मुख्यधारा ब्यूरो
देहरादून। गत दिवस उत्तराखंड में लॉकडाउन का उल्लंघन कर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पितृ कार्य के लिए बद्रीनाथ जाने की बात कहकर धमाचौकड़ी मचाने वाले उत्तर प्रदेश के दबंग विधायक अमनमणि त्रिपाठी को यूपी के बिजनौर से लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार कर दिया गया है। उनके खिलाफ नजीबाबाद थाने में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।
गत दिवस उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम एवं केदारनाथ जाने के जबरन प्रयास के दौरान विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उनके 11 साथियों के साथ कर्णप्रयाग से वापस लौटा दिया गया था। वापस आते समय मुनिकीरेती पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज कर दिया था। हालांकि उन्हें निजी मुचलके पर वहां से छोड़ दिया गया। इसके बाद वे उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए।
जब यह मामला मीडिया में उछला कि अमनमणि त्रिपाठी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पितृ कार्य हेतु बद्रीनाथ और केदारनाथ तक जाने के लिए कर्णप्रयाग तक लॉकडाउन में कैसे पहुंच गए तो इसका संज्ञान आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिया। बताया गया कि विधायक और उनके सहयोगियों को सीएम योगी की ओर से ऐसा कोई कार्य नहीं सौंपा गया था और न ही उन्हें उत्तर प्रदेश से कोई पास ही जारी किया गया था। ऐसे में थाना नजीबाबाद में अमनमणि त्रिपाठी सहित सात लोगोंं के खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन में आपदा प्रबंधन एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। उन्हें बिजनौर से उनके सात सहयोगियों सहित गिरफ्तार किया गया है।
इससे पहले गत दिवस उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने उन्हें 11 लोगों के पास जारी करने का अनुमोदन किया था। जिस पर अपर जिलाधिकारी कार्यालय देहरादून से उनको केवल 8 लोगों के ही पास जारी किए गए थे। लेकिन विधायक 8 लोगों के पास पर 11 लोगों के साथ तीन वाहनों में कर्णप्रयाग तक पहुंच गए। इससे पहले उन्होंने गौचर में भी पुलिसकर्मियों से दबंगई दिखाई और फिर कर्णप्रयाग में भी दबंगई कर रहे थे। जहां एसडीएम ने बड़ा साहस दिखाते हुए उन्हें कर्णप्रयाग से आगे नहीं जाने दिया। जिसके बाद डीएम और एसपी चमोली के हस्तक्षेप के बाद उन्हें वहां से वापस लौटा दिया गया।
यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके एक दर्जन साथियों को बंद कपाट के बावजूद बद्रीनाथ धाम तक के लिए पास जारी किए जाने के बाद अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश पर मीडिया ने जमकर सवाल उठाए कि आखिर उन्होंने ऐसे समय में पास जारी कैसे कर दिए! सवाल उठाए गए कि जब बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम के रावलों तक को बाहर से आने के बाद क्वारंटीन में रहना पड़ा है तो फिर विधायक और उनके साथियों को क्वारंटीन क्यों नहीं किया गया।
सवाल यह भी खड़े हुए अभी जब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले ही नहीं हैं तो फिर उन लोगों को बद्रीनाथ तक जाने के लिए पास क्यों जारी किया। साथ ही बाहरी प्रदेशों के लिए जब उत्तराखंड चारधाम में दर्शन करने के लिए अनुमति ही नहीं है तो फिर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने उन पर मेहरबानी क्यों की! हालांकि अपना पल्ला झाड़ते हुए अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश कह रहे हैं कि उन्होंने तो मात्र अनुमोदन किया था, सही जांच-पड़ताल तो जिलाधिकारी को करनी थी। ऐसे में सवाल यह है कि एक शीर्ष अधिकारी के फरमान को उनसे छोटे अधिकारी मानने से कैसे इंकार कर सकते हैं?
इस संबंध में देहरादून के जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव कहते हैं कि आप सभी जानते हैं कि हम लोग भी शासन के अधीन ही कार्य करते हैं।
उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक कहते हैं कि चूक अवश्य हुई है। अब यह जांच की जाएगी कि चूक क्यों हुई और कैसे हुई?
उत्तराखंड के यमकेश्वर निवासी सीएम योगी आदित्यनाथ के भाई महेद्र बिष्ट ने विधायक अमनमणि को उनके पितृ कार्य करने की बात को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि वे कल ही अस्थि विसर्जन कर चुके हैं। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि वे अपने पितृ कार्य करने के लिए क्या तीन भाई कम हैं?
विधायक की दबंगई का एक उदाहरण श्रीनगर के गेस्ट हाउस में भी देखने को मिला। जहां उन्होंने दो कमरे बुक किए, लेकिन बाद में अपनी दबंगता दिखाते हुए पांच कमरे खुलवा दिए। यही नहीं उन्होंने गेस्ट कर्मियों के साथ भी बदसलूकी की और गेस्ट हाउस में अपने साथियों के साथ खूब उत्पात मचाया।
सवाल यह है कि यूपी सरकार के निर्देशों के बाद जिस तरह दबंग विधायक अमनमणि त्रिपाठी के खिलाफ कार्यवाही की गई, ऐसी कार्यवाही करने की हिम्मत उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार क्यों नहीं दिखा पाई और बिना जांच पड़ताल के उन्हें कैसे पास जारी कर दिया गया?
बहरहाल, अब देखना यह है कि लॉकडाउन में विधायक अमनमणि सहित 11 लोगों को बद्री-केदार जाने का पास जारी करने की गाज आखिर किसके सिर पर पड़ती है!