Header banner

श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बने हुए हैं चारधाम यात्रा मार्ग (Chardham Yatra Route)

admin
chardham yatra

श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बने हुए हैं चारधाम यात्रा मार्ग (Chardham Yatra Route)

harish

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

चारधाम यात्रा मार्ग इन दिनों श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बने हुए हैं। वर्षाकाल में सक्रिय हुए भूस्खलन क्षेत्रों में हल्की वर्षा होने पर भी पहाड़ी से पत्थरों की बरसात हो रही है। इससे यात्रा मार्ग बार-बार अवरुद्ध हो रहे हैं और कई बार यात्रियों को घंटों तक उनके खुलने का इंतजार करना पड़ रहा है। वर्षाकाल में अब तक बदरीनाथ राजमार्ग विभिन्न स्थानों पर 80 से 150 घंटे तक अवरुद्ध रहा है। जबकि, गौरीकुंड (केदारनाथ) राजमार्ग 135 और यमुनोत्री राजमार्ग250 घंटे बंद रहा। इस दौरान दर्जनभर से अधिक वाहन भी पत्थर और मलबे की चपेट आए। इन हादसों में दो व्यक्तियों की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हुए। इसलिए चारधाम दर्शन को आ रहे हैं।

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन से सर्वाधिक प्रभावित है। चमोली जिले में गौचर से बदरीनाथ धाम तक यह राजमार्ग 131 किमी लंबा है। संपूर्ण मार्ग पर सात भूस्खलन क्षेत्र परेशानी खड़ी कर रहे हैं। इनमें तीन (छिनका, पीपलकोटी और कमेड़ा) नए हैं, जो इसी वर्ष चारधाम आलवेदर रोड निर्माण के दौरान सक्रिय हुए।

यह भी पढें : Health: तिमूर (Timur) दांतों के लिए ही नहीं, रक्तचाप के लिए भी है रामबाण, जानिए इसके औषधीय गुण

जबकि, पिछले कई वर्षों से सक्रिय लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र के उपचार की कार्ययोजना तैयार की जा रही है और पागलनाला व कंचनगंगा में पुल का निर्माण होना है। इस राजमार्ग का करीब 24 किमी हिस्सा रुद्रप्रयाग जिले में भी पड़ता है। यहां सिरोबगड़ में वर्षा नहीं होने पर भी पहाड़ी से पत्थर गिरते रहते हैं। इसके समाधान के लिए 300 करोड़ रुपये से बाईपास बन रहा है, जिसका 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर डाबरकोट चुनौती बना हुआ है। यमुनोत्री धाम से 28 किमी पहले 600 मीटर लंबा यह भूस्खलन क्षेत्र वर्ष 2017 से सक्रिय है। वैकल्पिक मार्ग के निर्माण में ढाई करोड़ से अधिक धनराशि खर्च हो चुकी है, मगर अब तक वह पूरा नहीं हो पाया।

रुद्रप्रयाग में 76 किमी लंबे गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर तरसाली भूस्खलन क्षेत्र बीते 20 वर्ष से परेशानी बना हुआ है। उत्तराखंड में निरंतर हो रही वर्षा के कारण सड़कों व पुलों के क्षतिग्रस्त होने से अब तक 250 करोड़ रुपये की क्षति का आकलन किया गया है। वर्षा का क्रम जारी रहने से यह और बढ़ सकती है। यही नहीं, लोनिवि के अंतर्गत आने वाले पुलों के इन दिनों चल रहे सेफ्टी आडिट में अभी तक 86 असुरक्षित श्रेणी में पाए गए हैं। वर्षा के कारण जनजीवन प्रभावित होने के साथ ही सार्वजनिक संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। राज्य मार्ग, पीएमजीएसवाई की सड़कें, जिला मार्ग व संपर्क मार्गों के साथ ही पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।

यह भी पढें : आराकोट-टिकोची-चिंवा क्षेत्र : भूस्खलन (landslide) से प्रभावित सड़कों व पैदल रास्तों को अविलंब दुरस्त करने के निर्देश

सचिव लोनिवि के अनुसार सड़कों व पुलों की क्षति आंकलित की जा रही है। अभी तक 250 करोड़ की क्षति का अनुमान है। अभी वर्षाकाल के दो माह शेष हैं। वर्षा का क्रम भी बना हुआ है। इससे क्षति अधिक होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभाग की प्राथमिकता क्षतिग्रस्त सड़कों को खुलवाकर यातायात को बहाल करने की है। केदारनाथ में भक्तों का खतरनाक खेल! जान जोखिम में डाल ऐसे पहुंच रहे धाम उत्तराखंड में भारी बारिश के बाद आई आफत भी बाबा केदार के दर पर आने वाले भक्तों के कदम नहीं डिगा पा रही है. बाबा केदार के भक्त जान जोखिम में डालकर बाबा के दर पहुंच रहे हैं. चारों तरफ पहाड़ियों ने मौत बरस रही है, लेकिन इन हालात में भी बाबा केदार के भक्तों के कदम नहीं रुक रहे हैं. ऐसे में सवाल प्रशासन पर उठ रहे हैं कि ऐसी स्थिति में यात्रियों को आगे जाने ही क्यों दिया जा रहा है?.

(लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरत  हैं )

Next Post

भोजपत्रों (Bhojpatra) व हिमालय संरक्षण से है हर्षवंती का पूरा जीवन

भोजपत्रों (Bhojpatra) व हिमालय संरक्षण से है हर्षवंती का पूरा जीवन डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला भोजपत्र को अंग्रेजी भाषा में बैतूल यूटिल्स के नाम से पहचाना जाता है और यह अधिकतर हमारे भारत देश के हिमालय में पाया जाता है […]
bhojn 1

यह भी पढ़े