देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा कल प्रमोशन में आरक्षण को समाप्त करने पर उत्तराखंड की सफाई आयोग के अध्यक्ष रहे भगवत प्रसाद मकवाना ने त्रिवेंद्र रावत सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।मकवाना ने अपनी बात इस प्रकार की है:-
“उत्तराखंड सरकार द्वारा पदोन्नति में अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण को समाप्त करने का निर्णय सामाजिक न्याय एवं संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था के विरुद्ध दवाब में लिया गया निर्णय है, जो न्यायोचित नहीं है।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी एवं माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने कई बार एवं भाजपा नेतृत्व में आरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया तथा भाजपा का मूल मंत्र अंतोदय है, किंतु प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाकर पार्टी की प्रतिबद्धता पर प्रश्न चिन्ह लगाया है।
आरक्षण व्यवस्था सदियों से जातीय भेदभाव का शिकार अनुसूचित वंचित समाज को विशेष अवसर देकर समाज में इन वर्गों को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से की गई थी, किंतु प्रदेश सरकार ने सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारी वर्ग के आंदोलन के दवाब में आकर जो निर्णय लिया है तथा इससे पूर्व 2012 में प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा भी पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाई गई थी तथा इरशाद आयोग का गठन करके अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सरकारी नौकरियों में भागीदारी की स्थिति का परीक्षण करने के लिए बनाया गया था, किंतु उसकी रिपोर्ट को भी आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया, क्योंकि सच्चाई यह है किसी भी विभाग में किसी भी श्रेणी के पदों पर आरक्षण कभी भरा ही नहीं गया। प्रदेश सरकार के निर्णय का मैं विरोध करता हूं तथा माननीय मुख्यमंत्री जी एवं पार्टी नेतृत्व से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं, क्योंकि यह निर्णय समाज में विद्वेष की भावना को विकसित करेगा तथा जिन वर्गों की जनसंख्या कम है, क्या उनको न्याय नहीं मिलना चाहिए।
आरक्षण कोई भीख नहीं है, यह हजारों वर्ष के शोषण के बाद इन वर्गों को सामाजिक न्याय देने के लिए संविधान में व्यवस्था की गई थी। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी केंद्रीय गृहमंत्री माननीय श्री अमित शाह जी माननीय श्री जेपी नड्डा जी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री आदरणीय श्री थावर चंद गहलोत जी एवं संपूर्ण पार्टी नेतृत्व से पुरजोर मांग करता हूं कि केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को लागू करके समय-समय पर होने वाले इस विवाद को समाप्त कर दें, ताकि जातीय आधार पर होने वाले भेदभाव के दंश को झेलने वाले अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारी वर्ग को न्याय प्राप्त हो सके।”
देखना है कि भगवत प्रसाद मकवाना के इस प्रतिरोध का सरकार किस प्रकार जवाब देती है!