कुछ अप्रत्याशित खर्च आने से इस सपने को पूरा करने में कड़ी चुनौती का सामना भी करना पड़ेगा।

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2024 में सर चढ़कर बोलेगा क्रिकेट का जुनून 2024 में खेल जगत में सबसे ज्या दा धूम मचेगी क्रिकेट की t20 विश्व कप की !ये जून में अमेरिका और वेस्टइंडीज में होगा। उम्मीद है इस बार हमारी टीम 2023 के वनडे विश्व कप जैसा निराश नहीं करेगी।इससे पहले, मार्च- मई में भारत में महिला आईपीएल और पुरुष आईपीएल का भी रोमांच देखने को मिलेगा। व्यापार जगत भी इन लोगों से खूब कमाई की उम्मीद कर रहा है। 2009 में लोकसभा चुनावों के कारण आईपीएल को दक्षिण अफ्रीका स्थानांतरित करना पड़ा था। देखना होगा कि क्या ऐसा 2024 में भी होगा ? बजट विकास और रेवडिय़ां 1 फरवरी 2024-25 को केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा।

आमतौर पर चुनावी साल में बजट सुविधा एवं तोहफे बांटने वाला होता है। मोदी सरकार भी यदि ऐसा करे तो कोई आश्चर्य नहीं।जहां सरकारी कर्मचारी आयकर में छूट की उम्मीदें पाले हुए हैं वहीं आम आदमी महंगाई से निजात के सपने देख रहा है। दूसरी तरफ विकास एवं मुद्रास्फीति की दर का आपस में सीधा संबंध होता है यानी यदि मुद्रा स्फीति गिरेगी तो विकास की दर भी गिरेगी ऐसे में विश्व तीसरी सबसे बड़ी व्यवस्था बनाने का सपना कैसे पूरा होगा यह देखने वाली बात होगी। इसके लिए सरकार को डटकर काम करना होगा जहां जन अपेक्षाएं पूरी करनी हैं वहीं विकास की गति को भी पटरी पर रखना एक बड़ी चुनौती होगी। जो कि उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। इस साल नए संसद भवन में राजनीति की एक नई शुरुआत की बात कही गई थी।

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पीएम मोदी ने साल 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। यह भवन इस साल तीन साल से भी कम समय में बनकर तैयार हो गया। संसद के नए भवन (New Parliament) में काम-काज शुरू हो चुका है। यह भवन कई महत्वपूर्ण बातों विचारों का गवाह भी इस शीतकालीन सत्र के दौरान रहा। अगर हम बात मौजूदा सरकार यानी बीजेपी की करें तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जीत को सेमीफाइनल की विक्ट्री बताई जा रही है। यानी कि बीजेपी 2024 के फाइनल जीतने की रणनीति लिखनी शुरूकर दी है। मौजूदा सरकार ने भारत की आजादी को 75 साल पूरे होने पर चलाए जा रहे ‘अमृत मृ काल’ अभियान को लेकर बार-बा र यह कहते नजर आए कि देश 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने की दिशा में काम कर रहा है। सरकार ने यह भी भरोसा जताया कि हर बाधा को पार करते हुए सफलतापूर्वक देश अपने लक्ष्यों तक पहुंचेंगा।

भारत की आर्थिक स्थिति की बात की जाए तो भारत में बढ़ता मध्यम वर्ग और घटती गरीबी एक महत्वपूर्ण आर्थिकचक्र की नींव बन रही है। जो लोग गरीबी से उभर रहे हैं वो सभी नए-मध्यम वर्ग का हिस्सा बन रहे हैं। वे अब देश की उपभोग वृद्वृधि (consumption growth) को चलाने वाली एक बड़ी ताकत हैं की सरकार अगर इस साल भी जीत अपने नाम करती है तो लगातार सरकार के ना म यह तीसरी जीत होगी। आगामी साल में होने वाले चुनाव में किस पार्टी की जीत होगी इसपर भी काफी हद तक यह निर्भर र्भ करता है। अगर मौजूदा पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो इस साल किए गए कार्यों को सुचारु रूप देगी।

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युवाओं को कुशल बनाने से लेकर महिलाओं के सशक्तिकरण पर इस साल सरकार का फोकस बना रहा। महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना तो देश की बेटियों के लिए सुकसु न्या समृद्मृधि योजना और किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना ये सभी योजनाओं की चर्चा इस साल भी रही। सभी के स्वास्थ्य के लिए आयुष्युमान भारत योजना को भी सरकार ने महत्वपूर्णपू र्ण बनाने की कोशिश इस साल भी की। साल 2024 में भी क्या ये योजनाएं उतनी ही महत्वपूर्ण साबित होंगी या फिर योजनाओं के लिस्ट में कई और योजना भी शामिल हो सकती है। जीत
के साथ-साथ ही सरकार अपने वादों पर कितनी खड़ी उतरती है यह देखना भी दिलचस्प होगा।

(लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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