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बुरे फंसे योगगुरु : बाबा रामदेव (Baba Ramdev)-बालकृष्ण के सितारे “गर्दिश” में, सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के बाद उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों पर लगाया बैन

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बुरे फंसे योगगुरु : बाबा रामदेव (Baba Ramdev)-बालकृष्ण के सितारे “गर्दिश” में, सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के बाद उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों पर लगाया बैन

शंभू नाथ गौतम

पतंजलि के मुखिया बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के सितारे इन दिनों ज्यादा “गर्दिश” में है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद अब उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। ‌जिसके बाद बाबा रामदेव के उत्पादों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इसके साथ योगगुरु रामदेव की प्रतिष्ठा भी पूरे देश भर में धूमिल हुई है। यह भी सच है कि योग गुरु बाबा रामदेव ने अपने आप को स्थापित करने में काफी मेहनत की थी, लेकिन जब इंसान शिखर पर होता है कोई न कोई गलतियां कर जाता है। यह गलती बाबा रामदेव से भी होनी बताई गई। कुछ समय से कई वीआईपी और भाजपा के मंत्री योगगुरु से दूरी भी बनाने लगे हैं। जहां पहले बाबा रामदेव के एक बार बुलाने पर दौड़े चले आते थे, अब वह भी साथ में आने से कतरा रहे हैं। कुछ समय पहले तक बाबा रामदेव और उनके उत्पादों पर देश में लाखों-करोड़ों लोग भरोसा करने लगे थे।

साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद योग गुरु बाबा रामदेव का रुतबा बढ़ता चला गया। इसके साथ उनका व्यापार (पतंजलि कंपनी का उत्पादन) भी ‘दिन दूनी रात चौगुनी’ उन्नति करने लगा। भाजपा शासित प्रदेश सरकारों के अधिकांश कार्यक्रमों में बाबा रामदेव दिखाई पड़ते। इसके अलावा केंद्र में भी कई कार्यक्रमों में योग गुरु की सहभागिता बढ़ती गई। भाजपा सरकार ने उनकी सुरक्षा में भी कई जवान तैनात कर दिए।

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रामदेव ने हाल के वर्षों में कई विवादित बयान भी दे डाले। यहीं नहीं बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कई गंभीर बीमारियों का अपनी दवा से ठीक करने का दावा भी करने लगे। योगगुरु की इन बातों पर लोग विश्वास भी करने लगे । देश में कोविड महामारी आने से पहले रामदेव-बालकृष्ण के सितारे आसमान पर थे। ‌‌देश की टॉप कंपनियों में पतंजलि शुमार हो गई। ‌ लेकिन बाबा रामदेव और बालकृष्ण यहां कहां रुकने वाले थे। इन्हें कुछ और नया करना था। जब पूरा देश कोरोना महामारी की चपेट में था तब रामदेव और बालकृष्ण ने कई बार प्रेस कांफ्रेंस करके इस महामारी को अपनी बूटी से ठीक करने का दावा कर डाला। ‌यहीं से इनका दांव उल्टा पड़ गया और पतन की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई।

इस बीच बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के बीच भी जमकर ठन गई। कोरोना काल के दौरान रामदेव और आईएमए के बीच कई टीवी चैनलों में डिबेट के दौरान गरमा-गरम बहस भी देखने को मिली। आईएमए के साथ बहस में पतंजलि के मुखिया बाबा रामदेव घिरते चले गए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव के दावे और पतंजलि उत्पादों के झूठे प्रचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद रामदेव के साथ बालकृष्ण को भी महसूस होने लगा कि अखबारों में झूठा प्रचार का दांव उल्टा पड़ चुका है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ महीनों से रामदेव और बालकृष्ण के झूठे प्रचार पर सख्त रवैया अपना रखा है।

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सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। पिछले कुछ दिनों से बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं। ‌

उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के इन 14 प्रोडक्ट्स का लाइसेंस किया सस्पेंड

सुप्रीम कोर्ट की तगड़ी फटकार के बाद अब भाजपा शसित खासतौर पर उत्तराखंड सरकार भी अब रामदेव से दूरी बनाने लगी है। ‌सोमवार को उत्तराखंड की धामी सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। यह जानकारी उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में दी गई है। राज्य सरकार की लाइसेंस ऑथोरिटी ने सोमवार को प्रोडक्ट्स पर बैन का आदेश भी जारी किया। इसमें कहा- पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण कंपनी के लाइसेंस को रोका गया है। पतंजलि आयुर्वेद के दिव्य फार्मेसी के जिन उत्पादों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं उनमें श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, दिव्य ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपीिग्रट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईिग्रट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप शामिल हैं।

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गौरतलब है कि पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान रामदेव, कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और कंपनी को फटकार लगाई थी। रामदेव और बालकृष्ण ने माफी भी मांगी थी। पतंजलि फूड्स को जीएसटी खुफिया विभाग ने कारण बताओ नोटिस भेजा है, जिसमें कंपनी से यह बताने को कहा गया है कि उससे 27.46 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट क्यों नहीं वसूला जाना चाहिए। 26 अप्रैल को कंपनी की ओर से नियामक को दी गई जानकारी के अनुसार, उसे जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय, चंडीगढ़ जोनल यूनिट से मिले नोटिस में यह भी कहा गया है कि कंपनी पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन केस की आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी।

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