चमोली हादसे (Chamoli accident) के बाद हुए ऑडिट में बड़ा खुलासा
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
गौरतलब है कि प्रदेश में तकरीबन 70 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं। इनमें गोमुख से हरिद्वार तक नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा किनारे के 15 नगरों में स्थापित 33 एसटीपी भी शामिल हैं। सभी एसटीपी का संचालन व रखरखाव आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से किया जा रहा है। चमोली हादसे के बाद सरकार द्वारा प्रदेश भर में सेफ्टी ऑडिट करने के निर्देश दिए गए थे।
इस ऑडिट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कई जगहों पर एसटीपी मानकों के आधार पर नहीं चल रहे हैं। इसके साथ ही रूद्रप्रयाग के एसटीपी सुरक्षित नहीं पाए गए। इस सेफ्टी ऑडिट में खुलासा हुआ कि नमामि गंगे परियोजना में निर्मित प्लांटों में मानकों से आधे कर्मचारी काम कर रहे हैं। हर प्लांट में तीन पंप ऑपरेटर और एक मैकेनिकल कर्मचारी की तैनाती का प्रावधान है।लेकिन यहां सिर्फ दो लोग काम कर रहे हैं। जिनमें से एक दिन और एक रात में ड्यूटी देता है। ऐसे में एक समय में केवल एक ही व्यक्ति प्लांट में तैनात है। इन कर्मचारियों को बेहद ही कम वेतन दिया जा रहा है। इनकी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है।
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सेफ्टी ऑडिट के बाद पता चला है कि ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर बना एक एसटीपी भूस्खलन जोन में स्थित है। इस प्लांट पर काफी समय से ताला लटका हुआ है। इन दिनों बारिश के बाद यहां पर सड़क का एक30 मीटर लंबा पुश्ता भी धवस्त हो गया है। जिसके बाद ये प्लांट खतरे की जद में है। विद्युत सुरक्षा विभाग में मुख्यतौर पर इंजीनियरों के 23 स्वीकृत में से 16 पद खाली पड़ेहैं।विद्युत सुरक्षा विभाग में कुल 65 पद हैं, जिनमें से 43 स्थायी और 22 उपनल, पीआरडी के माध्यम से कार्यरत हैं। ऐसे में प्रदेशभर में विद्युत सुरक्षा जांच और बड़ी चुनौती बन गया है।
विद्युत सुरक्षा विभाग ने पूर्व में नौ पदों पर सेवा स्थानांतरण से भर्तियों की मांग की थी। इसका प्रस्ताव भी पास हो गया था लेकिन विभिन्न विभागों से यहां आने वाले इंजीनियर ही नहीं मिले। अब विभाग ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से विशेषज्ञ रखने की मांग की है, जिस पर शासन को निर्णय लेना है। स्टाफ न होने पर विभाग के लिए जांच रिपोर्ट देना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा।
ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर पास बना एसटीपी भूस्खलन जोन में है।डाट पुलिया स्थित एसटीपी में बरसात के दौरान ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग का सारा पानी घुस रहा है। यहां बिजली की तारें भी लोहे से बने फर्श पर बिछी हैं। इसी तरह केदारनाथ तिराहा और बेलणी में बने प्लांट में भी सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं हो रहा है। हालांकि जल संस्थान के अधिकारी चमोली हादसे से सबक लेते हुए सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की बात जरूर कह रहे हैं।
महाप्रबंधक ने कहा कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को करंट से बचाने के लिए जूते, ग्लब्स और विशेष ड्रेस मुहैया कराई जाएगी। साथ ही प्लांट की फर्श पर करंट से बचाने के लिए मैट बिछाई जाएगी। एसटीपी में सुरक्षा मानकों की जांच की जा रही है।हांलाकि प्राथमिक जांच में दावा किया जा रहा है कि यूपीसीएल और एसटीपी दोनों के स्तर पर कुछ खामियां पाई हैं। जो कि जांच के लिए पहुंची विद्युत सुरक्षा विभाग की तीन सदस्यीय टीम के हवाले से दावा किया जा रहा है।
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इसके अलावा सबसे बड़ा सवाल हादसा हाई वोल्टेज या शॉर्ट सर्किट से हुआ। ये भी जांच का सबसे बड़ा और अहम बिंदु माना जा रहा है बीती 19 जुलाई को चमोली में करंट लगने से करीब 16 लोगों की मौत हुई थी। इस हृदय विदारक घटना से विद्युत विभाग ने कोई सबक नहीं लिया है। शहर के तमाम इलाकों में बिजली के झूलते तार हादसों को न्यौता दे रहे हैं, लेकिन विभाग कुंभकर्णी नींद सोया है। ऐसा लगता है मानो विभाग एक और बड़ी अनहोनी के इंतजार में है।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )