मुख्यधारा/देहरादून
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना के लिए अब मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में प्रत्याशियों के दिलों की धड़कनें भी और तेज हो गई हैं। हालांकि कुछ प्रत्याशियों का आत्मविश्वास बयां कर रहा है कि वे अपनी जीत के प्रति पूर्ण रूप से आश्वस्त हैं, किंतु धनबल और सुरा के भरोसे चुनावी वैतरिणी पार करने वाले प्रत्याशियों को फिलवक्त रातों की नींद नहीं आ रही है। इस बीच भाजपा व कांग्रेस (bjp-congress) ने सरकार बनाने के लिए प्रदेश में बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की मतगणना आगामी दस मार्च को होनी है। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों के लिए इस बार 632 प्रत्याशियों के भाग्य का पिटारा ईवीएम में कैद है। यही कारण है कि परिणाम को लेकर प्रत्याशियों की बेसब्री अब और बढ़ गई है।
इस बीच उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए दोनों बड़े दल भाजपा व कांग्रेस (bjp-congress) के महारथी भी दून में जुटने शुरू हो गए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि यदि दोनों दल बहुमत से कुछ कम यानि 32 से 35 सीटें ही जीतते हैं तो फिर निर्दलीय, उक्रांद या बीएसपी से जीतने वाले प्रत्याशी किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे। जिनको अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की भी दोनों पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती होगी। या यूं कहें कि जो इन प्रत्याशियों को मना ले, उसी दल की सरकार बन सकती है। हालांकि यह अलग बात है कि ये दल किसको अपना समर्थन देते हैं।
भाजपा ने उत्तराखंड के तेजतर्रार नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक को मैदान में उतार दिया है। यही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी देहरादून पहुंच चुके हैं और उन्होंने सरकार बनाने की संभावना पर रिहर्सल शुरू कर दिया है।
उधर कांग्रेस भी सरकार बनाने को लेकर मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। कांग्रेस की तिकड़ी यानि हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल ऐसा कोई मौका नहीं छोडऩा चाहते, जिससे उनकी मेहनत हाथ से फिसल जाए। हालांकि कांग्रेस के पास सरकार बनाने के साथ ही मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भी जद्दोजहद साफ देखी जा रही है। हरीश रावत पहले ही साफ कर चुके हैं कि इस बार मौका नहीं मिला तो वे घर बैठना पसंद करेंगे। हालांकि पार्टी के अन्य नेता उनकी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते।
वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिकता सरकार बनाना है, जबकि पार्टी ने सीएम पद को दूसरी प्राथमिकता में रखा है। हालांकि दोनों ही दलों में सीएम का नाम पार्टी हाईकमान द्वारा ही निर्धारित किया जाता है।
इस बीच आज भाजपा की देहरादून में अहम बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि प्रतेक संभावनाओं पर बैठक में विस्तृत चर्चा की जाएगी। वहीं कांग्रेस ने आठ मार्च को देहरादून में महत्वपूर्ण बैठक रखी है, जिसमें वरिष्ठ नेता सरकार बनाने की रणनीति बनाएंगे।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि इस बार उत्तराखंड की जनता ने क्या जनादेश दिया है!