- सरनोल बड़कोट से कंडियालगांव मायके में आयी थी महिला, चिकित्सकों ने गंभीर हालत के चलते देहरादून किया था रेफर
- मंगलवार सुबह परिजन प्रसव पीड़िता को लाये थे सीएचसी
नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते (poor health system) क्षेत्र की एक प्रसव पीड़िता की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला से रेफर करने के बाद मंगलवार सीएचसी नौगांव में उपचार के दौरान मौत हो गई। मंगलवार को बड़कोट के सरनोल गांव निवासी ललिता पत्नी मनोज रावत प्रसव के लिए अपने मायके पुरोला के कंडियाल गांव आई थी। परिजन उसे सुबह करीब 3.30 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला लाए, ज़हां चिकित्सकों ने पीड़िता की गंभीर हालत को देखते हुए हायर सेंटर भेजने का सुझाव दिया। इस पर परिजन मंगलवार सुबह पुरोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से देहरादून के लिए रवाना हुए। रास्ते में अधिक पीड़ा होने पर परिजन पीड़िता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव ले गए, ज़हां महिला की मौत हो गई।
महिला के परिजनों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला के चिकित्सकों के सुझाव पर सीएचसी नौगांव में भर्ती कराया गया, जहां प्रसव पीड़िता की गंभीर हालत के चलते चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर किया। काफी देर तक 108 का इंतजार किया गया, पर देर अधिक होने के कारण पीड़िता की जान चली गई।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 आरसी आर्य ने बताया
कि सरनौल की प्रसव पीड़िता ललिता का करीब डेढ़ वर्ष पूर्व आप्रेशन से बच्चा पैदा हुआ था। वहीं इतनी जल्दी दूसरा बच्चा होना जोखिम भरा होता है, जिसको देखते हुए प्रसव पीड़िता के परिजनों को हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी गई थी, किंतु समय पर हायर सेंटर न पंहुचने के कारण घटना हुई है।
वहीं दूसरी ओर बीते गुरुवार को पुरोला खलाड़ी पुजेली गांव की एक प्रसव पीड़िता काजल पत्नी राकेश को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला में लाया गया, जहां पीड़िता की सामान्य प्रसव की स्थिति के बाद अचानक अधिक रक्त स्राव होने पर चिकित्सकों ने पीड़िता को देहरादून रेफर कर दिया, किंतु परिजनों ने नौगांव के निजी में स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखाया व उसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव ले गए। जहां डाक्टरों ने उसे देहरादून ले जाने की सलाह दी। देर सांय देहरादून के एक निजी केयर सेंटर में नवजात की मौत हो गई, जबकि प्रसूता का उपचार चल रहा है।
कुल मिलाकर poor health system प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों में आज भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था (poor health system) बनी हुई है। इसके कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।
प्रदेश की धामी सरकार एवं स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत को चाहिए कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर न सिर्फ प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतरीन करने का संकल्प लें, बल्कि इसे धरातल पर उतारने के लिए भी समय सीमा निर्धारित की जाए। तभी सही मायनों में आजादी के अमृत महोत्सव को आम जन महसूस कर सकेंगे।