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बड़ी खबर: कांग्रेस में मचे सियासी घमासान के बीच पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल व विधायक हरीश धामी का बड़ा बयान। हरदा, गोदियाल व प्रीतम दिल्ली बुलाए

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मामचन्द शाह

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट से मची खलबली के बाद कड़क ठंड में अचानक सियासी पारा उछाल मारने लगा है। पार्टी के भीतर मचे इस इस सियासी घमासान के डैमेज कंट्रोल को लेकर जहां पार्टी हाईकमान ने हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को दिल्ली बुला लिया है। वहीं दूसरी ओर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल व धारचूला विधायक का बड़ा बयान सामने आया है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा है कि हरीश रावत पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता हैं। 2002 से लेकर जब भी कांग्रेस सत्ता में रही, यह हरीश रावत के परिश्रम से ही संभव हो पाया।

कुंजवाल ने कहा कि आज भी पार्टी का जो जनाधार बढ़ रहा है, वह हरीश रावत के परिश्रम का ही परिणाम है, किंतु कुछ लोग हरीश रावत की लोकप्रियता से खुश नहीं हैं और इससे पार्टी कमजोर हो रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी के कुछ लोग भाजपा से मिल करके पार्टी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। ऐसे में हरीश रावत अब जो भी निर्णय लेंगे, वह प्रदेश हित के लिए लेंगे और प्रदेशभर के सभी पार्टी कार्यकर्ता उनके निर्णय का स्वागत करते हुए उनके साथ है।

हरदा को 2022 में मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो पार्टी छोड़कर हो जाऊंगा निर्दलीय

धारचूला विधायक हरीश धामी का भी बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत प्रदेश के बहुत सीनियर लीडर हैं। उनकी यदि कोई नाराजगी होती है तो प्रदेश के 90 प्रतिशत कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी वह नाराजगी होती है। वर्तमान में कांग्रेस में हरीश रावत जान फूंकने का काम कर रहे हैं। उनके प्रयासों से ही प्रदेशभर में कांग्रेस जनसभाओं में भारी जनसैलाब उमड़ रहा है, लेकिन यदि हरीश रावत की पार्टी हाईकमान द्वारा अनदेखी हुई और उन्हें 2022 में मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वे सबसे पहले पार्टी छोड़कर निर्दलीय बन जाएंगे।

विधायक हरीश धामी ने कहा कि आप अब तक कराए गए सभी सर्वे पर गौर कर लीजिए व आम जनमानस से पूछकर देख लीजिए, सभी यही कह रहे हैं कि उत्तराखंड में अबकी बार, हरदा की सरकार। सभी चाहते हैं कि हरीश रावत को एक मौका मिले और वे उत्तराखंड की जनता के लिए कुछ कर सकें। धामी ने याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व में जब हरीश रावत ने प्रदेश की कमान संभाली थी तो उस समय पूरा राज्य दैवीय आपदा से जूझ रहा था। तब उन्होंने केदारनाथ जैसी भीषण त्रासदी से उबारने का काम किया था। हरीश धामी ने दावा करते हुए कहा कि यदि एक मौका हरीश रावत को उत्तराखंड के सीएम के रूप में और दिया जाए तो वे प्रदेश को विकास की बुलंदियों पर पहुंचा सकते हैं।

इससे पूर्व गत दिवस हरीश रावत के सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल ने भी उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव की उपस्थिति में राहुल गांधी की रैली मेें हरीश रावत के पोस्टर हटाए जाने की बात कहकर उनकी संदेहास्पद वाली भूमिका पर सवाल खड़े किए थे।

बताते चलें कि गत दिवस हरीश रावत ने ट्वीट के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में भूचाल की स्थिति बन गई थी। हरदा ने लिखा था कि, –

”है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थान पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने की बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है।
फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है, ‘न दैन्यं न पलायनम्’ बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद राश्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।”

प्रदेश में पड़ रही कड़ाके के ठंड के बीच सियासी पारा अचानक प्रदेश में गर्म हो गया तो पार्टी हाईकमान भी दिल्ली में चौकन्ना हो गया। हाईकमान ने चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत समेत प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को दिल्ली बुला लिया है। माना जा रहा है कि इस दौरान प्रदेश प्रभारी को लेकर चल रही नाराजगी को हरीश रावत आलाकमान के सम्मुख रखेंगे और प्रदेश की वास्तुस्थिति से अवगत कराएंगे।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने संगठन स्तर पर कुछ कर्मियों की बात को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते वह सभी कमियों को दुरुस्त करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की जाएगी और इसका हल निकालकर पार्टी एकजुट होकर 2022 के चुनाव मैदान में उतरेगी।

बहरहाल, अब देखना यह होगा कि अबकी बार हरदा की सरकार वाली थीम को लेकर प्रदेश में पार्टी का जो जनाधार बढ़ रहा है, उस थीम के निर्माता हरीश रावत को हाईकमान किस तरह से संतुष्ट कर पाती है और पार्टी के रणबांकुरों को किस तरह 2002 के चुनाव मैदान में भेजने की रणनीति बनाती है!

 

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