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एक्शन : 11 बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने कोल्डरिफ’ कफ सिरप की बिक्री पर लगाया बैन

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एक्शन : 11 बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने कोल्डरिफ’ कफ सिरप की बिक्री पर लगाया बैन

मुख्यधारा डेस्क

तमिलनाडु सरकार ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 बच्चों की मौत के बाद ‘कोल्डरिफ’ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि एक अक्टूबर से तमिलनाडु में ‘कफ सिरप’ की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया जाता है। यह कार्रवाई तब की गई जब तमिलनाडु सरकारी दवा परीक्षण प्रयोगशाला की जांच में एक बैच की गुणवत्ता मानकों खरी नहीं पाई गई और उसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल की मिलावट सामने आई।

बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी की दवा (कफ सिरप) ने 11 बच्चों की जान ले ली है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में अब तक कुल नौ बच्चों की और राजस्थान के भरतपुर में एक और सीकर में भी एक बच्चे की मौत हो चुकी है। बच्चों की मौत के बाद जांच के घेरे में आए कफ सिरप को अब तमिलनाडु सरकार ने तत्काल उत्पादन रोकने का आदेश दिया है। ड्रग्स कंट्रोल और लाइसेंसिंग अथॉरिटी के उप निदेशक व कंट्रोलिंग अथॉरिटी एस. गुरुभारती ने बताया कि निर्माता को निर्माण लाइसेंस रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने छिंदवाड़ा जिले में 7 सितंबर से संदिग्ध किडनी रोग से पीड़ित बच्चों की मौतों के लिए कफ सिरप में ‘ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट’ मिलाने को जिम्मेदार ठहराया है। इधर स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रयोगशालाओं से रिपोर्ट आने तक कंपनी को सुविधा केंद्र में सिरप का उत्पादन रोकने का आदेश दिया गया है।

कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप को लेकर राजस्थान सरकार भी एक्शन में है। राजस्थान सरकार ने कार्रवाई करते हुए औषधि नियंत्रक को निलंबित कर दिया है और जयपुर स्थित कंपनी केसन्स फार्मा द्वारा निर्मित दवाओं का वितरण रोक दिया है। अधिकारियों ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने केसन्स फार्मा द्वारा निर्मित सभी 19 दवाओं की आपूर्ति अगले आदेश तक बैन कर दी है। डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त अन्य सभी कफ सिरप के वितरण पर रोक लगा दिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया है। मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं न दी जाएं।

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