उपचुनाव रिजल्ट: उपचुनाव में कांग्रेस का परचम, पहले अयोध्या अब बद्रीनाथ ने भी भाजपा का नहीं दिया साथ
(7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित किए गए । इनमें से कांग्रेस ने 4, टीएमसी ने 4, भाजपा ने 2, आम आदमी पार्टी, डीएमके और निर्दलीय ने 1-1 सीटें जीती । उपचुनाव में कांग्रेस ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल में कमाल किया है। उत्तराखंड में भाजपा दोनों सीटें बद्रीनाथ और मंगलौर हार गई। लोकसभा चुनाव में यूपी की अयोध्या सीट पर मिली करारी हार के बाद चार धाम में से एक बद्रीनाथ हारना भाजपा को गहरा जख्म दे गया। यह सीट सीधे ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई थी। बद्रीनाथ सीट कई मायनों में खास थी। चुनाव प्रचार में भी पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भाजपा को बद्रीनाथ सीट से हाथ धोना पड़ा। पहले अयोध्या अब बद्रीनाथ की हार के बाद भाजपा में मायूसी छा गई। वहीं कांग्रेस खेमे में खुशी का माहौल है। )
देहरादून/मुख्यधारा
लोकसभा चुनाव नतीजों के सवा महीने बाद विधानसभा उपचुनाव के परिणाम भी भाजपा को निराश कर गए। 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित किए गए । इनमें से कांग्रेस ने 4, टीएमसी ने 4, भाजपा ने 2, आम आदमी पार्टी, डीएमके और निर्दलीय ने 1-1 सीटें जीती । उपचुनाव में कांग्रेस ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल में कमाल किया है, वहीं ममता की पार्टी ने बंगाल में क्लीन स्वीप किया है। जबकि बीजेपी ने मध्यप्रदेश और हिमाचल में एक-एक सीट जीती है। देवभूमि उत्तराखंड में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप कर दिया है। यहां 2 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, दोनों सीट कांग्रेस ने जीत ली हैं। उत्तराखंड में भाजपा दोनों सीटें बद्रीनाथ और मंगलौर हार गई।
यह भी पढ़ें : लोक पर्व हरेला पर शिक्षा विभाग रोपेगा दो लाख पौधे
लोकसभा चुनाव में यूपी की अयोध्या सीट पर मिली करारी हार के बाद चार धाम में से एक बद्रीनाथ हारना भाजपा को गहरा जख्म दे गया। यह सीट सीधे ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई थी। बद्रीनाथ सीट कई मायनों में खास थी। चुनाव प्रचार में भी पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भाजपा को बद्रीनाथ सीट से हाथ धोना पड़ा। पहले अयोध्या अब बद्रीनाथ की हार के बाद भाजपा में मायूसी छा गई। वहीं कांग्रेस खेमे में खुशी का माहौल है। कांग्रेस के उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला ने बद्रीनाथ सीट पर हुए उपचुनाव को जीत लिया । लखपत सिंह बुटोला ने 5224 वोटों के अंतर से ये उपचुनाव जीता है। दरअसल मार्च में कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद बद्रीनाथ सीट खाली हुई थी। जिसके बाद यहां पर उपचुनाव कराए गए और इस चुनाव में भाजपा की ओर से खड़े हुए राजेंद्र भंडारी को हार का सामना करना पड़ा।
बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनों पर विश्वास जताया था। पार्टी ने दोनों सीटों पर उन चेहरों को मैदान में उतारा, जो कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन चेहरों पर दांव लगाया, वो दोनों ही उसकी सांगठनिक नर्सरी से नहीं थे। बद्रीनाथ विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला के आगे बढ़ने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। अपनी जीत पर कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला ने कहा कि मैं बद्रीनाथ के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं। इसका श्रेय उन सभी को जाता है जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मेरा समर्थन किया यह न्याय की लड़ाई है। मंगलौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने जीत दर्ज कर ली है।
दूसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना ने उन्हें कड़ी टक्कर दी लेकिन जीत न सके। भड़ाना को कुल 31,261 वोट हासिल हुए जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 31,710 वोट हासिल हुए हैं। इसी के साथ कांग्रेस उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन 449 वोटों से विजयी घोषित हुए। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी उबैदुर रहमान रहे थे। जीत दर्ज करने के बाद काजी निजामुद्दीन ने कहा कि मंगलौर में लठतंत्र कायम करने की कोशिश की गई, लेकिन लोकतंत्र के आगे लठतंत्र हार गया। उन्होंने मंगलौर की जनता का आभार व्यक्त भी किया है। बता दें कि उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद से भाजपा कभी भी हरिद्वार जिले में आने मंगलौर विधानसभा सीट पर तीसरे नंबर से आगे नहीं बढ़ पाई है। साल 2002 , 2007, 2012 और 2002 के विधानसभा चुनावों में यह सीट बीएसपी ने जीती थी, जबकि 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी काजी मुहम्मद निजामुद्दीन ने यहां से जीत का परचम लहराया था। एक तथ्य यह भी है कि हर चुनाव में उत्तराखंड की यह सीट मुस्लिम प्रत्याशी ने ही जीती है। 2002 और 2007 में यहां से काजी मुहम्मद निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की। साल 2012 में यहां से सर्वत करीम अंसारी, 2017 में यहां से काजी मुहम्मद निजामुद्दीन और 2022 में फिर से सर्वत करीम अंसारी ने जीत दर्ज की थी।
हिमाचल में कांग्रेस और बंगाल में टीएमसी ने किया शानदार प्रदर्शन–
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है। यहां 3 सीटों पर उपचुनाव हुआ था, इसमें 2 सीटों कांग्रेस के खाते में तो एक सीट बीजेपी के खाते में आई है। देहरा सीट से कांग्रेस की कमलेश ठाकुर ने बीजेपी के होशयार सिंह को 9 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। वहीं नलगढ़ सीट पर कांग्रेस के हरदीप सिंह बावा ने जीत का परचम लहराया है। उन्होंने बीजेपी के कृष्ण लाल ठाकुर को मात दी है। जबकि हमीरपुर की सीट बीजेपी के आशीष शर्मा के खाते में गई है, उन्होंने कांग्रेस के डॉ. पुष्पिंदर वर्मा को महज 1433 वोटों से मार्जिन से हराया है। वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने क्लीन स्वीप कर दिया है, उन्होंने चारों सीटें जीत ली हैं। रानाघाट दक्षिण से टीएमसी के मुकुट मणि अधिकारी ने बीजेपी के मनोज कुमार को हराया है। रायगंज से टीएमसी के कृष्णा कल्याणी ने बीजेपी के मानस कुमार घोष को, बागदा से टीएमसी की मधूपर्णा ठाकुर ने बीजेपी के बिनय कुमार बिस्वास को हराया है।
बिहार की रुपौली विधानसभा सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ है, इस सीट से निर्दलीय कैंडिडेट शंकर सिंह ने जीत का परचम लहराया है। उन्होंने जेडीयू के कलाधर मंडल को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। जबकि आरजेडी की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रही हैं। ऐस ही पंजाब की जालंधर वेस्ट सीट पर उपचुनाव हुआ था। इस सीट से आम आदमी पार्टी के मोहिंदर भगत ने बाजी मार ली है, उन्होंने बीजेपी कैंडिडेट शीतल अंगुरल को 37 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। तमिलनाडु की विक्रवंडी विधानसभा सीट पर सत्ताधारी डीएमके ने जीत हासिल की है। डीएमके के अन्नियुर शिवा शिवाशनमुगम. ए ने पट्टाली मक्कल काची पार्टी के अन्बुमणि. सी को 67 हजार से अधिक वोटों से हराया है। बता दें कि 10 जुलाई को सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे।