दलाल चला रहे थे प्रदूषण जांच केंद्र (Pollution Testing Center) - Mukhyadhara

दलाल चला रहे थे प्रदूषण जांच केंद्र (Pollution Testing Center)

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दलाल चला रहे थे प्रदूषण जांच केंद्र (Pollution Testing Center)

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

अब प्रदेश में कोई भी व्यक्ति प्रदूषण जांच केंद्र खोल सकता है। हालांकि, उसे इसके लिए तय मानकों का पूरा पालन करना होगा। अभी तक प्रदूषण जांच केंद्र केवल अधिकृत गैराज, पेट्रोलियम कंपनियां अथवा स्वैच्छिक संस्था ही खोल सकते थे। इतना ही नहीं, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र भी अब महंगी दरों पर मिलेगा। इसके लिए वाहन स्वामी को 100 रुपये खर्च करने होंगे, अभी तक इसकी फीस 70 रुपये नियत थी। इसके अलावा परिवहन विभाग में तैनात परिवहन कर अधिकारी श्रेणी दो (टीटीओ-2) के कंधों पर अब चांदी के बटन की तरह दिखने वाले दो सितारों के स्थान पर तीन सुनहरे सितारे नजर आएंगे।  उत्तराखंड में मोटरयान (संशोधित) नियमावली पर मुहर लगाई गई। इसके तहत प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के मानकों में बदलाव किया गया।

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अब अधिकृत गैराज, कार्यशाला, पेट्रोलियम कंपनियों, पेट्रोल पंप व स्वैच्छिक संस्थाओं के साथ ही कोई अन्य व्यक्ति भी जांच केंद्र खोल सकेंगे। इसके लिए उन्हें नियमानुसार परिवहन आयुक्त के नाम 25 हजार रुपये की प्रतिभूति जमा करनी होगी। इसके साथ ही मानकों से अधिक प्रदूषण छोडऩे वाले वाहन को सुधारने और इंजन जांच के लिए उपकरणों की सूची भी देनी होगी। प्रदूषण केंद्रों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 30 रुपये का फार्म परिवहन विभाग से लेना होगा। इसी फार्म पर वह प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी करेगा। इसके लिए वह आवेदक से 100 रुपये का शुल्क ले सकेगा। संशोधित नियमावली में टीटीओ-2 की वेशभूषा में भी बदलाव किया गया है। अभी तक ये अपने कंधों पर सफेद धातु के दो स्टार लगा सकते थे और इनके कंधे पर परिवहन लिखा बैज होता था।

संशोधन के बाद अब ये पांच कोने वाले यलो प्लेटेड तीन सितारे और काले और लाल रंग की कंधों की पट्टी पहन सकेंगे। अब इन्हें काले के स्थान पर भूरे जूते पहनने को भी अधिकृत किया गया है। कांस्टेबल से लेकर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी स्तर के अधिकारी काले और  लाल रंग की कंधों की पट्टी लगाएंगे और बाजू में परिवहन विभाग का लोगो लगाएंगे।प्रदूषण सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़
किया है। आरटीओ ने बिना गाड़ी के केवल फोटो से प्रदूषण सर्टिफिकेट बनाते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद उक्त प्रदूषण केंद्र को रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आरटीओ के निर्देश पर यह कार्यवाई की गयी है।

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लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि लालकुआं क्षेत्र में वाहनों के प्रदूषण प्रमाण पत्र गलत तरीके से बनाए जा रहे हैं, उन्होंने सादी वर्दी में परिवहन विभाग के एक कर्मचारी को ट्रांसपोर्ट नगर लालकुआं स्थित रॉयल रेडियम नामक दुकान में भेजा, उक्त कर्मचारी ने वाहन का फोटो दुकान संचालक को दिखाते हुए वाहन का प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने को कहा, इसके बाद उक्त दुकान संचालक ने व्हाट्सएप के द्वारा उक्त गाड़ी की फोटो लालकुआं नगर स्थित एक प्रदूषण जांच केंद्र में भेजी।वर्तमान में गौला नदी में खनन कार्य शुरू होने की प्रक्रिया गतिमान है, ऐसे में उक्त प्रदूषण जांच केंद्र के संचालक द्वारा फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र बनाए जाने की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थी, जिस पर आज
शुक्रवार को उन्होंने यह छापेमारी की है।

भारत सरकार ने साल 2020 में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू किया था। इस व्हीकल कानून में वाहनों के प्रदूषण लेवल की जांच पर जोर दिया
गया है। इस नए का मोटर एक्ट के तहत वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं होने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। नए एक्ट के बाद से हर छोटे बड़े वाहनों को समय-समय पर प्रदूषण टेस्ट करा कर प्रमाण पत्र अपने साथ रखना अनिवार्य है। अगर ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग के समय वाहन चालक के पास गाड़ी का लेटेस्ट पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं होता है तो उसे 10 हजार रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं होने पर भारी और सामान्य वाहनों के लिए अलग-अलग जुर्माना तय किया गया है।नून के आने के बाद से ही प्रदूषण जांच केंद्रों की मांग में काफी तेजी आई है। प्रदेश में इस समय तकरीबन 27लाख वाहन पंजीकृत हैं। वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ ही वायु प्रदूषण की समस्या भी बढऩे लगी है।

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वहीं, वाहनों के प्रदूषण को जांचने के लिए बनाए गए प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों के जरिये दिए जा रहे प्रमाणपत्रों पर सवाल उठते रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र की समय सीमा छह माह की होती है। कई लोग समय से दोबारा जांच नहीं कराते हैं तो कई बार फर्जी तरीके से प्रमाणपत्र हासिल कर लेते हैं। दरअसल, पूर्व में इस प्रकार के मामले सामने आ चुके हैं कि ये केंद्र बिना जांच के ही प्रमाणपत्र दे देते हैं। कई बार एक ही प्रदूषण नियंत्रण केंद्र फर्जी प्रमाण पत्र भी जारी कर देते हैं। इसके लिए कुछ समय पहले भारत सरकार ने सभी प्रदूषण जांच केंद्रों को वाहन पोर्टल से जोडऩे के निर्देश दिए गए थे। इसके लिए विभाग में कई दिनों से तैयारी चल रही थी। अब विभाग ने इन्हें ऑनलाइन पोर्टल से जोड़ दिया है।

अपर परिवहन आयुक्त ने बताया कि वाहनों की प्रदूषण जांच का कार्य वाहन पोर्टल से लिंक होने के कारण किसी वाहन की जांच का डाटा परिवहन विभाग को रियल टाइम के आधार पर उपलब्ध रहेगा। प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित करने अथवा नवीनीकरण के लिए आवेदक ऑनलाइन ही आवेदन कर सकेगा।

( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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