पहाड़ों की हकीकत: उत्तराखंड के विधायकों की विदेश में इलाज कराने की तैयारी के बीच पहाड़ से आई ये तस्वीर कर गई शर्मसार
- उत्तराखंड में विधायकों के वेतन बढ़ोतरी के 24 घंटे बाद ही पहाड़ी क्षेत्र से आई यह तस्वीर खोल रही स्वास्थ्य सेवाओं की पोल
- मूलभूत सुविधाओं को लेकर राज्य आज भी वहीं खड़ा है, जहां पहले था
शंभू नाथ गौतम
चीन की सीमा से लगा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में आज भी कई मूलभूत सुविधा नहीं हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से मौजूदा समय में भी ऐसी तस्वीरें समय-समय पर आती रहती हैं जो विचलित और सोचने पर मजबूर करती हैं । एक तरफ हम भारत में फास्ट एक्सप्रेसवे और बुलेट ट्रेन चलाने के लिए तैयार हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में आज भी कई पहाड़ी इलाकों में चिकत्सीय (मेडिकल) सुविधाओं का न होना, बताता है कि हम आज कहां खड़े हुए हैं। आए दिन उत्तराखंड में ऐसी तस्वीर सामने आती हैं जो 50-100 साल पहले देखी जाती थी। अभी भी हम पहाड़ों के दुर्गम इलाकों में जाएंगे तो वहां के हालातों को देखकर जरूर मन पसीज जाएगा।
सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि उत्तराखंड को बने 24 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी तक किसी भी सरकारों ने पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। भाजपा और कांग्रेस के शासनकाल में पहाड़ी क्षेत्र में जनजीवन को लेकर बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी हुईं हैं लेकिन कोई धरातल पर नहीं आ सकी। (सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तराखंड के अधिकांश विधायक इन पहाड़ों से ही मैदानी क्षेत्रों में आते हैं)। जिसके वजह से आज भी उत्तराखंड के भोले-भाले लोग छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
अब आइए बात को आगे बढ़ाते हैं।”एक दिन पहले गुरुवार, 22 अगस्त साल 2024 को मानसून सत्र के दौरान गैरसैंण के भराड़ीसैंण में धामी सरकार ने प्रदेश के सभी 70 विधायकों के वेतनमान में बढ़ोतरी करने का एलान किया । इस फैसले के बाद अब उत्तराखंड के सभी विधायकों का वेतन हर महीने 2,90 हजार से करीब 4 लाख हो जाएगा। इतना वेतन मिलने के बाद भी उत्तराखंड के माननीय विधायक शायद ही खुश होंगे।”
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विपक्ष के विधायक सदन में और सड़क पर सत्तारूढ़ सरकार की छोटी-छोटी बातों का विरोध करते हुए नजर आते हैं। लेकिन विधायकों की बढ़ोतरी के बाद कांग्रेस और भाजपा की राय एक रही। वहीं दूसरी ओर 24 घंटे बाद ही आज शुक्रवार को एक ऐसी तस्वीर दिखाई थी जो सदियों से चली आ रही है। यह तस्वीर उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश को शर्मसार करती है।
बात करते हैं चीन की सीमा से लगे पिथौरागढ़ जनपद के मुनस्यारी का। यहां के रालम गांव के एक वरिष्ठ ग्रामीण बीमार पड़ गए। पास में कोई अस्पताल न होने की वजह से बीमार व्यक्ति को गांव के युवा लकड़ी के स्ट्रैचर बनाकर 3 दिन तक पैदल सफर किया। ऐसा नहीं है कि प्रदेश सरकार उत्तराखंड के दूर-दराज इलाकों में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था से वाकिफ नहीं है।
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मुनस्यारी रालम गांव में बीमार पड़े दो लोगों को पूरे गांव के युवाओं ने तीन दिन में करीब 36 किमी की पैदल दूरी तय कर सड़क तक पहुंचाया, जहां से वाहन के जरिये दोनों को अस्पताल लाया गया।
रालम गांव निवासी 60 वर्षीय चंद्र सिंह ढकरियाल और त्रिलोक सिंह पिछले दो सप्ताह से बीमार पड़े थे। गांव में उपचार की कोई सुविधा नहीं है। हालत बिगडऩे पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी। प्रशासन ने दोनों को रेस्क्यू करने के लिए हेलीकाप्टर की व्यवस्था भी कर ली, लेकिन खराब मौसम आड़े आ गया। हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर सके। दोनों की खराब हालत को देखते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्य विजय दरियाल और समाजसेवी नरेंद्र दरियाल ने गांव के लोगों को एकजुट किया। गांव में ही लकड़ी के डंडों से स्ट्रैचर तैयार किए गए।
युवाओं ने सोमवार को गांव से दोनों बीमार व्यक्तियों को लकड़ी के स्ट्रैचर के सहारे खतरनाक पैदल रास्तों से तीन दिन का सफर कर पांतू तक सड़क तक पहुंचाया। इन तीन दिनों में युवाओं को रात में पैदल रास्तों में सफर की कोई गुजांइश नहीं होने पर अलग-अलग गांवों में रात्रि विश्राम करना पड़ा। दोनों मरीजों को मुनस्यारी लाया गया है, जहां से शुक्रवार को उन्हें उपचार के लिए हल्द्वानी सेंटर ले जाने की तैयारी चल रही थी।